मुख्यमंत्री शिवराज ने संकट में बदलवाया फैसला: विधानसभा चुनाव मे टिकट चाहने वाले व पदाधिकारी हो सकते हैं संगठन की जिम्मेदारी से मुक्त.!!

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भोपाल। विधानसभा चुनावी साल में भारतीय जनता पार्टी जिलों में ऐसे नेताओं को संगठन की जिम्मेदारी से मुक्त करने जा रही है, जो निकट भविष्य में चुनाव मैदान में कूदने के इच्छुक हैं। अभी तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह 10 जिलाध्यक्षों की संगठन की जिम्मेदारी से मुक्त कर चुके हैं, चुनाव लड़ने के इच्छुक ऐसे दर्जन से ज्यादा नेताओं ने भी संगठन की जिम्मेदारी से मुक्त होने की इच्छा जताई है, लेकिन यदि सर्वे रिपोर्ट उनके पक्ष में आई तो निकट भविष्य में कुछ जिलाध्यक्षों को भी मुक्त किया जा सकता है।

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने एक बार फिर जिलाध्यक्षों को विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देने के संकेत दे दिए हैं। इसके बाद से ऐसे जिलाध्यक्षों में हलचल शुरू हो गई है, जो किसी भी हालत में अगला विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। संगठन सूत्र बताते हैं कि ये नेता पार्टी के नेताओं के सामने भी अपनी बात रख चुके हैं कि उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट दिया जाना चाहिए, चुनाव लड़ने के इच्छूक ये नेता अपने आकाओं के माध्यम से टिकट के लिए लॉबिंग भी कर रहे हैं। हालांकि पार्टी ने ऐसे नेताओं पर अभी विचार नहीं किया है।

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इसके लिए ऐसे नेताआें को यह कहकर संतुष्ठ किया जा रहा है कि यदि वे जीत के प्रवल दावेदार होंगे तो पार्टी उन्हें जिलाध्यक्ष रहते हुए भी चुनाव मैदान में उतारेगी। लेकिन राकेश सिंह के बयान के बाद आधा दर्जन से ज्यादा जिलाध्यक्ष प्रदेश कार्यालय में नेताओं के यहां हाजिरी देते नजर आए।  ऐसे में चुनाव लड़ने के इच्छुक कुछ जिलाध्यक्षों को जल्द ही संगठन की जिम्मेदारी से मुक्त किया जा सकता है।

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इन जिलों के अध्यक्षों की हो चुकी है छुट्टी,भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने अपने 4 महीने के कार्यकाल में 10 जिलाध्यक्षों को बदल दिया है। जिन जिलों के जिलाध्यक्ष बदले गए हैं उनमें  देवास, खरगोन, जबलपुर ग्रामीण, सीधी, नरसिंहपुर, बैतूल, विदिशा, राजगढ़, इंदौर शहर, उज्जैन सिटी के पदाधिकारी शामिल हैं। बताया गया कि हटाए गए जिलाध्यक्ष अब टिकट के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। हालांकि प्रदेश नेतृत्व का तर्क है कि जिलाध्यक्षों को हटाए जाने का टिकट से कोई सरोकार नहीं है। चुनावी साल में काम-काज के आधार पर जिलाध्यक्षों को बदला गया है। उन्हें जिलों से हटाकर प्रदेश में पदाधिकारी बनाया गया है।

 

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