फर्जी कर्ज दिखाकर हथिया ली राहुल-सोनिया ने 5 हजार करोड़ की संपति

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  • फर्जी कर्ज दिखाकर हथिया ली राहुल-सोनिया ने 5 हजार करोड़ की संपति

 

  • नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एजेएल पर यंग इंडियन का कब्जा

 

वरिष्ठ पत्रकार – रासबिहारी 

 

नई दिल्ली- 

नेशनल हेराल्ड घोटाले मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, उनकी मां सोनिया गांधी, बहन प्रियंका गांधी, पार्टी के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस आयकर विभाग की जांच में फंस गए हैं। देश की स्वतंत्रता से पहले अंग्रेजी हुकुमत की तोपों का मुकाबला करने के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अखबार निकाले थे। नेशनल हेराल्ड ने आजादी से पहले और बाद में भी पत्रकारिता की स्वतंत्रता के लिए बड़ी भूमिका निभाई थी। पंडित नेहरू नेशनल हेराल्ड के पहले संपादक बने। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बड़ी भूमिका निभाने वाले अखबारों की कंपनी की संपति हथियाने के लिए कांग्रेस के नेताओं ने कानून को भी ताक पर रख दिया।

 

 

2011 में कांग्रेस ने एसोसिएटेड जर्नल लि. को 90 करोड़ का फर्जी कर्ज देकर सारी देनदारी ले ली थी। फर्जी तरीके से एजेएल की पांच हजार करोड़ की संपति पर सोनिया, राहुल, वोरा और फर्नांडिस की स्वामित्व वाली कंपनी यंग इंडियन ने कब्जा कर लिया। इस मामले को लेकर अदालत में चुनौती दी गई थी। आयकर विभाग ने जांच में खुलासा किया है कि जिस कर्ज के आधार पर यंग इंडियन कंपनी ने एजेएल की संपत्ति खरीदी थी, वह 90 करोड़ का कर्ज कभी दिया ही नहीं गया था। कर्ज केवल कागजों पर ही दिखाकर एजेएल की संपत्ति यंग इंडियन के हवाले कर दी गई।

 

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आयकर विभाग ने जांच में पाया है कि 90 करोड़ के फर्जी कर्ज को चुकाने के लिए यंग इंडियन ने एसोसिएटेड जर्नल लि. को आंशिक तौर पर केवल 50 लाख रुपये दिए थे। पिछले साल दिसंबर में आयकर विभाग ने यंग इंडियन कंपनी के बारे में यह आदेश जारी किया है। आयकर विभाग ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी के स्वामित्व वाली कंपनी यंग इंडियन पर145 करोड़ का जुर्माना भी लगाया है।आयकर विभाग ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस को धोखाधड़ी और फर्जी तरीके से एसोसिएटेड जर्नल लि. का अधिग्रहण करने का आरोपी पाया है। आयकर विभाग ने यह जुर्माना यंग इंडियन को आयकर भरने की छूट की समाप्ति के बाद लगाया है। कंपनी ने2010-2011 के आयकर एसेसमेंट में अपनी आय शून्य बताई थी। आयकर विभाग  ने यह भी साबित किया है कि यंग इंडियन किसी तरह के चेरिटेबल कार्य नहीं कर रही है।

 

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आयकर विभाग ने 26 अक्टूबर 2017 को एक्ट की धारा 12एए(3) तहत आदेश जारी करके यंग इंडिया को कर छूट की सुविधा समाप्त कर दी थी। मुख्य आयकर आयुक्त पूर्वी ने धारा 12ए के तहत रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिया। आयकर विभाग ने अपनी जांच में पाया है कि एक्ट की धारा 28(iv) के तहत कंपनी ने व्यवसाय के जरिये 413,40,55,980 रुपये अर्जित किए। सेक्शन 68 के तहत कंपनी को एक करोड़ भी मिले। 1,48,687 रुपये खर्च के बाद कंपनी करयोग्य आय 414,40,07,493 आंकी गई है। आयकर विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि यंग इंडियन कंपनी को 890 दिनों से ज्यादा का समय दिया गया। असेसमेंट के लिए 44 अवसर दिए गए। यंग इंडियन कंपनी की तरफ आयकर विभाग को किसी तरह का सहयोग नहीं किया गया।  आयकर विभाग ने जांच में पाया कि यंग इंडिया ने एजेएल की संपति से फायदा तो उठाया ही साथ ही कोई कोई टैक्स भी नहीं चुकाया।

 

 

आयकर विभाग की तरफ से वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं पर फर्जी कर्ज देने के आरोप के साथ ही यह आरोप भी लगाए है कि एक बुक इंट्री के जरिये एजेएल के 9.021 करोड़ के 99 फीसदी शेयर यंग इंडियन कंपनी ने हासिल कर लिए। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 90.21 करोड़ के फर्जी कर्ज चुकाने के लिए यंग इंडियन ने एक हवाला कारोबार के जरिये एक करोड़ की इंट्री खातों में दिखाई है। आयकर विभाग ने यह भी खुलासा किया है कि एजेएल की संपत्ति यंग इंडियन को देने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का ही निदेशक बना दिया गया। एजेएल के निदेशक बनने के बाद कांग्रेस के नेताओं ने बिना कानूनी कार्यवाही पूरी किए ही संपति यंग इंडियन के  नाम कर दी। एजेएल के सौ फीसदी शेयर पाने के लिए यंग इंडियन के निदेशक राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने रतनदीप ट्रस्ट और जनहित निधि ट्रस्ट से 47513 और 262411 शेयर भी लिए गए। आयकर विभाग ने अपनी जांच में एजेएल की संपति के बाजार भाव का पता भी लगाया है। एजेएल की संपति दिल्ली, पटना, पंचकूला, मुंबई और लखनऊ में है। आयकर विभाग की जांच के बाद राहुल गांधी और सोनिया गांधी की समस्याएं और बढ़ सकती है।

 

 

 

यंग इंडियन कंपनी पर आयकर विभाग के जुर्माना लगाने के बाद नेशनल हेराल्ड मामले में आयकर विभाग के जुर्माना लगाने के बाद ‘यंग इंडियन’ कंपनी को केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने भी झटका दिया है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने नोटिस जारी कर हेराल्ड हाउस खाली करने को कहा है। मंत्रालय को शिकायत की गई थी कि प्रेस एरिया में समाचार पत्र प्रकाशित करने के लिए आवंटित जमीन का उपयोग अन्य कार्यों में किया जा रहा है। जांच के बाद मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। दस साल से इस इमारत से कोई अखबार ही प्रकाशित नहीं हो रहा है। इसमें आवंटन नियमों का उल्लंघन किया गया है। जांच में पाया गया कि पिछले आठ साल से इमारत के स्वामित्व वाली कंपनी ‘यंग इंडियन’ ने किराये  उठा रखा है। किराये से यंग इंडियन कंपनी को हर महीने 80 लाख रुपये से अधिक की धनराशि मिलती है। हेराल्ड हाउस की दो फ्लोग पासपोर्ट सेवा केंद्र को किराये पर दिए गए हैं। आयकर विभाग ने कंपनी पर इसी आधार पर जुर्माना लगाया है। शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियो ने भी हेराल्ड हाउस का निरीक्षण किया था। यह पाया गया कि हेराल्ड हाउस से किसी अखबार का प्रकाशन नहीं हो रहा है। नेशनल हेराल्ड को 2008 में बंद कर दिया गया था।

 

 

समाचार पत्र के प्रकाशन के लिए 1950 में हेराल्ड हाउस के लिए बहुत ही सस्ती दर पर जमीन का आवंटन पट्टे पर किया गया था। प्रेस एरिया में अन्य मीडिया घरानों को भी जमीन का आवंटन किया गया था। दिल्ली के हेराल्ड हाउस की तरह ही एजेएल को अन्य शहरों में कांग्रेसी सरकारों के दौरान जमीन का आवंटन किया गया था। बहुत ही सस्ती दरों पर लखनऊ, पटना, मुंबई, पंचकुला, भोपाल और इंदौर में जमीन दी गई थीं। इन सभी मामलों की जांच विभिन्न राज्यों में वहां की सरकारें अपने स्तर पर कर रही हैं।  2011 में कांग्रेस ने एजेएल को 90 करोड़ रुपये का फर्जी कर्ज देकर सभी देनदारिया ली थीं। बाद में पांच लाख रुपये से यंग इंडियन कंपनी की शुरुआत की गई। कंपनी में राहुल गांधी और सोनिया गांधी की 38-38फीसदी और कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे मोतीलाल वोरा तथा ऑस्कर फर्नांडिस की 24-24 फीसदी की हिस्सेदारी दिखाई गई।

इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रहमण्यम स्वामी ने अदालत में अर्जी दायर की थी। अदालत से सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जमानत दी गई है। सोनिया, राहुल, बोरा (कांग्रेस कोषाध्यक्ष), फर्नाडिस (कांग्रेस महासचिव), दूबे और पित्रोदा को आईपीसी की धारा 403 (बेईमानी से सम्पत्ति की हेराफेरी), धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), धारा 120बी (आपराधिक साजिश) के आरोप हैं। इस मामले में राहुल गांधी ने हाई कोर्ट से निचली अदालत में सुनवाई रोकन की अपील की थी। सोनिया, राहुल, वोरा, फर्नांडिस के अलावा सुमन दुबे और सैम पित्रोदा को आरोपी बनाया गया है। सुब्रमण्यन स्वामी ने आरोप था कि गांधी परिवार हेराल्ड की संपति का गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहा है। वे इस आरोप को लेकर 2012 में कोर्ट गए थे। लंबी सुनवाई के बाद 26 जून 2014 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी के अलावा मोतीलाल वोरा, सुमन दूबे और सैम पित्रोदा को समन जारी कर पेश होने के आदेश जारी किए थे। तब से यह मामला कोर्ट में चल रहा है। आयकर विभाग के खुलासे के बाद अब सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ भी की जा सकती है।

 

अदालत ने कार्यवाही रोकने से किया था इंकार

मई 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड मामले में यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आयकर विभाग कार्यवाही पर रोक लगाने से मना कर दिया था। हाई कोर्ट ने इस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को आयकर विभाग के अधिकारियों से बातचीत करने को कहा था। अदालत ने भी पाया कि कंपनी ने अपनी शिकायतों के साथ आकलन अधिकारी से संपर्क नहीं किया है। हाई कोर्ट कहा कहना था कि वह पहले आयकर विभाग से संपर्क करे और अपने दस्तावेज सौंपे। अगर वह तब भी संतुष्ट नहीं होती है तो कंपनी उसके बाद ही अदालत का दरवाजा खटखटाएं। कंपनी की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिका वापस ले ली थी। अदालत ने इसे स्वीकार कर लिया और इसे वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने 19 मार्च 2018  को यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ 249.15 करोड़ रुपये की इनकम टैक्स की मांग की कार्यवाही में 10 करोड़ रुपये जमा कराने के निर्देश दिए थे। जज एस रवीन्द्र भट और जज ए.के. चावला की पीठ ने कंपनी को 31 मार्च तक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में दस करोड़ रूपए आधी राशि जमा कराने और शेष राशि 15 अप्रैल तक जमा कराने का आदेश दिया था। इससे पहले नेशनल हेराल्ड के आय के जानकारी वाले स्रोतों से अधिक संपत्ति के मामले में निचली अदालत ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ- साथ कंपनी को बतौर आरोपी समन भेजा था। हाईकोर्ट ने कहा था अगर कंपनी यह राशि जमा कर देती है तो इनकम टैक्स अधिकारी वित्त वर्ष 2011-12 के लिए कंपनी पर बकाया 249.15 करोड़ रुपये की राशि की मांग लागू नहीं करेंगे।

 

राहुल को अंतरिम राहत नहीं,

नेशनल हेलाल्ड मामले में दिल्ली हाई कोर्ट से राहुल गांधी को निराशा हाथ लगी है। राहुल गांधी ने यंग इंडियन कंपनी में उनके डायरेक्टर होने का खुलासा नहीं करने के लिए आयकर विभाग द्वारा 2011-12 की उनकी आय का आकलन दोबारा शुरू करने बुधवार को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति एस. रवींद्र और न्यायमूर्ति ए.के. चावला की पीठ ने राहुल गांधी के वकील की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें विभिन्न मीडिया संगठनों पर इस संबंध में समाचार प्रकाशित करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। राहुल ने आयकर विभाग द्वारा उन्हें जारी एक नोटिस को न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसमें विभाग ने नेशनल हेराल्ड और यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के बीच वर्ष 2011-12 में हुए वित्तीय लेन-देन के कर आकलन को फिर से खोले जाने के संबंध में नोटिस जारी किया था।

नेहरु की बनाई कंपनी विवादों में

पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1938 में ‘द नेशनल हेराल्‍ड अखबार’ की स्‍थापना की थी। नेशनल हेराल्ड के अलावा हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज का प्रकाशन भी किया जाता था। सेक्शन 25 के तहत बनाई गई द असोसिएटेड जरनल्‍स लिमिटेड (एजेएल) नाम की कंपनी प्रकाशित करती थी। इस तरह की कंपनियों को कला, साहित्‍य, विज्ञान, वाणिज्‍य आदि को बढ़ावा देने के लिए बनाया जाता है। इस तरह की कंपनियां लाभ कमाने के लिए नहीं बनाई जाती हैं।

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू नेशनल हेराल्ड के पहले संपादक थे। 1942 में अंग्रेजों ने भारतीय समाचार पत्र और पत्रिकाओं के खिलाफ कार्रवाई शुरु की तो अखबार को बंद करना पड़ा। सन 1942 से लेकर 1945 तक अखबार का एक भी अंक प्रकाशित नहीं हो पाया। 1945 के अंत में नेशनल हेरल्ड को फिर से प्रकाशित करने का प्रयास किया गया। नेहरू के प्रधानमंत्री बनने के बाद के राम राव हेराल्ड के संपादक बनाया गया। 1946 में इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ने नेशनल हेराल्ड का कामकाज संभाला था। उस एम चलपति राव अखबार के संपादक थे। 1977 में आपातकाल के बाद कांग्रेस की हार के बाद भी अखबार बंद हो गया था। राजीव गांधी के समय फिक से अखबार निकाले गए और 2008 में नेशनल हेरल्ड बंद हो गया। नवजीवन और कौमी आवाज पहले ही बंद हो गए थे। अप्रैल 2008 से नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन भी बंद कर दिया था। दो साल पहले एसोसिएटड जर्नल लि की तरफ से अखबारों का प्रकाशन शुरु करने की घोषणा की थी।

 

कांग्रेस ने नेशनल हेरल्ड के प्रकाशन के ले एजेएल को को बिना ब्‍याज और सिक्‍युरिटी के कई साल तक उसे कर्ज दिया। ऐसा 2010 तक चलता रहा। मार्च 2009 के आखिर तक एजेएल को दिया गया कथित कर्ज 78.2 करोड़ रुपए का था और मार्च 2010 तक यह बढ़कर 89.67 करोड़ रुपए हो गया। कंपनी को मिली जमीन की कीमत कर्ज से बहुत ज्यादा थी। एजेएल ने कांग्रेस से लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए कभी कोशिश भी  नहीं की। वरिष्‍ठ कांग्रेसी नेता मोतीलाल वोरा 22 मार्च 2002 से इस कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक थे। साथ ही वह कांग्रेस के खजांची भी थे।

 

23 नवंबर 2010 को यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड नाम की सेक्‍शन 25 कंपनी बनाई गई। गांधी परिवार के खास सुमन दुबे और सैम पित्रोदा जैसे लोग इसके निदेशक थे। 13 दिसंबर 2010 को राहुल गांधी को इस कंपनी का डायरेक्‍टर बनाया गया। 22 जनवरी 2011 को सोनिया भी यंग इंडिया के बोर्ड ऑफ डायरेक्‍टर्स में शामिल हुईं। वोरा और कांग्रेस के राज्‍यसभा सदस्‍य ऑस्‍कर फर्नांडीज भी उसी दिन यंग इंडियन के बोर्ड में शामिल किए गए। इस कंपनी के 38-38 फीसदी शेयरों पर राहुल और सोनिया की हिस्‍सेदारी है।

 

बाकी के 24 पर्सेंट शेयर वोरा और फर्नांडिस के नाम हैं। 2010 में कांग्रेस ने एजेएल के हिस्‍से के 90 करोड़ रुपए के कर्ज को यंग इंडियन पर डालने का फैसला किया। इस तरह से एजेएल के कागजों में यंग इंडियन उसके कर्ज की हिस्‍सेदार हो गई। वो कर्ज जो कांग्रेस ने ही दिया था। इसके ठीक बाद, दिसंबर 2010 में इस 90 करोड़ रुपए के कर्ज के बदले एजेएल ने अपनी पूरी कंपनी यंग इंडियन को देने का फैसला किया। यंग इंडियन ने इस अधिग्रहण के लिए 50 लाख रुपए चुकाए। इस पूरी डील की वजह से कांग्रेस से 90 करोड़ रुपए का कर्ज लेने वाली एजेएल पूरी तरह यंग इंडियन की सहायक कंपनी में तब्‍दील हो गई। यंग इंडियन, जिसपर राहुल गांधी,सोनिया गांधी, मोतीलाल वोरा और ऑस्‍कर फर्नांडीज का मालिकाना हक है।

 

अदालत में यंग इंडियन द्वारा एजेएल के अधिग्रहण को चुनौती दी गई है। अदालत में सवाल किया गया है कि सोनिया और राहुल की 38-38 प्रतिशत भागीदारी वाली यंग इंडियन लिमिटेड कंपनी पर एजेएल के 90 करोड़ रुपए की देनदारी क्‍यों डाली गई? यंग इंडियन के शुरू होने के एक महीने बाद ही कैसे एजेएल उसकी सहायक कंपनी बन गई। साथ ही यंग इंडियन एजेएल की पूरे भारत में स्‍थ‍ित संपति की मालिक कैसे बनी।

 

अदालत में यह भी चुनौती दी गई है कि एजेएल ने अपनी संपति के कुछ हिस्‍से का इस्‍तेमाल करके कर्ज क्‍यों नहीं चुकाया? यह भी पूछा गया है कि एजेएल ने यंग इंडियन कंपनी से अधिग्रहण के लिए अपने 1000 से ज्‍यादा शेयरधारकों की मंजूरी ली कि नहीं। सवाल यह भी उठाया गया है कि जनप्रतिनिधित्‍व अधिनियम 1951 के तहत कोई राजनीतिक दल किसी को कर्ज नहीं दे सकती। ऐसे में कांग्रेस ने एजेएल को कर्ज कैसे दिया।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा भी घेरे में

भारतीय जनता पार्टी के नेता डा. सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ कर चोरी और धोखाधड़ी का आरोप लगाते पटियाला हाउस अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के बाद अदालत ने ई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को इस मामले में जांच के निर्देश दिए थे। ईडी ने सोनिया और राहुल पर प्राइमरी जांच के मामले भी दर्ज किए। राहुल और सोनिया पर पर फेमा नियमों का उल्लंघन का मामला दर्ज है। पंचकूला में नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को प्लाट आवंटन करने में ईडी  के जवाब पर एजेएल की तरफ से जवाब हाईकोर्ट में दाखिल करने पर कोर्ट ने जवाब रजिस्ट्री में दाखिल करने को कहा है। ईडी की तरफ से अदालत को बताया गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने पद का दुरुपयोग कर एजेएल को लाभ पहुंचाया। करोड़ों रुपये का प्लाट महज 59 लाख रुपये में फिर से आवंटित कर दिया गया। एजेएल को 1982 में एक प्लॉट का आवंटन किया गया था। इस प्लॉट की लीज अवधि 1996 में समापत् हो गई थी। कांग्रेस के फिर से 2005 में फिर से सत्ता में आने के बाद एजेएल को प्लॉट फिर से दे दिया ।

एजेएल को 3360 वर्ग मीटर का प्लाट संख्या 17 पंचकूला के सेक्टर-6 में नियमों को ताक पर पर रख दोबारा आवंटित किया गया। हरियाणा विजिलेंस ब्यूरो ने मई 2016 में हुडा और चार अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। ब्यूरो ने आरोप लगाया था कि हुडा के तत्कालीन चेयरमैन और अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों से राज्य को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा। ब्यूरो का कहना है कि  एजेएल को फिर से अलॉट करने की बजाय खुली बोली के माध्यम से बेचा जाना चाहिए था। प्लॉट आवंटन के समय हुड्डा हरियाणा के मुख्यमंत्री थे। आरोप है कि एजेएल को यह जमीन आबंटित करने के लिए नियमों की अनदेखी की गई। एजेएल को हुए इस जमीन आवंटन के चलते राज्य सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का  नुकसान भी हुआ।

 

हुड्डा उस समय हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (हुडा) के चेयरमैन थे। ये प्लॉट 496 वर्ग मीटर से लेकर 1280 वर्ग मीटर तक के थे। जमीन के लिए हुडा के पास 582 आवेदन आए थे। आवंटन के समय 14 कंपनियों का चयन किया गया था। सीबीआई ने हुड्डा के खास रहे अफसरों से पूछताछ शुरु की है। हुडा के तत्कालीन मुख्य प्रशासक एसएस ढिल्लों से सीबीआई के अधिकारियों ने प्लाट आवंटन को लेकर चंडीगढ़ कार्यालय में पूछताछ की थी। सीबीआई ने प्लाट के दोबारा आवंटन के समय हुडा के मुख्य प्रशासक, प्रशासक और टीसीपी विभाग की वित्तायुक्त होने के नाते पांच अप्रैल 2017 को विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया था।