महाकुंभ 2019 का आगाज, संतों व श्रद्धालुओं ने किया पहला शाही स्नान

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प्रयागराज-

कुंभ भारत की संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है। साथ ही भारत की पुरातन पंरपराओं की झलक भी इस मेले में देखने को मिलती है। प्रयागराज में महाकुंभ 2019 का आगाज हो चुका है। पहले शाही स्नान पर्व पर अखाड़ों के नागा संन्यासियों, महामंडलेश्वरों, साधु-महात्माओं सहित लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में पुण्य की डुबकी लगाकर कुंभ का श्रीगणेश कर दिया। मंगलवार को सवेरे 5 बजे से शुरू स्नान पूरे दिन जारी रहेगा। सुबह सबसे पहले 6.05 बजे महानिर्वाणी के साधु-संत पूरे लाव-लश्कर के साथ शाही स्नान को संगम तट पर पहुँचे। इसके साथ अखाड़ों के स्नान का क्रम प्रारंभ हुआ। सभी अखाड़ों को बारी-बारी से स्नान के लिए 30 मिनट से 45 मिनट तक का समय दिया गया है।
प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों के संगम स्थल पर नागा साधुओं और फिर अन्य अखाड़ों के साधु व संतों के शाही स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने संगम तट पर डुबकी लगाई।5

मंगलवार को सूर्य के मकरगति होने के साथ ही तीर्थराज प्रयाग में संगमतट पर कुंभ का महापर्व शुरू हो गया। ठंड के बाद भी दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन की गर्मी का जोश प्रयागराज के पग-पग पर अपने रंग में नजर आने लगा है।

साधु-संतों के साथ आम श्रद्धालुओं भी संगम सहित अलग-अलग घाटों पर आधी रात से स्नान कर रहे हैं। कड़ी सुरक्षा के बीच घाटों पर नहाने और पूजा पाठ का सिलसिला जारी है। पारा 10 डिग्री सेल्सियस से भी कम होने के बाद भी बड़ी तादाद में लोग डुबकी लगा रहे हैं।
जिस समय अमृतपूर्ण कुंभ को लेकर देवताओं एवं दैत्यों में संघर्ष हुआ उस समय चंद्रमा ने उस अमृत कुंभ से से अमृत के छलकने की रक्षा की और सूर्य ने उस अमृत कुंभ के टूटने से रक्षा की। देवगुरू बृहस्पति ने दैत्यों से रक्षा की और शनि ने इंद्रपुत्र जयंत के हाथों से इसे गिरने नहीं दिया। इसलिए देवताओं और राक्षसों की लड़ाई के दौरान जिन-जिन जगहों पर (हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन, नासिक) और जिस-जिस दिन सुधा का कुंभ छलका, उन्हीं-उन्हीं स्थलों में उन्हीं तिथियों में कुंभपर्व का आयोजन होता है।

1,50,000 से ज्यादा नागा साधु हैं जूना अखाड़ा में।

13 अखाड़ों को प्राप्त है अर्द्धकुंभ और महाकुंभ में शाही स्नान का अधिकार

-07 अखाड़े हैं सन्यासियों के जूना, आवहान, पंचअग्नि, निरंजनी, महानिर्वाणी, आनंद और अटल

-03 अखाड़े वैरागियों के होते हैं- दिगंबर, निर्मोही और निर्माणी।

-02 अखाड़े उदासीन परंपरा के होते हैं-

पंचायती बड़ा और पंचायती नया।

निर्मल अखाड़ा सबसे अंत में स्नान करते हैं।

सन्यासियों के साथ अखाड़ों में सिर्फ अग्नि आखाड़ों में नागा नहीं होते, बाकी सभी आखाड़ों में नागा सन्यासी होती है।