नवीन पटनायक ने भारत सरकार से धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने के वादे पर तत्काल कार्रवाई की मांग की

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-राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल नेतृत्व करेगा।

नईदिल्ली-

भारत सरकार से धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढाने के बारे में 2014 में किए गए अपने वादे को तत्काल पूरा करने की मांग करते हुए ओडिशा के माननीय मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य केंद्र सरकार का विशेषाधिकार है और केंद्र के बार बार अनुरोध के बावजूद इसकी अवहेलना की गई है। बीजू जनता दल ने मांग की कि धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढाया जाना स्वामीनाथन समिति की सिफारिश के अनुरूप है और एमएसपी को कम से कम 50 प्रतिशत बढाने के लिए अपने 2014 के घोषणा पत्र में किए गए वादे को पूरा करने के लिए सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। इस धरना में सभी बीजद सांसदों, पंचायत प्रतिनिधियों और किसान नेताओं और ओडिशा के किसानों ने भाग लिया। ओडिशा के माननीय मुख्यमंत्री ने तालकटोरा स्टेडियम में 10,000 से अधिक किसानों को संबोधित करते हुए कहा, किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की आत्मा है। मैं इस मांग को लेकर कई बार केंद्र सरकार के पास जा चुका हूं लेकिन इसे नजरअंदाज किया गया है। भाजपा ने 2014 में इसका वादा भी किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद वे अपना वादा भूल गए हैं।

ओडिशा के माननीय मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा, बीजेपी सरकार स्वामीनाथन समिति की सिफारिश के अऩुसार खाद्यान्न के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढाने के आश्वासन के साथ सत्ता में आई थी। ओडिशा राज्य विधानसभा से सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव में केंद्र सरकार से धान का एमएसपी 2930 रुपए प्रति क्विंटल तय करने का अनुरोध किया था। हमारे राज्य के सभी किसान केंद्र सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलने के कारण लगातार इसके लिए आंदोलन कर रहे हैं।

ओडिशा के माननीय मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सांसदों और विधायकों ने इस मुद्दे को संसद सहित विभिन्न मंचों पर कई बार उठाया है, लेकिन इसे बार बार अनदेखा किया गया है और केंद्र सरकार के द्वारा निर्धारित वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन के लिए सामान्य धान के लिए 1750 रुपए प्रति क्विंटल ओडिशा के किसानों को स्वीकार नहीं है। यह कीमत ओडिशा सरकार के अनुरोध पर विचार किए बिना तय की गई है। चूंकि धान के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य बीज, उर्वरक, खाद, सूक्ष्म पोषक तत्व, सिंचाई शुल्क और कृषि यंत्रों के लिए शुल्क जैसी चीजों को बढ़ती लागत के अऩुरुप नहीं है, इसलिए ओडिशा के किसान अपने उत्पाद के लिए उचित मूल्य प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं।

किसानों की भलाई को ध्यान में रखते हुए ओडिशा सरकार ने आजीविका और आय बढ़ाने के लिए कृषक सहायता (कालिया) योजना शुरू की है, जिससे राज्य के लगभग 92 प्रतिशत किसानों को लाभ होगा। राज्य सरकार ने 3 साल में कालिया के लिए 10,180 करोड़ रुपए निर्धारित किया है। यह योजना छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों को बीमा सहायता के साथ साथ वित्तीय, आजीविका, खेती में सहायता प्रदान करेगी। हालांकि कालिया योजना को विशेषज्ञों और कृषि अर्थशास्त्रियों से काफी सराहना और तारीफ मिल रही है, बीजेडी को लगता है कि केंद्र सरकार के लिए किसानों से मदद करने के लिए उनसे बातचीत करने और एमएसपी को संशोधित करने का सही समय है।

ओडिशा के माननीय मुख्यमंत्री भारत के माननीय राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को अपना ज्ञापन सौंपने के लिए वरिष्ठ बीजद नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।

इस अवसर पर बीजद मंत्री प्रताप जेना ने कहा, एमएसपी की मदद से न केवल संकट को कम किया जा सकेगा बल्कि यह किसानों के लिए आय सृजन का एक महत्वपूर्ण साधन भी है। वर्तमान सरकार का रुख स्पष्ट नहीं है। वे उत्पादन की लागत का 50 प्रतिशत तक धान के एमएसपी को बढ़ाने के वादे के साथ सत्ता में आए और फिर 21 फरवरी 2015 को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा कि वे वादे के मुताबिक मूल्य में वृद्धि नहीं कर सकते। तब से 2015 से ही वरिष्ठ मंत्री कीमत बढ़ाने का वादा कर रहे हैं-इसलिए हम इस विषय पर तत्काल ध्यान देने और स्पष्टता की मांग करते हैं। ओडिशा के किसानों का पूरी तरह से मोहभंग हो चुका है और उन्हें लगता है कि उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है जो उन्हें स्वीकार नहीं है।

धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य से न केवल संकट को कम किया जा सकेगा बल्कि यह किसानों के लिए आय सृजन का एक महत्वपूर्ण साधन भी है। बीज, उर्वरक, कीटनाशक, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि का खेती की लागत पर काफी प्रभाव पड़ता है। एक विश्लेषण के अऩुसार 2344 रुपए प्रति क्विंटल किसानों के द्वारा तय किए गए मानक इनपुट लागत है।

उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ओडिशा की राज्य सरकार ने राज्य किसानों को उपज के कम मूल्य के कारण संकट से बचाने के लिए धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 2930 रुपए प्रति क्विंटल यानी,उत्पादन की लागत से कम से कम 25 प्रतिशत तय करने का प्रस्ताव दिया था। ओडिशा मूल रुप से एक एक कृषि प्रधान राज्य है और धान राज्य की प्रमुख फसल है जिसकी खेती एक साल में 40 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है। फसल सभी प्रकार की कृषि पारिस्थितिक स्थिति में पैदा की जाती है। यहां कुछ निचली सतह वाले बाढ़ के मैदान है जहां धान को छोड़कर किसी अन्य फसल को उगाने का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। धान की खेती में ओडिशा राज्य का स्थान चौथा है। मूल रूप से ओडिशा एक कृषि अर्थव्यवस्था है और एमएसपी एक महत्वपूर्ण तत्व है जो राज्य की अर्थव्यवस्था को निर्धारित करता है।