नईदिल्ली के लिए नहीं है मोदी का स्वच्छता अभियान

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नई दिल्ली

पूरे जोर-शोर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छता अभियान को चलाए हुए चार साल हो गए हैं वहीं दिल्ली में इसकी कलई खुलती जा रही है। लगता है इन भाजपा नेताओं को जनता से कोई मतलब तो था नहीं, अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन का भी ख्याल नहीं है।

दिल्ली के सांसद लगातार सफाई अभियान चला रहे हैं। केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सांसद विजय गोयल ने नौ सेलिब्रिटी के साथ दिल्ली में सफाई अभियान चलाया था। तो चार साल पहले सांसद उदित राज ने प्रसिद्ध संगीतकार अन्नू मल्लिक के साथ सफाई अभियान चलाया। लेकिन दिल्ली के दिल कहे जाने वाला कनॉट प्लेस का नजारा हम आपको दिखाते हैं। जहां गंदगियों का अंबार है और सरकार लाचारा है। खासकर दिल्ली कॉफी होम से लेकर पी ब्लॉक का नजारा को देखने से साफ हो जाता है कि नगर निगम का सफाई अभियान में कोई दिलचस्पी नहीं है। खास बात यह है कि यहीं स्वच्छता अभियान का बड़ा सा बोर्ड भी लगा है। यह वह इलाका है जहां देशी पर्यटक तो आते ही है विदेशी पर्यटकों की तादाद काफी संख्या में होती है। खासकर स्टेट इपोरिया में। सामने है हनुमान मंदिर। जहां श्रद्धालुओं का तातां लगा रहता है। यहीं सुबह फुल मंडी भी लगती है जो सुबह तक साफ हो जाता है। स्टेट इंपोरिया के आगे नसेडियों की तादाद लगातार बढ़ रही है। रोड के किनारे ही आशियाने बनाए हुए हैं। जगह जगह इन इलाकों में आपको स्मेक लेते कई ग्रुप मिल जाएंगें। लेकिन यह प्रशासन को नहीं दिखेगा। स्मेकर का जमावड़ा थाने के सौ मीटर के अंतराल में है। स्टेट इपोरिया के आगे तो मल्ल तक किया हुआ है। जिसको हमारे फोटोग्राफर ने कैद भी किया है। इसी इंपोरियम के सामने डिवायडर पर स्मैकरों ने आशियाना बनाया हुआ है। ये डिवायडर के आस-पास ऐसी गंदगी फैलाएं है जिसको देखकर कोई भी शर्मिंदा हो जाए। वहीं उनका खाना भी बनता है और नित्य दिन कार्यक्रम भी होते हैं। स्टेट इंपोरियम से पी ब्लॉक के बीच तो ऐसी गंदगी फैली है जहां आपको अपने नाक पर रूमाल रखकर पार होना होगा। जहां कई नामी दुकान के साथ साथ वीयर-बार भी हैं। और इसी गैलरी में नसेडिए अपना काम करते दिख जाएंगें। खास बात यह है कि रिवोली सिनेमा के टिकट घर के सामने भी गंदगी फैली है और डस्टबिन उल्टा हुआ है। और यही पर रेयडी पर बाजार बिछा है। अगर नईदिल्ली का यह इलाका इतना गंदा है तो और जगह स्वच्छता अभियान का क्या हश्र हो रहा होगा यह अंदाजा लगाना ज्यादा कठिन नहीं है। हम आपको जो दिखा रहे हैं कोई रात के अंधेरे की नहीं बल्कि दिन के उजाले की कहानी है।