आशा कार्यकर्ताओं को दिया गया है प्रशिक्षण
शनिवार को जिला स्वास्थ्य समिति में कार्यशाला का आयोजन
बांका, 18 सितंबर
फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत 20 सितंबर से जिले के सभी लोगों को मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान के तहत डीईसी व एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी। इसे लेकर जिला स्वास्थ्य समिति ने शनिवार को एक कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ. वीके यादव, एसीएमओ डॉ. अभय प्रकाश चौधरी, डीआईओ डॉ. योगेंद्र प्रसाद मंडल, डीएस डॉ. सुनील कुमार चौधरी, वीडीसीओ आरिफ इकबाल, केयर इंडिया के राकेश कुमार, पीसीआई के रविकांत झा और डब्ल्यूएचओ के डॉ. शांतनू सेन मौजूद थे। इस दौरान फाइलेरिया से बचाव के लिए लोगों को दी जाने वाली दवा के बारे में बताया गया। अलग-अलग उम्र के लोगों को दवा खिलाने के नियमों की जानकारी दी गई। अभियान को दो चरणों में बांटा गया है। पहला चरण 20 से 23 सितंबर तक तो दूसरा चरण 1 से 10 अक्टूबर तक चलेगा। लाभुकों को एल्बेंडाजोल की गोली दवा चबाकर खानी है।
आशा कार्यकर्ताओं की दो सदस्यीय टीम बनाई गई: इसे लेकर आशा कार्यकर्ताओं की दो सदस्यीय 970 टीम जिले में बनाई गई है। टीम 14 दिनों तक क्षेत्र में लोगों को अपने सामने दवा खिलाएगी। अभियान के पहले सात दिन में एक आशा के क्षेत्र में पहले छह दिन घर-घर जाकर लोगों को दवा खिलाने के बाद सातवें दिन छूटे हुए घरों में जाकर लोगों को दवा खिलायी जाएगी। आठवें से 13वें दिन तक दूसरे आशा के क्षेत्र में लोगों को घर-घर जाकर दवा खिलाई जाएगी और 14वें दिन फिर छूटे हुए लोगों को दवा खिलायी जाएगी। दवा खिलाने के बाद आशा कार्यकर्ता रजिस्टर में लाभुकों का नाम भी दर्ज करेंगी। साथ ही अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग को केयर इंडिया और पीसीआई सहयोग भी कर रहा है। अभियान की सफलता को लेकर आशा कार्यकर्ता अपने क्षेत्र के लोगों को जागरूक भी कर रही हैं।
गर्भवती महिलाओं और दो वर्ष के कम उम्र के बच्चों को नहीं खिलाए जाएगी कोई गोलीः अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ता लोगों को अपने सामने ही डीईसी और एल्बेंडाजोल की गोली खिलाएंगी। दो से पांच वर्ष के बच्चों को डीईसी और अल्बेंडाजोल की एक गोली, छह से 14 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की दो और अल्बेंडाजोल की एक गोली और 15 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को डीईसी की तीन और अल्बेंडाजोल की एक गोली खिलाई जाएगी। अल्बेंडाजोल की गोली लोगों को चबाकर खाना है। दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कोई दवा नहीं खिलायी जाएगी। साथ ही गंभीर रूप से बीमार लोगों को भी दवा नहीं खिलाई जाएगी। दवा सेवन के बाद किसी तरह के सामान्य साइड इफ़ेक्ट से घबराने की जरूरत नहीं है। अमूमन जिनके अंदर फाइलेरिया के परजीवी होते हैं, उनमें ही साइड इफ़ेक्ट देखने को मिलते हैं। साइड इफ़ेक्ट सामान्य होते हैं जो प्राथमिक उपचार से ठीक भी हो जाते हैं।
क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है फाइलेरियाः जिला मलेरिया पदाधिकारी (डीएमओ) डॉ. वीके यादव ने कहा कि फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। क्यूलेक्स मच्छर घरों के दूषित स्थलों, छतों और आसपास लगे हुए पानी में पाया जाता है। इससे बचाव के लिए लोग घरों के आसपास गंदगी और पानी नहीं जमने दें। घर के आसपास साफ-सफाई रखें। बुखार आना, शरीर में लाल धब्बे या दाग होना, शरीर के किसी भी अंग में सूजन होना इसके लक्षण हैं। ज्यादातर इस बीमारी से ग्रसित लोगों के पांव या हाइड्रोसिल में सूजन हो जाती है। लोग इस बीमारी से सुरक्षित रह सकें इसके लिए सरकार हर साल में एक बार एमडीए अभियान चलाती है। इससे लोगों को जरूरी दवा उपलब्ध होती है, जो इस बीमारी को रोकने में सहायक होती है।