-अमरपुर के गदाल और धोरैया के काठबनगांव में सिंथेटिक पायराथायराइड का किया गया छिड़काव
-जिले के कुल आठ( अन्य छह प्रभावित) गांवों में अगस्त- अक्टूबर महीने में द्वितीय चक्र के छिड़काव का भेजा गया प्रस्ताव
बांका, 12 जुलाई-
जिले को कालाजार से मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत है। इसी सिलसिले में कालाजार से प्रभावित गांवों में सिंथेटिक पायराथायराइड का छिड़काव कराया गया। अभी पहले चरण के तहत अमरपुर प्रखंड के गदाल और धोरैया प्रखंड के काठबनगांव गांव में सिंथेटिक पायराथायराइड के छिड़काव का काम पूरा किया गया है। अगस्त-अक्टूबर महीने में जिले के इन दो गांव समेत कुल आठ कालाजार प्रभावित गांवों में सिंथेटिक पायराथायराइड के छिड़काव का प्रस्ताव है।
वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी आरिफ इकबाल ने बताया कि पहले चरण में उन दो गांवों में सिंथेटिक पायराथायराइड का छिड़काव किया गया जहां पर कि 2021 और 22 में कालाजार के मरीज मिले थे। जिले के प्रभावित इन दो गांव समेत अन्य छह गांवों में अगस्त-अक्टूबर में सिंथेटिक पायराथायराइड के छिड़काव को लेकर माइक्रो एक्शन प्लान बनाकर राज्य को प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद अगस्त-अक्टूबर में छिड़काव कराया जाएगा। मालूम हो कि अमरपुर प्रखंड के गदाल गांव में 2021 में कालाजार का मरीज मिला था, जो कि अब पूरी तरह से स्वस्थ है। इसी तरह धोरैया के काठबनगांव गांव में 2022 में कालाजार का मरीज मिला। वह भी अब ठीक है। दोनों मरीज के इलाज के साथ दवा का भी प्रबंध स्वास्थ्य विभाग की ओर से मुफ्त में किया गया। साथ ही विभाग की ओर से दोनों ही मरीजों को प्रति मरीज़ ₹7100 की सहायता राशि भी दी गई।
घर के पास जलजमाव नहीं होने दें: जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि कालाजार उन्मूलन को लेकर दवा का छिड़काव किया जा रहा है, लेकिन लोगों को भी बीमारी से बचाव के लिए घर के आसपास जलजमाव नहीं होने देना चाहिए। यदि जलजमाव की स्थिति है तो उसमें केरोसिन तेल डालना चाहिए। घरों के आस पास साफ सफाई रखनी चाहिए। सोते समय मच्छरदानी लगाएं। साथ ही बच्चों को पूरा कपड़ा पहनायें व शरीर पर मच्छर रोधी क्रीम लगाएं। कालाजार के खतरे को देखते हुए अपने घरों की भीतरी दीवारों और बथानों में कीटनाशक का छिड़काव कराने व आसपास के हिस्से को सूखा व स्वच्छ रखने की अपील की गई।
कालाजार की ऐसे करें पहचान: डॉ. बीरेंद्र ने बताया कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है। कालाजार के इलाज में लापरवाही से मरीज की जान भी जा सकती है। यह बीमारी लिश्मैनिया डोनोवानी परजीवी के कारण होता है। यदि व्यक्ति को दो सप्ताह से बुखार और तिल्ली और जिगर बढ़ गया हो तो यह कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। साथ ही मरीज.को भूख न लगने, कमजोरी और वजन में कमी की शिकायत होती है। यदि इलाज में देरी होता है तो हाथ, पैर व पेट की त्वचा काली हो जाती है। बाल व त्वचा के परत भी सूखकर झड़ते हैं। उन्होंने बताया कि कालाजार के संभावित लक्षण दिखने पर क्षेत्र की आशा से तुरंत संपर्क करना चाहिए और रोगी को किसी नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाना चाहिए।