कुपोषित बच्चों के विशेष खानपान व देखभाल की होती हैं सुविधाएं
जिले में नाटापन से ग्रसित बच्चों में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के अनुसार आया है सुधार
लखीसराय, 26 फरबरी-
कुपोषण को खत्म करने के लिए सरकार गंभीर है| कुपोषण से निबटने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र स्थापित किये गये हैं| पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चे को 14 दिनों के लिए रखा जाता है| डाक्टर की सलाह के मुताबिक उनका खानपान का विशेष ख्याल रखा जाता है| यहां रखा गया कोई बच्चा 14 दिनों में कुपोषण से मुक्त नहीं हो पाता है तो वैसे बच्चों को एक माह तक यहां रख कर विशेष देखभाल की जाती है| भर्ती हुए बच्चे के वजन में न्यूनतम 15 प्रतिशत की वृद्धि के बाद ही यहाँ से डिस्चार्ज किया जाता है| पोषण पुनर्वास केंद्र में मिलने वाली सभी सुविधाएं निःशुल्क होती हैं ।
जिले में नाटापन से ग्रसित बच्चों की संख्या घटकर 42.7 प्रतिशत-
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 की रिपोर्ट के मुताबिक लखीसराय जिला में 5 वर्ष से कम आयु के सौ बच्चों में से 50.6 प्रतिशत बच्चों की लंबाई उनकी आयु के हिसाब थी यानी वे नाटापन से ग्रसित थे| . वहीं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के अनुसार जिले में नाटापन से ग्रसित बच्चों की संख्या घटकर 42.7 प्रतिशत है । अगर हम जिले में अपनी आयु से कम वजन वाले बच्चों की बात करें तो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण4 के अनुसार 47.3 फीसदी थी वहीं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 अनुसार घटकर 45 .1 फीसदी है ।
जिला सिविल सर्जन पदाधिकारी डॉ आत्मानन्द कुमार ने बताया की जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या में आयी कमी से हमारा मनोबल बढ़ा है और हमारी यही कोशिश है कि हम इस क्षेत्र में और भी बेहतर तरीके से कार्य करें ।
ये हैं पोषण पुर्नवास केंद्र में भर्ती के मानक:
बच्चे को एनआरसी में भर्ती करने के लिए कुछ मानक निर्धारित हैं| इनमें बच्चों की विशेष जांच के तहत उनका वजन व बांह आदि का माप किया जाता है| 6 माह से अधिक एवं 59 माह तक के ऐसे बच्चे जिनकी बायीं भुजा 11.5 सेमी हो और उम्र के हिसाब से लंबाई व वजन न बढ़ता हो वह कुपोषित है| उसे ही पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया जाता है| इसके साथ ही दोनों पैरों में पिटिंग एडीमा हो तो ऐसे बच्चों को भी यहां पर भर्ती किया जाता है।
जानें पोषण पुनर्वास केंद्र पर मिलने वाली सेवाएं:
• रेफर किये गये बच्चों की पुन:जांच करना
• उनमें कुपोषण या अतिकुपोषण की पहचान करना
• बच्चे के पोषण का पूरा पूरा ख़्याल रखना
• बच्चों के पोषण पर अभिभावकों को उचित सलाह देना
• भर्ती हुए कुपोषित बच्चों की 24 घंटे पूरी देखभाल
• डिस्चार्ज के बाद हर 15 दिन में 2 माह तक फॉलोअप