कुष्ठ रोगियों से दूरी नहीं बनाएं, उसका इलाज करवाएं

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-सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क इलाज की है व्यवस्था
-ठीक होने के बाद कुष्ठ रोगी जी सकते हैं सामान्य जीवन
बांका, 29 जनवरी।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कुष्ठ रोगियों के प्रति स्नेह एवं सेवा भाव ऱखते थे। इसलिए उनकी पुण्य तिथि 30 जनवरी को हर साल कुष्ठ दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन समाज से कुष्ठ को खत्म करने के लिए लोग शपथ लेते हैं। दरअसल, कुष्ठ के प्रति समाज में कुछ भ्रांतियां हैं, जिस पर काम करने की जरूरत है। सबसे महत्वपूर्ण है छुआछूत। आमतौर पर लोग कुष्ठ को छुआछूत की बीमारी समझकर इससे भागने लगते हैं। कुष्ठ रोगियों से दूरी बनाने लगते हैं। जबकि कुष्ठ रोगियों को तत्काल अस्पताल ले जाने की जरूरत होती है। सभी सरकारी अस्पतालों में कुष्ठ रोगियों के लिए मुफ्त में इलाज की व्यवस्था है। इलाज नहीं करवाने पर उससे अन्य लोगों में संक्रमण हो सकता है। एसीएमओ डॉ. अभय प्रकाश चौधरी कहते हैं कि कुष्ठ दिवस पर आज हमलोग शपथ लेंगे कि कुष्ठ रोगियों से किसी तरह का भेदभाव नहीं करेंगे। अगर कोई कुष्ठरोगी दिखे तो तत्काल उसे अस्पताल ले जाकर उसका इलाज करवाएंगे। आज जिलेभर में शपथ ग्रहण कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। आशा कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर लोगों को इसके प्रति जागरूक करेंगी। साथ ही कुष्ठ रोगियों की पहचान कैसे करनी है, इसके भी तरीके बताएंगी।
कुष्ठ का पूर्ण इलाज संभवः डॉ. चौधरी कहते हैं कि कुष्ठ की बीमारी जीवाणु से होता है, जिसका पूर्ण इलाज संभव है। इसकी पहचान बहुत ही आसान है। चमड़े पर किसी प्रकार का दाग या धब्बा, जिसमें दर्द या खुजली नहीं होती है और वह जन्म से नहीं है तो वह कुष्ठ का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। समय से इलाज होने पर यह पूरी तरह से ठीक हो जाता है और वह पहले वाली जिंदगी जी सकता है। एमडीटी का पूरा खुराक नियमानुसार लेने के बाद कुष्ठ पीड़ित व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ्य हो सकता है। इलाज नहीं कराने पर उस व्यक्ति से कई लोगों में संक्रमण हो सकता है। इसलिए अगर कोई कुष्ठ रोगी दिखे तो उसका तत्काल इलाज करवाएं।
सहायता राशि का भी प्रावधानः अचिकित्सा सहायक मृत्युंजय कुमार सिंह कहते हैं कि कुष्ठ से पीड़ित व्यक्ति अगर विकलांग हो जाता है तो उसे 1500 रुपये प्रति महीने भिक्षाटन निवारण योजना के तहत दिया जाता है। यह राशि तबतक दी जाती है, जब तक वह जीवित रहते हैं। साथ ही अगर कुष्ठ से विकलांग हुए व्यक्ति के आश्रित जिनकी उम्र 18 साल से कम है, उसे भी परवरिश योजना के तहत एक हजार रुपये प्रति महीने दिया जाता है। इसलिए कुष्ठ रोग को छुपाएं नहीं और इसका इलाज करवाएं।
कालाजार और फाइलेरिया को लेकर भी लगातार चल रहा अभियानः आज एनटीडी दिवस है। इसके तहत सूचीबद्ध की गई बीमारियों में कालाजार और फाइलेरिया भी है। वी.डी.सी.आे आरिफ इकबाल ने बताया कि फाइलेरिया को खत्म करने हर साल जिले में एमडीए अभियान चलाया जाता है। इसके अलावा फाइलेरिया के रोगियों की लाइनलिस्ट के आधार पर अभियान चलाकर मोर्बिडिटी मैनेजमेंट के तहत किट दी जानी है। इसी तरह जिले के कालाजार प्रभावित गांवों में लगातार सिंथेटिक पाइरोथाइरायड का छिड़काव होता है। साथ में कालाजर के मरीजों की लगातार खोज भी होती है। हमलोग फाइलेरिया और कालाजार से जिले को मुक्त करने के लिए लगातार अभियान चलाते रहते हैं।