सासाराम/ 24 मई-
कोरोना संक्रमण माहमारी ने विपरीत परिस्थितियों में अपनी जिम्मेदारी व दायित्व निभाने में लोगों को एक नई सोच व राह दिखाई है जो अब किसी भी परिस्थितियों से निपटने के लिए मील का पत्थर साबित होगा। खास कर स्वास्थ्य विभाग के लिए कोरोना संक्रमण ने एक नया मार्ग प्रशस्त किया है कि किस तरह से हर समुदाय के लोगों तक पहुँच कर स्वास्थ्य सुविधा उप्लब्ध करायी जाए। खास कर रोहतास जिले में जो भौगोलिक स्थित है उस स्थिति में जिले के प्रत्यके लोगों तक पहुँच कर सुविधा पहुँचाना अपने आप में एक उपलब्धि ही माना जा सकता है। रोहतास प्रखण्ड भी उन्ही में से एक है जहां कई गांव हज़ारों फिट ऊपर पहाड़ों पर बसे है और आवा गमन भी काफी कठिनाईयों से भरा हुआ है। उस स्थिति में भी पहाड़ पर बसे लोगों को कोरोना काल से लेकर अब तक सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। रोहतास प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बीसीएम आज़ाद कुमार कोरोना काल से लेकर अभी तक उक्त पहाड़ पर बसे लोगों के बीच पहुँच कर सभी गतिविधियों को पूरा करने में अपने टीम के साथ बेहतर भूमिका निभा रहे हैं।
रात भर अभियान चला कर लोगों को किया गया टीकाकृत:
बीसीएम आज़ाद कुमार ने बताया कि कोरोना काल एक ऐसा वक्त था जो यह सीखा गया कि एक स्वास्थ्य कर्मी के दायित्व की कोई सीमा नहीं होती है। संक्रमण के भय के साये में रह कर दुसरो की जिंदगी बचाना एक बेहतर खुशी देने वाला अनुभव रहा है। उन्होंने बताया कि पहाड़ पर बसे नागाटोली, बुधुआ कला एवं तारडीह कुछ ऐसे गावँ थें जहाँ पहुंचने में तीन से चार घण्टा का समय लग जाता था ऐसे में वहां रात में रुक कर लोगों को कोरोना का जांच से लेकर टीकाकरण तक किया गया। उन्होंने बताया कि किसी किसी गाँव मे बिजली की व्यवस्था नही होती थी उस परिस्थिति में अपने वाहन का लाइट जल कर लोगों का कोरोना जाँच किया गया एवं उनको टीकाकृत किया गया।
खुद से रास्ता बना कर पहुँचना पड़ता था गावँ में:
आज़ाद कुमार ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्र पर कुछ ऐसा गांव है जहां जाने के लिए रास्ते नहीं होते थे वहां वाहनों को पहुंचाने के लिए खुद से पत्थरों का इस्तेमाल करके रास्ता बना कर गांव में बसे लोगों तक पहुंचकर लोगों को टीकाकरण किया गया. बीसीएम ने बताया कि पहाड़ पर टीकाकरण के लिए 2 से 3 दिन तक रुकना पड़ता था ताकि सभी लोगों को टीकाकृत किया जा सके.
टीकाकरण को लेकर लोगों को समझाना होता था मुश्किल:
आजाद कुमार ने बताया कि टीकाकरण को लेकर जो लोगों के मन में भय बना हुआ था वह पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों में देखने को मिला। जितने संक्रमण से लोग भयभीत नहीं थे उससे कई ज्यादा अधिक टीका को लेकर भय देखने को मिला। इस परिस्थिति में भी लोगों के साथ बेहतर समन्वय बनाकर उन्हें टीकाकृत किया गया।
कम्युनिकेशन सुविधा ना होना बन रहा था बाधा
आजाद कुमार ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्र पर कोई भी मोबाइल नेटवर्क काम नही कर रहा था। ऐसे में लोगों तक पहुंचना बहुत ही कठिन स्थिति थी। टीकाकरण से पूर्व आशा कर्मी को 1 दिन पूर्व उस गांव में भेजा जाता था. उन्होंने बताया कि वाहन कम्युनिकेशन के साथ-साथ मोबाइल कम्युनिकेश का ना होना भी हम लोगों के लिए एक चैलेंज साबित हो रहा था। बावजूद इसके जिला स्वास्थ समिति के वरीय अधिकारियों एवं आशा कर्मियों तथा टीम में शामिल है एएनएम के सहयोग से बेहतर उपलब्धि हासिल की जा सकी.