-सन्हौला प्रखंड में लोगों को टीबी के लक्षण और इलाज की दी जा रही जानकारी
-2025 से पहले जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए चलाया जा रहा अभियान
भागलपुर, 11 अप्रैल-
जिले को 2025 से पहले टीबी से मुक्त बनाना है। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग लगातार अभियान चला रहा है। इसी सिलसिले में कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) सन्हौला प्रखंड में जागरूकता रथ के जरिये लोगों को टीबी के प्रति जागरूक कर रहा है। ऑटो पर लाउडस्पीकर लगाकर गांव-गांव और घर-घर जाकर टीबी के लक्षण और उसके बचाव की जानकारी दी जा रही है। लोगों को दो हफ्ते तक लगातार खांसी होने, वजन कम होना, रात में पसीना आना समेत कई कारणों की जानकारी दी जा रही है। इसके साथ-साथ इससे बचाव की भी जानकारी दी जा रही है।
सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की व्यवस्थाः टीबी का सरकारी अस्पतालों में जांच से लेकर इलाज तक की व्यवस्था मुफ्त है। साथ में दवा भी मुफ्त में दी जाती है। इसलिए अगर टीबी के लक्षण दिखाई दे तो संकोच नहीं करना चाहिए। पैसे की चिंता किए बगैर नजदीकि स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच करवानी चाहिए। जांच भी मुफ्त में होती है। जांच में अगर टीबी की पुष्टि होती है तो उसका तत्काल इलाज शुरू कर देना चाहिए। इन बातों की जानकारी जागरूकता रथ के जरिये दी जा रही है।
पौष्टिक आहार के लिए दी जाती है राशिः केएचपीटी की डिस्ट्रिक्ट टीम लीडर आरती झा ने बताया कि सरकार न सिर्फ मुफ्त में लोगों का इलाज कर रही है, बल्कि टीबी से पीड़ित व्यक्ति को दवा के साथ-साथ पांच सौ रुपये प्रति महीने पौष्टिक भोजन के लिए भी देती है। इसलिए अगर किसी व्यक्ति को टीबी की बीमारी है तो वह निःसंकोच इलाज करवाएं। अगर इलाज नहीं करवाएंगे तो यह एक संक्रामक बीमारी है। एक व्यक्ति से यह बीमारी कई लोगों में फैल सकती है। उसके बाद उससे फिर कई लोगों में फैल सकती है।
बीच में नहीं छोड़ें दवाः सीडीओ डॉ. दीनानाथ ने बताया कि टीबी के मरीजों को बीच में दवा नहीं छोड़ना चाहिए। ऐसा करने से एमडीआर टीबी होने का खतरा रहता है। एमडीआर टीबी हो जाने के बाद उससे उबरने में समय लग जाता है। वैसे आमतौर पर टीबी की बीमारी छह महीने तक दवा खाने के बाद ठीक हो जाती है। कुछ लोग पहले भी ठीक हो जाते हैं और कुछ को अधिक समय भी लगता है। लेकिन एमडीआर टीबी ठीक होने में काफी समय लग जाता है, इसलिए टीबी के मरीज बीच में दवा नहीं छोड़ें।