केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) द्वारा सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) की सेवाएँ शुरू करने पर एक राष्ट्रीय महासंगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा कि, ‘पैक्स और सीएससी के एक होने से जहाँ गरीबों की सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी, वहीं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा और ताक़त मिलेगी तथा नए भारत के निर्माण में अधिकतम क्षमता का उपयोग भी संभव हो पाएगा। अब तक सीएससी में 17,176 पैक्स अपना पंजीकरण करवा चुके हैं, जिसमें से 6,670 ने अपना कार्य शुरू कर दिया है और अगले 15 दिनों में बाक़ी के पैक्स भी काम करना शुरू कर देंगे। इस कार्य से करीब 14,000 ग्रामीण युवाओं को रोजगार मिलेगा, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने और गाँव की सुविधाओं को सुदृढ़ करने का काम करेंगे।’
मोदी जी ने सहकारिता मंत्रालय का गठन किया और उसकी कमान अपने सबसे भरोसेमंद सिपहसालार और भाजपा के दिग्गज नेता अमित शाह के हाथों में सौंप दी। शाह के मार्गदर्शन में इसके बाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का सिलसिला शुरू हुआ। आज पैक्स और सीएससी को एक करके शाह ने मोदी जी के सहकारिता को मजबूत करने व डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने – दोनों संकल्पों का समन्वय कर उसे पूरा करने के मुहिम की शुरुआत कर दी है। अंत्योदय की विचारधारा से प्रेरित नेता शाह का स्पष्ट मानना है कि सीएससी की पहुँच को गाँव के गरीब-से-गरीब लोगों, भूमिहीन खेत मज़दूरों और दलित व आदिवासी समुदायों तक पहुँचाने के लिए पैक्स से बड़ा जरिया और कोई नहीं हो सकता।
मोदी जी के नेतृत्व और अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में भारत सरकार और राज्य सरकारों की 300 से अधिक योजनाओं को सीएससी से जोड़ा गया है। शाह का स्पष्ट मानना है कि सीएससी की पहुँच को गाँव के गरीब-से-गरीब लोगों तक पहुँचाने के लिए पैक्स से बड़ा कोई माध्यम नहीं हो सकता और अगर सहकारिता आंदोलन को मज़बूत बनाना है तो इसकी सबसे छोटी इकाई पैक्स को को मज़बूत बनाना होगा।
न्यूनतम गवर्नमेंट,अधिकतम गवर्नेंस के साथ अंतिम व्यक्ति तक भ्रष्टाचार रहित वितरण के सूत्रधार शाह के दिशा-निर्देश पर पैक्स का कंप्यूटरीकरण कर उन्हें पारदर्शी बनाया जा रहा है। साथ ही, उनका आधुनिकीकरण कर सरकार की डिजिटाइज़्ड योजनाओं को पैक्स के साथ जोड़ने की कवायद जोड़ों पर है।
गरीबों के संरक्षक शाह ने सीएससी के माध्यम से डिजिटल इंडिया मिशन के ज़रिए व्यवस्था से भ्रष्टाचार को समाप्त कर सभी सुविधाओं को ग़रीब के दरवाज़े तक पहुँचाने का बीड़ा उठा लिया है। पैक्स से लेकर अपेक्स तक की पूरी सहकारी व्यवस्था को मज़बूत कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में जुटे शाह का स्पष्ट मानना है कि सहकारिता से जुड़ी योजनाओं और निरंतर हो रहे सुधार जमीनी स्तर पर गाँव-गाँव तक पहुँचेंगे तो सहकारिता आंदोलन को मजबूत होने से कोई नहीं रोक सकता। इसी दिशा में शाह के मार्गदर्शन में सहकारिता मंत्रालय ने सालों से लंबित सहारा के निवेशकों का फँसा हुआ पैसा वापस दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद शाह ने सहारा रिफ़ंड पोर्टल का शुभारंभ किया, जिसके बाद वैध जमाकर्ताओं को उनका पैसा वापस मिलने की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है। इतिहास का यह पहला उदाहरण है जब किसी गरीब के फँसे हुए पैसे को वापस देने का निर्णय लिया गया। यह साबित करता है कि शाह बेसहारों के सहारा हैं।