पोषण की स्थिति में सुधार लाने के लिए होगी स्वस्थ्य बालक बा​लिका स्पर्द्धा 

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-बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति अभिभावकों में प्रतिस्पर्धा की भावना लाना उद्देश्य
-शून्य से 6 वर्ष के बच्चे होंगे शामिल, स्पर्द्धा 21 मार्च से 27 मार्च तक
-आईसीडीएस निदेशालय ने डीएम को दिये स्पर्द्धा संबंधी निर्देश
बांका,, 17 मार्च। बच्चों के पोषण संबंधी कठिनाइयों को दूर करने के लिए सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित कराते हुए देशव्यापी स्वस्थ्य बालक बालिका स्पर्द्धा का आयोजन 21 मार्च से 27 मार्च 2022 तक किया जायेगा। स्वस्थ बालक बालिक स्पर्द्धा के लिए संबंधित जिला के जिलाधिकारी नोडल पर्सन होंगे। इस कार्य में सीडीपीओ, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस संबंध में राज्य के समेकित बाल विकास सेवाएं निदेशालय के निदेशक आलोक कुमार ने जिलाधिकारी को पत्र लिख कर स्पर्धा आयोजन के संबंध में आवश्यक निर्देश दिये हैं।
पोषण ट्रैकर एप्लीकेशन में दर्ज होगी 0—6 वर्ष बच्चों की जानकारी:
निर्देश में कहा गया है प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों के पोषक क्षेत्र के शून्य से 6 वर्ष आयुवर्ग के सभी बच्चों की वृद्धि निगरानी कर उसकी जानकारी पोषण ट्रैकर एप्लीकेशन में दर्ज करायी जानी है। साथ ही वैसे ग्रामीण व शहरी इलाके जहां आंगनबाड़ी केंद्र अवस्थित नहीं हैं, उस स्थिति में संबंधित बाल विकास परियोजना पदाधिकारी वैसे क्षेत्र के सभी लाभार्थियों को नजदीक के आंगनबाड़ी केंद्रों के साथ टैग कर सभी शून्य से 6 वर्ष के बच्चों की  वृद्धि निगरानी कराते हुए पोषण ट्रैकर एप्लीकेशन में दर्ज कराना सुनिश्चित करायेंगे। साथ ही इस काम के लिए विभिन्न एंजेंसी जैसे एनजीओ, केयर इंडिया, पाथ फाइनडर, लायंस क्लब, रोटरी क्लब्स, रेसिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, पीडियाट्रिक एसोसिएशन, इम्प्लायर्स एसोसिएशन, स्कूल टीचर्स, यूथ क्लब्स, सीफार, इत्यादि की भी सहभागिता इस अभियान में ली जा सकती है। इस संबंध में शून्य से 6 वर्ष के सभी बच्चों की वृद्धि निगरानी करने के लिए आॅनलाइन पंजीकरण जिला प्रोग्राम पदाधिकारी के स्तर से पोषण ट्रैकर के वेबसाइट पर कराया जा सकता है।
पोषण की स्थिति में सुधार लाना स्पर्द्धा का उद्देश्य:
इस आयोजन का उद्देश्य शून्य से 6 वर्ष आयुवर्ग के बच्चों में पोषण की स्थिति में सुधार लाना, बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सामुदायिक स्तर पर जागरूकता तथा लोगों को बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर संवेदीकरण, अभिभावकों में बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति प्रतिस्पर्द्धा की भावना का बढ़ाना, आईसीडीएस सेवाओं से वंचित बच्चों तक कवरेज को बढ़ाना, नियमित रूप से बच्चों की वृद्धि का अनुश्रवण तथा कुपोषित बच्चों के लिए उपचारात्मक पहल किया जाना, नाटे, इुबले तथा कम वजन वाले बच्चों की पहचान और निवारण आदि शामिल है। बच्चों की वृद्धि निगरानी तथा माप के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों, प्राथमिक स्कूल, पंचायत भवन, घर, प्राथमिक तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या ऐसे अन्य स्थानों को चिह्नित कर वहां यह कार्य किया जायेगा।