-फाइलेरिया से बचाव को लेकर खिलाई जा रही अल्बेंडाजोल और डीईसी की गोली
-14 दिनों तक चला अभियान, अब मॉपअप राउंड चल रहा है जो दो मार्च तक चलेगा
बांका, 25 फरवरी-
फाइलेरिया से बचाव को लेकर जिले में एमडीए अभियान का मॉपअप राउंड चल रहा है। पहले 14 दिनों तक अभियान चलाया गया। इसके बाद छूटे हुए लोगों के लिए मॉपअप राउंड शुरू किया गया। मॉपअप राउंड के पहले दिन विशेष अभियान के तहत शनिवार को चांदन, शंभूगंज, बेलहर, फुल्लीडुमर, बौंसी और रजौन के विभिन्न प्रखण्ड कार्यालयों और पुलिस स्टेशन के कर्मियों एवं अन्य लोगों को सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम के तहत अल्बेंडाजोल और डीईसी की गोली खिलाई गई। वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी आरिफ इकबाल ने बताया कि अभियान के दौरान 14 दिनों में जिले के 21 लाख लोगों को अल्बेंडाजोल और डीईसी की दवा खिलाई गई थी। चूकि लक्ष्य 24 लाख है, इसलिए बचे हुए लोगों को मॉपअप राउंड में दवा की गोली खिलाई जा रही है। शनिवार को विशेष अभियान के तहत प्रखंड कार्यालयों और थाना में तैनात कर्मियों को दवा खिलाई गई। 2 मार्च तक मॉपअप राउंड चलेगा। इस दौरान जिले के 24 लाख लोगों को अल्बेंडाजोल और डीईसी की गोली खिला दी जाएगी। ऐसा मुझे उम्मीद है।
अभियान की ही तरह मॉपअप राउंड में भी चल रहा काम: वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी आरिफ इकबाल ने बताया कि मॉपअप राउंड में भी आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका और वॉलेंटियर क्षेत्र में जाकर लोगों को गोली खिलाने का काम कर रहे हैं। इस दौरान भी दो वर्ष अधिक उम्र के लोगों को अल्बेंडाजोल और डीईसी की गोली खिलाई जा रही है। दो से पांच साल तक के लोगों को अल्बेंडाजोल की एक और डीईसी की एक गोली खिलाई जा रही है। छह से 14 साल तक के लोगों को अल्बेंडाजोल की एक और डीईसी की दो गोली खिलाई जा रही है। 15 साल या इससे ऊपर के लोगों को अल्बेंडाजोल की एक और डीईसी की तीन गोली खिलाई जा रही है। इसके अलावा दो साल से कम उम्र के बच्चे, गंभीर रूप से बीमार और गर्भवती महिलाओं को दवा नहीं खिलाई जा रही है। साथ ही इस दौरान भी किसी को भूखे पेट गोली नहीं खिलाई जाएगी। सभी कुछ पहले की ही तरह चलेगा।
क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है फाइलेरिया: प्रभारी जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. योगेंद्र प्रसाद मंडल ने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है, जो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसका प्रकोप बढ़ जाने के बाद कोई पर्याप्त इलाज संभव नहीं है। लेकिन, इसे शुरुआती दौर में ही पहचान करते हुए रोका जा सकता है। इसके लिए संक्रमित व्यक्ति को फाइलेरिया ग्रसित अंगों को पूरी तरह साफ-सफाई करनी चाहिए। लगातार देखभाल करते रहने से फाइलेरिया के मरीजों को ज्यादा परेशानी नहीं होती है।