बदलते मौसम में मौसमी बीमारियों के साथ डायरिया की भी बढ़ी संभावना, रहें सतर्क और सावधान 

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– पोषक तत्व का करें उपयोग, डायरिया के प्रकोप से रहेंगे दूर
– गर्म और ताजा खाना का करें सेवन, साफ-सफाई का रखें विशेष ख्याल
खगड़िया, 12 जुलाई-
 मौसम में हो रहे  लगातार बदलाव के साथ   जहाँ सर्दी-खाँसी, जुखाम समेत अन्य मौसमी बीमारी आम हो गई है वहीं, इसके साथ डायरिया की भी संभावना बढ़ गई है। ऐसे में हमें विशेष सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है। डायरिया से बचाव को लिए लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। दरअसल, बदलते मौसम में डायरिया के प्रकोप में आने की  प्रबल संभावना हो जाती है। जिसके दायरे में कोई भी यानी सभी आयु वर्ग के लोग आ सकता है। डायरिया के कारण अत्यधिक निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) होने से समस्याएँ बढ़ जाती  और उचित प्रबंधन के अभाव में यह जानलेवा भी हो जाता है। इसके लिए डायरिया के लक्षणों के प्रति सतर्कता एवं सही समय पर उचित प्रबंधन कर डायरिया जैसे गंभीर रोग से आसानी से सुरक्षित किया जा सकता है।
– बदलते मौसम में सिर्फ मौसमी बीमारियाँ का ही नहीं, बल्कि डायरिया की भी रहती है आशंका :
परबत्ता सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ राजीव रंजन ने बताया, बदलते मौसम में   मौसमी बीमारियों के साथ  डायरिया व अन्य बीमारियों की भी संभावना बढ़ जाती है। इसलिए, लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की जरूरत है और खानपान का विशेष ख्याल रखना चाहिए। पौष्टिक आहार के  सेवन पर बल देना चाहिए। क्योंकि, पोषण युक्त खाना संक्रामक और मौसमी बीमारियों से बचाव में काफी हद तक सहयोग करता है।
– जाने  क्या है डायरिया और लक्षण :
टट्टी (पैखाना) की अवस्था बदलाव या सामान्य से ज्यादा बार, ज्यादा पतला या पानी जैसी होने वाली टट्टी ही डायरिया (दस्त) का पहला लक्षण है। इसके अलावा बच्चा बेचैन व चिड़चिड़ा है, अथवा सुस्त या बेहोश है। बच्चे की ऑखें डाउन हो रही है। बच्चे को बहुत ज्यादा प्यास लगना अथवा पानी नहीं पी पाना। चिकोटी काटने पर पेट के बगल की त्वचा खींचने पर धीरे-धीरे पूर्वावस्था में आना अर्थात त्वचा के लचीलेपन में कमी आना आदि डायरिया का ही कारण और लक्षण है।
– डायरिया होने पर 14 दिनों तक जिंक का करें सेवन :
डायरिया होने पर लगातार 14 दिनों तक जिंक का सेवन करें। 02 माह से 06 माह तक के बच्चों को जिंक का 1/2 गोली 10 मिग्रा पानी में घोलकर या माँ के दूध के साथ घोलकर चम्मच से पिलाएं। 06 माह से 05 साल के बच्चों को एक गोली साफ पानी के माँ के दूध में घोलकर पिलाएं। जबकि, दो माह से कम आयु के बच्चों को 05 चम्मच ओआरएस प्रत्येक दस्त के बाद पिलाएं। 02 माह से 02 वर्ष तक बच्चे को 1/4 ग्लास से 1/2 ग्लास प्रत्येक दस्त के बाद पिलाएं। 02 से 05 वर्ष तक के बच्चों को 1/2 से ग्लास प्रत्येक दस्त के बाद पिलाएं।
– जिंक सेवन के ये हैं विशेष लाभ :
जिंक सेवन से दस्त और तीव्रता दोनों कम होता है। तीन महीने तक दस्त का खतरा नहीं के बराबर रहता है। रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। जबकि, ओआरएस से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है एवं दस्त के खतरे से बचाव करता है।
– साफ-सफाई का रखें विशेष ख्याल :
डायरिया से बचाव को लेकर साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखने की जरूरत है। दरअसल, साफ-सफाई हमें ना सिर्फ किसी एक बीमारी बल्कि अनेकों बीमारी (खासकर संक्रामक)   से दूर रखती है। इसके लिए खाने से पहले हाथों की नियमित तौर पर अच्छी तरह सफाई करें। घर के आसपास गंदगी और जलजमाव नहीं होने दें।
– गर्म व ताजा खाना का करें सेवन :
डायरिया से बचाव को लेकर गर्म व ताजा खाना खाएँ और बासी खाना से दूर रहे हैं। फ्रिज में रखें खाना खाने से परहेज करें। इसके अलावा समय पर खाना खाएं और अधिक देर तक भूखा नहीं रहें।