– दिल में छेद के कारण अक्सर बीमार रहता था राहुल, 9 साल की उम्र में बीमारी का पता चला
– निःशुल्क इलाज के कारण परिवार पर नहीं पड़ा आर्थिक बोझ, परिजनों ने दिया सरकार को धन्यवाद
आरा-
परिवार की खुशियां बच्चों से ही होती है। अक्सर माता पिता बच्चों की खुशी के लिए अपने सामर्थ्य से अधिक कर गुजरते हैं। लेकिन, जब बच्चों पर मुसीबत होती है या उनको कोई गंभीर बीमारी होती, तब उनकी नींद उड़ जाती है। ऐसा ही हाल जिला मुख्यालय स्थित धरहरा निवासी विष्णु शंकर सिंह का हुआ था। जब पांच साल पहले उन्हें पता चला था कि उनके छोटे बेटे राहुल कुमार के दिल में छेद है। जिसके कारण वो अक्सर बीमार रहता था। दिल की बीमारी की खबर को सुनकर विष्णु शंकर सिंह समेत उनके परिवार के सदस्यों की नींद ही उड़ गई। मध्यम परिवार से होने के कारण इस गंभीर बीमारी का वो अब तक इलाज नहीं करा पाए थे। लेकिन उन्हें बाल हृदय योजना की जानकारी मिली, तब उन्होंने अपने बेटे का इलाज कराने की ठानी।
बीमारी के कारण छूट गई थी राहुल की पढ़ाई :
विष्णु शंकर सिंह बताते हैं कि अभी उनका बेटा 14 साल का है। वो बचपन से ही बीमार रहता था। सर्दी, खांसी, निमोनिया, बुखार आदि से हमेशा ग्रसित रहता था। 9 साल की उम्र में पटना समेत कई संस्थानों में इलाज के बाद भी बीमारी पकड़ में नहीं आ रही थी। तब चिकित्सकों ने उन्हें इको कराने की सलाह दी। जिसके बाद रिपोर्ट में दिल में छेद होने की बात सामने आई। इस बीच उसकी पढ़ाई भी छूट गई। वहीं, परिजन लगातार चिंतित रहने लगे। लेकिन, जब राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना (आरबीएसके) की टीम ने उनसे संपर्क कर उन्हें दिल की बीमारी से जुड़े इलाज के संबंध में जानकारी दी, तो उनको उम्मीद की किरण दिखी और वे राहुल के इलाज के लिए मान गए।
ऑपरेशन के बाद राहुल का बढ़ा आत्मबल :
‘दिल में छेद का ऑपरेशन जून माह में ही हुआ था। ऑपरेशन कराकर लौटने के बाद अब मेरा आत्मबल भी बढ़ा है। इस बीमारी के कारण परिजन काफी दिनों से चिंतित रहने लगे थे। लेकिन, अब हालात सुधरने लगे हैं। साथ पढ़ने वाले बच्चे अब सीनियर हो गए हैं। लेकिन, फिर से नया जीवन मिलने के बाद, अब मैं फिर से अपनी पढाई पूरी करूंगा और परिवार का नाम रौशन करूंगा।’ – राहुल कुमार, इलाजरत किशोर
इलाज से लेकर आवागमन का भी खर्च उठाती है सरकार :
‘बाल हृदय योजना के माध्यम से अब तक कई बच्चों का इलाज कराया गया है। जिसमें हृदय में छेद के आलावा भी अन्य बीमारियां शामिल हैं। योजना के माध्यम से बच्चों का इलाज पूरी तरह से निशुल्क कराया जाता है। जिसका वहन सरकार करती है। वहीं, आवागमन का खर्च भी सरकार ही उठाती है। जिससे मध्यम और गरीब परिवार के लोगों को आर्थिक मदद मिलती है। इसलिए इस योजना का लाभ सभी को उठाना चाहिए।’ – डॉ. केएन सिन्हा, एसीएमओ, भोजपुर