मधुमेह पीड़ित गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति सतर्क और सावधान रहना बहुत जरूरी

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– गर्भावस्था के दौरान उचित प्रबंधन से सामान्य और सुरक्षित प्रसव को मिलेगा बढ़ावा
खगड़िया, 31 मार्च-
जिस तरह लोगों की जीवनशैली में बदलाव और स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बढ़ रही ,उसी तरह स्वास्थ्य से संबंधित परेशानी भी आम हो रही है। ऐसे में मधुमेह भी एक एक ऐसी परेशानी है, जो बदलते जीवनशैली और परिवेश के कारण आम हो गई है। जिससे किसी भी आयु वर्ग के दायरे वाले लोग पीड़ित हो सकते हैं। जिसका प्रमाण यह है कि दिनों-दिन लगातार ऐसे पीड़ित लोगों की संख्या में वृद्धि हो रही। अस्पतालों में इलाज कराने वाले ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में हर किसी को इससे बचाव के लिए सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। खासकर मधुमेह से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को तो और सतर्क व सावधान रहने की जरूरत है। दरअसल, गर्भावस्था के दौरान ऐसी पीड़ित महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने से ही सुरक्षित और सामान्य प्रसव संभव है। इसको लेकर सरकार द्वारा भी हर जरूरी प्रयास किये जा रहे और स्थानीय स्तर भी समुचित जाँच और उचित प्रबंधन की व्यवस्था की गई है। इसलिए, ऐसी पीड़ित गर्भवती को गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में जाँच जरूर करानी चाहिए।
– गर्भावस्था के दौरान मधुमेह से पीड़ित गर्भवती को समय-समय पर जाँच कराना बेहद जरूरी :
खगड़िया सदर पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ राजीव रंजन ने बताया गर्भावस्था के दौरान मधुमेह से पीड़ित महिलाओं का समय-समय पर जाँच और आवश्यक उपचार जरूरी है। अन्यथा थोड़ी-सी लापरवाही बड़ी परेशानी का सबब बन सकती है। दरअसल, मधुमेह के प्रति लापरवाही करने से ना केवल गर्भवती को ही अनावश्यक परेशानियों का सामना पड़ सकता बल्कि, गर्भस्थ शिशु का विकास भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मधुमेह की जाँच जरूर करानी चाहिए। ताकि समय पर परेशानी का पता चल सके और ससमय ही जरूरी इलाज सुनिश्चित हो सके। सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में मधुमेह जाँच की मुफ्त सुविधा उपलब्ध है।
– 30 से 60 प्रतिशत गर्भपात की भी रहती है संभावना :
यदि समय से उपचार नहीं हो पाता है तब आगे चलकर प्रसूता एवं गर्भस्थ शिशु में विभिन्न जटिलताएं हो सकती एवं दोनों टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित हो सकते हैं। इससे गर्भवती में इन्फेक्शन, प्रसव अवधि में बढ़ोतरी, जटिलतापूर्ण प्रसव, सिजेरियन प्रसव, प्रसव के बाद गर्भाशय का सिकुड़ नहीं पाना एवं प्रसव के बाद अत्यधिक रक्त स्राव जैसी जटिल समस्या उत्पन्न हो सकती है। जिससे प्रसूता की जान पर भी खतरा उत्पन्न हो सकता है। गर्भावस्था जनित मधुमेह से गर्भस्थ शिशु को भी समस्या हो सकती है। इससे गर्भस्थ शिशु की मृत्यु, मृत शिशु का जन्म, बर्थ डिफेक्ट, बर्थ इन्जरी एवं नवजात शिशु में ग्लूकोज की कमी के साथ पहले तीन महीने में अचानक गर्भपात की संभावना 30 से 60 प्रतिशत तक हो सकती है।
– गर्भवस्था में मधुमेह का उपचार :
इसके उपचार के लिए सरकार द्वारा तीन व्यवस्थाएं की गयी हैं। पहला भोजन एवं पोषण संबंधित, दूसरा दवाई द्वारा एवं तीसरा इन्सुलिन इंजेक्शन के द्वारा। गर्भावस्था में मधुमेह से पीड़ित महिला को पोषण संबंधी जानकारी दी जानी अति आवश्यक है। जिससे वह समझ सकें कि गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए पोषण युक्त आहार क्या है। उपयुक्त वजन में बढ़ोत्तरी कितनी होनी चाहिए एवं खून में सामान्य ग्लूकोज स्तर को प्राप्त करने एवं बनाये रखने के लिए कितना और कौन सा भोजन लेना है। जिन मधुमेह पॉजिटिव महिलाओं का मधुमेह, पोषण संबंधित उपचार से नियंत्रित नहीं होता, उन्हें दवा दी जाती है। साथ ही जब दवा सेवन के बाद भी मधुमेह अनियंत्रित होता तब चिकित्सक द्वारा इंजेक्शन द्वारा इन्सुलिन की डोज दी जाती है।