राहुल गांधी की कुंठित मन:स्थिति और दंभी मनोदशा से परेशान ना केवल देशभक्त बल्कि स्वयं कॉंग्रेसी ..

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-आनन्द शंकर

विश्व के सबसे बड़े और पुराने लोकतंत्र को प्रत्येक दिन किसी ना किसी प्लेटफॉर्म से या विदेशी धरती पर जाकर भारत के प्रति विष वमन कर देश और लोकतंत्र का अपमान राहुल गांधी के मानसिक दिवालियापन को दर्शाता है।
राहुल गांधी अपने अहंकार के सामने यह भूल जाते हैं कि भारत विविधता में एकता के विचार को लेकर चलने वाला दुनिया का एकमात्र देश है जहां विभिन्न पंथ संप्रदाय के लोग अमन चैन से रहते हैं। परंतु कुंठित मानसिकता के शिकार राहुल गांधी को यहां दलित और मुस्लिम खतरे में नज़र आ रहे हैं। राहुल गांधी यह भूल जाते हैं कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसके लोकतांत्रिक मानदंड को पूरा विश्व अनुसरण करता है।

चाहे हमारे देश का चुनावी प्रबंधन है या वसुधैव कुटुंबकम् की निति, पूरी दुनिया के सभी विकसित देश के प्रतिनिधि भारत को अपनी पाठशाला मानते हैं और समय समय पर यहां आकर ज्ञानवर्धन करते हैं।
हमारे देश के चुनावी प्रबंधन और कौशल की सराहना तो कई विकसित देशाें और वैश्विक संगठनों ने ना जाने कितनी ही बार सभी बड़े प्लेटफॉर्म से की है लेकिन लगातार लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत हुए आम चुनाव से मिली शिकस्त तथा अपनी विरासत में मिली राजनीति के अहंकार के शिकार राहुल गांधी को आत्ममंथन करने के बजाय भारत की छवि को धुमिल करना तथा लोकतंत्र को कलंकित करने में ज्यादा मज़ा आता है। वो यह भूल जाते हैं कि विपक्ष द्वारा सत्तापक्ष का वैचारिक विरोध करना हर राजनीतिक दल का कर्त्तव्य व अधिकार होता है परंतु उनको यह समझ कब आयेगी कि भारत का विरोध करना ही भाजपा का विरोध नहीं होता है। इससे देश की किरकिरी तो होती ही है परंतु उससे ज्यादा कॉंग्रेस और स्वयं राहुल गांधी की किरकिरी होती है और परिणामस्वरूप जनता की अदालत में उनको मुंह की खानी पड़ती है। मुझे तो डर है कि कहीं वो अपने इस अल्पज्ञान और विष वमन से अपने सबसे पुरानी पार्टी को ही ना विलुप्त कर दें।
भारत की संवैधानिक संस्थाओं पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे राहुल गांधी यह भूल जाते हैं हमारा समूचा तंत्र संविधान के आधार पर चलता है जो हमें हमारे कर्त्तव्यों और अधिकारों के बीच संतुलन बना कर रखने का एक मज़बूत दस्तावेज़ भी है जिसकी गाहे बिगाहे राहुल और उनके पूर्वज आपने सुविधानुसार अवहेलना करते आए हैं।

मेरे कुछ वरीय काॅंग्रेसी मित्र भी राहुल गांधी के इन अमर्यादित व देश विरोधी बयानों व करतूतों से अपने को असहज महसूस करते हैं तथा व्यक्तिगत बातचीत के दौरान अपने इस थोपे हुए अल्पज्ञानी नेता की राजनीतिक और नैतिक समझ पर अफ़सोस करते हैं।
राहुल गांधी के लगातार दिए जाने वाले विष बुझे बयान को आप इस प्रकार समझें कि भारत की प्रबुद्ध जनता ने जब लगातार चुनाव – दर – चुनाव मोदी जी को चुना और काॅंग्रेस को सिरे से नकार दिया है तब फिर से आपने खोए हुए जनाधार को वापस पाने के लिए अपनी चिरपरिचित छद्मी तुष्टिकरण की चासनी में देश की जनता को ख़ासकर मुस्लिम समुदाय को लपेटना चाहते हैं तथा उनको अपने खेमे में लाने के लिए उनके प्रताड़ना की बेबुनियाद ख़बर परोस रहे हैं ताकि फिर से मुस्लिम समाज गोलबंद होकर कॉंग्रेस के झांसे में आ जाए और इनकी डूबी हुई नैया को पार लगाए।

आज जब भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में देश नित नई ऊंचाईयों को छु रहा है चाहे वह आर्थिक आधार हो जिसमें भारत विश्व में 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के साथ पांचवें स्थान पर पहुंचा हो, रक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल सुदृढ़ता हो, स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई क्रांति लाने की सोच के साथ दर्जनों एम्स का निर्माण हो, गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा सुदृढ़ करने की बेहतरीन पहल हो, सड़क के मामले में तो कहने ही क्या जिसके स्थापित मानदंड के अध्ययन के लिए पूरे विश्व के सभी विकसित देश भारत का लोहा मान रहे हैं, रेल की विश्वस्तरीय परियोजनाएं धरातल पर दिखाई दे रही हों, हवाई क्षेत्र हो, विदेश मंत्रालय की अभेद्य कूटनीति हो, सामान्य मानवीय जीवन मूल्यों को ध्यान में रखकर सभी के लिए जीवनोपयोगी सुरक्षा योजनाएं हों, कृषि क्षेत्र में नई क्रांति हो, राष्ट्रवाद की मज़बूत बुनियाद हो या फिर सांस्कृतिक विकास हो इन सभी क्षेत्र में पिछले 9 वर्षों में मोदी सरकार ने जो मानक तय कर दिया है वह निश्चित रूप से अतुलनीय है।

हम इन्हीं कालखण्ड में कोविड जैसी वैश्विक महामारी को कैसे भूल सकते हैं जब एक तरह से पृथ्वी के समूचे मानवजाति की जीवन गति थम सी गई थी, जब पूरी दुनिया नाउम्मीद हो चुकी थी तब भारत उस चुनौती को स्वीकार कर दो कदम आगे बढ़कर पूरे विश्व को दिशा दिखाता है मजबूती से निपटता भी है और पुरी दुनिया को हर वो मुमकिन जीवन रक्षक सहायता करता है जिसके लिए आज पूरा विश्व भारत के सामने नत्मस्तक है।

इसलिए विपक्ष को ख़ास कर राहुल गांधी को विश्व पटल पर अपनी कुंठित मनोदशा का उद्गार करने से पहले थोड़ा अध्य्यन और आत्मचिंतन करना चाहिए और कैसे देश को और अधिक सशक्त बनाया जा सके कभी कभी उसकी चिंता करनी चाहिए तब जाकर कहीं राहुल गांधी और उनके परिवार के क़रीब 6 दशक के शासन के बावजूद विलुप्त होती कॉंग्रेस को भारत की सहनशील जनता कहीं माफ़ कर दे।