सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की हुई एएनसी जांच

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एएनसी जांच से सुरक्षित और सामान्य प्रसव को बढ़ावा
जांच के बाद महिलाओं को दिया गया आवश्यक निर्देश
भागलपुर, 9 मई
जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में सोमवार को गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच हुई। जांच के बाद सभी गर्भवती महिलाओं को आवश्यक निर्देश दिए गए। जिनमें प्रसव को लेकर जटिलता देखी गई, उनका नाम सूची में दर्ज कर लिया गया, ताकि उसकी निगरानी की जा सके। खासकर जिन गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबिन सात प्रतिशत से कम था या फिर जिन्हें उच्च रक्तचाप की शिकायत थी। जांच के दौरान रहन-सहन, साफ-सफाई, खान-पान, गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों समेत अन्य आवश्यक चिकित्सकीय परामर्श भी गई, ताकि सुरक्षित और सामान्य प्रसव को बढ़ावा मिल सके।
सिविल सर्जन डॉ. उमेश कुमार शर्मा ने बताया कि एएनसी जांच का मकसद मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है। हर महीने की नौ तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की जांच होती है। इसे लेकर मॉनिटरिंग भी की जाती है। अधिक से अधिक गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच हो सके, इसे लेकर पहले से तैयारी की जाती है। दरअसल, गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व चार जांच होती है। पहली जांच गर्भधारण से लेकर 12वें सप्ताह तक, दूसरी जांच गर्भधारण के 14वें से लेकर 26वें सप्ताह तक, तीसरी जांच गर्भधारण के 28वें से 34वें सप्ताह तक और आखिरी जांच गर्भधारण के 36वें सप्ताह से लेकर प्रसव होने के पहले तक कराई जाती है।
किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत जांच कराएं- सिविल सर्जन ने बताया कि सुरक्षित और सामान्य प्रसव के लिए हर गर्भवती महिला को प्रसव जांच कराना बेहद जरूरी है। इससे ना सिर्फ सुरक्षित और सामान्य प्रसव को बढ़ावा मिलेगा बल्कि, मातृ-शिशु मृत्यु दर पर विराम सुनिश्चित होगा। प्रसव अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर तुरंत जांच करानी चाहिए। समय पर जांच कराने से किसी भी प्रकार की परेशानी का शुरुआती दौर में ही पता चल जाने से उसे आसानी से दूर किया जा सकता है। इसके लिए सरकार द्वारा प्रत्येक माह की नौ तारीख को पीएचसी स्तर पर मुफ्त एएनसी जांच की व्यवस्था की गई है। ताकि प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं को किसी प्रकार की अनावश्यक शारीरिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।
कई तरह की हुई जांचः एएनसी जांच के दौरान गर्भवती महिलाओं का वजन, बीपी, एचआईवी, ब्लड शुगर, एफएचएस व अन्य तरह की जांच की गई। जांच के बाद महिलाओं को उचित खानपान का परामर्श दिया गया। साथ ही गर्भवती महिलाओं को हरी पत्तेदार साग- सब्जी, फल, दूध,अंडा मांस-मछली, चुकंदर, केला, मौसमी फल खाने की सलाह दी गई। जांच के दौरान महिलाओं को परिवार नियोजन के प्रति भी जागरूक किया गया। सभी लोगों को दो बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल रखने के लिए कहा गया। साथ ही दो बच्चे के बाद बंध्याकरण की भी सलाह दी गई।