कजरैली पंचायत के तेतरहाट स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 80 में हैं तैनात
गर्भवती और धात्री महिलाओं को लगातार पोषण के प्रति कर रहीं जागरूक
भागलपुर-
अभी पोषण माह चल रहा है। इस वजह से पूरे सितंबर महीने में पोषण को लेकर तमाम गतिविधियां चल रही हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो सालों भर इसमें लगे रहते हैं। वह क्षेत्र के लोगों को पोषण की जानकारी देते रहते हैं। नाथनगर प्रखंड की कजरैली पंचायत के तेतरहाट गांव स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 80 की सहायिका इसमें बढ़-चढ़कर भाग लेती है। क्षेत्र के लोगों में जागरूकता से लेकर केंद्र पर होने वाली गतिविधियों में अपनी भूमिका निभाती रहती हैं। घर में दो छोटे-छोटे बच्चे हैं, इसके बावजूद वह अपने कर्तव्य पथ पर डटी रहती हैं।
रिंकू देवी कहती हैं कि 2004 से मैं अपने क्षेत्र में काम कर रही हूं। शुरुआत में थोड़ी परेशानी हो रही थी। चीजों को समझने में थोड़ी दिक्कते थीं, लेकिन एक बार जब काम को समझ गई तो फिर उसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। जिस तरह से मैं अपने बच्चों के प्रति जागरूक रहती हूं, उसी तरह से अपने केंद्र पर आने वाले बच्चों का भी ध्यान रखती हूं। इतने दिनों तक काम करने के बाद क्षेत्र के एक-एक लोगों से मैं परिचित हो चुकी हैं। गांव के लोग भी समझ गए हैं कि अपने लिए नहीं, बल्कि मेरे लिए काम करती है। उसी केंद्र पर सेविका रंजना कुमारी कहती हैं कि रिंकु देवी को काम की अच्छी समझ है। इसलिए मेरा काम भी आसान हो जाता है। अगर आपकी सहायिका काम को बेहतर तरीके से करे तो उसका फायदा न सिर्फ सेविका को मिलता है, बल्कि क्षेत्र के लोगों को भी मिलता है।
लोगों की खाने-पीने की दिनचर्या तक बदलवा डालीः
रिंकु देवी कहती हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में आमतौर पर आसानी से उपलब्ध होने वाली चीजों के प्रति लोगों की दिलचस्पी कम रहती है, जैसे सहजन, हरी सब्जियां इसे लेकर लोगों में उतनी समझ नहीं रहती है। जब मैंने सहजन से होने वाले फायदे के बारे में बताया तो लोग आश्चर्य करने लगे। इसी तरह से हरी सब्जियों से होने वाले फायदे को भी लोगों को बताया। गर्भवती और धात्री महिलाओं को समझाया कि हरी सब्जियां उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है। आज के समय में कई महिलाओं ने इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया है। इसी तरह छह माह के बच्चों को सिर्फ मां का दूध देने के फायदे लोगों को बताया। छह माह के बाद ऊपरी आहार देने के लिए कहा। लोग अब इसे मानते हैं। इसका फायदा भी लोगों को हो रहा है।
कोरोना काल में बढ़-चढ़कर निभाई अपनी भूमिकाः रिंकु देवी कहती हैं कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान काम थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो गया था। लोग समझने को तैयार नहीं थे। ऐसे समय में जब लोग घर से भी नहीं निकल रहे हैं तो वैसे समय में ये घर-घर जा रही है। लोगों को मास्क पहनने के लिए कह रही है। हाथ की बार-बार धुलाई करवा रही है। ये सब अपने लिए नहीं कर रही है। इसका फायदा हम सभी लोगों को मिलेगा। इस तरह से लोगों ने कोरोना की गाइडलाइन का पालन करने की आदत बना ली। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि कोरोना काल में भी पोषण को लेकर जागरूकता जारी रही। उस दौरान भी गर्भवती से लेकर धात्री महिलाओं को सही पोषण के प्रति जागरूक करती रही।