– आरबीएसके टीम के सहयोग से पीड़ित बच्चों को चिह्नित कर कराया जा रहा है इलाज
– जिले के दो बच्चे हो चुके हैं पूरी तरह स्वस्थ्य, स्थाई निजात के लिए समय पर इलाज शुरू कराना जरूरी
लखीसराय-
लोगों को बेहतर और समुचित स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराने को लेकर जहाँ सरकार पूरी तरह गंभीर है वहीं, स्वास्थ्य विभाग भी पूरी तरह सजग और कटिबद्ध है। जिसे सार्थक रूप देने के लिए आरबीएसके टीम की पहल पर जिले के हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का पूरी तरह निःशुल्क इलाज कराया जा रहा है। जिसका सार्थक परिणाम यह है कि समुचित इलाज और स्वस्थ्य होने की उम्मीद छोड़ चुके पीड़ित बच्चे पूरी तरह स्वस्थ रहे हैं और बच्चों को नई स्वस्थ जिंदगी जीने का अवसर मिल रहा है। ऐसे पीड़ित बच्चों का जिले के आरबीएसके टीम द्वारा स्क्रीनिंग कर चिह्नित किया जा रहा और आवश्यकता के अनुसार समुचित इलाज के लिए पटना या अहमदाबाद भेजा जा रहा है। जहाँ बच्चों का सरकारी स्तर से निःशुल्क समुचित इलाज हो रहा है।
– जिले को दो बच्चे पूरी तरह हो चुके हैं स्वस्थ्य, छः बच्चे को स्क्रीनिंग के लिए भेजा गया है आईजीआईसी :
सिविल सर्जन डाॅ देवेन्द्र चौधरी ने बताया, समय पर इलाज शुरू होने से जिले के दो बच्चे पूरी स्वस्थ हो चुके हैं। जिसमें सूर्यगढ़ा प्रखंड के जगदीशपुर निवासी नीरज महतो का डेढ़ वर्षीय पुत्र अंश कुमार एवं लखीसराय प्रखंड के पंजाबी मोहल्ला, वार्ड नंबर 17 निवासी छोटू राज का 04 वर्षीय पुत्र सत्यम कुमार शामिल हैं। दोनों जन्मजात यानी जन्म से ही हृदय रोग से पीड़ित था। जिसके कारण दोनों बच्चे के अभिभावक अपने बच्चों का समुचित इलाज और स्वस्थ होने की उम्मीद छोड़ चुके थे। दोनों बच्चों को फॉलोअप के लिए आईजीआईसी (पीएमसीएच) पटना भेजा गया था, जहाँ सफल जाँच हो चुकी है। वहीं, उन्होंने बताया, जिले में छः अन्य ऐसे पीड़ित बच्चों को आरबीएसके टीम द्वारा चिह्नित किया गया है। सभी बच्चों को स्क्रीनिंग के लिए आईजीआईसी भेजा गया है। जाँच के उपरांत सभी बच्चे का आवश्यकतानुसार इलाज शुरू किया जाएगा।
– हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का स्थाई निजात के लिए समय पर इलाज जरूरी :
आरबीएसके टीम के जिला कंसल्टेंट डाॅ शिवशंकर कुमार ने बताया, हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का स्थाई निजात के लिए समय पर इलाज शुरू कराना जरूरी है। अन्यथा, परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, उन्होंने बताया, जिन बच्चों के होठ कटे हैं, उसका 03 सप्ताह से 03 माह के अंदर, जिसके तालु में छेद (सुराग) है, उसका 06 से 18 माह एवं जिसका पैर टेढ़े-मेढ़े हैं, उसका 02 सप्ताह से 02 माह के अंदर शत-प्रतिशत सफल इलाज संभव है। इसलिए, जो उक्त बीमारी से पीड़ित बच्चे हैं, उसके अभिभावक अपने बच्चों का आरबीएसके टीम के सहयोग से समय पर मुफ्त इलाज शुरू करा सकते हैं। वहीं, उन्होंने बताया, जन्म से ही हृदय रोग से पीड़ित बच्चे को साँस लेने में परेशानी होती है। हमेशा सर्दी-खांसी रहती है। चेहरे, हाथ, होंठ नीला पड़ने लगता है। जिसके कारण गंभीर होने पर बच्चों के दिल में छेद हो जाता है।
– स्क्रीनिंग से लेकर आने-जाने का खर्च सरकार करती है वहन :
बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों में हृदय में छेद होना एक गंभीर समस्या है। उक्त बीमारी से पीड़ित बच्चे का बाल हृदय योजना के तहत सरकार द्वारा पूरा निःशुल्क इलाज कराया जाता है। यही नहीं, इलाज के साथ-साथ इलाज के लिए आने-जाने के लिए पीड़ित बच्चा सहित उनके अभिभावक का खर्च सरकार ही वहन करती है।