अब खांसी की आवाज़ से की जाएगी टीबी की पहचान

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– वर्चुअल माध्यम से टीबी विभाग से जुड़े अधिकारी और कर्मियों को दो दी गई ट्रेनिंग

– 27 जनवरी से 3 फ़रवरी तक जिला के विभिन्न प्रखंड़ों से टीबी रोगियों की पहचान की गई

– ऑनलाइन मीटिंग में संग्रहित डाटा के साथ उपस्थित हुए अधिकारी और कर्मचारी

मुंगेर, 4 फरवरी-

जिला में टीबी के मरीजों की जांच के लिए अब बलगम नहीं, खांसी की आवाज के सैंपल लिए जाएंगे। सरकार ने एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए “फिल्डी एप” नाम से एक मोबाइल एप तैयार कराया है। इसकी मदद से कफ साउंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड सॉल्यूशन टू डिटेक्ट टीबी प्रोग्राम के तहत इसका ट्रायल शुरू किया गया है। जिला में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले चरण में प्रत्येक प्रखंड में कम से कम 3 लोगों का सैंपल लिया गया। सैंपल क्लेक्शन विगत 27 जनवरी से 3 फरवरी तक किया गया। जिला के संचारी रोग अधिकारी डॉ. ध्रुव कुमार साह ने बताया कि इस एडवांस टेक्नोलॉजी की मदद से टीबी मरीजों को चिह्नित करने में काफी सहूलियत होगी तथा उनका बेहतर इलाज ससमय हो पाएगा। इस मोबाइल एप के माध्यम से संक्रमित रोगी, दूसरे संक्रमित के संपर्क में आए रोगी तथा तीसरा टीबी के लक्षण पाए गए रोगी से एप के माध्यम से 30 – 30 प्रश्न पूछे गए। इसके बाद उनकी आवाज रिकॉर्ड कर सेंट्रल टीबी डिवीजन भेजी जाएगी। परीक्षण सफल होने पर इस एप के माध्यम से घर- घर जाकर ऐसे रोगियों की पहचान की जा सकेगी। रोगी की पहचान होने के बाद उन्हें प्रोत्साहित कर सफल इलाज कराने वाले ट्रीटमेंट सपोर्टर को 1000 रुपए की प्रोत्साहन राशि जबकि टीबी से संक्रमित मरीजों को पोषण योजना के तहत 500 रुपए प्रति माह कोर्स पूरा करने तक दिया जाएगा।

सैंपल कलेक्ट कर की जाएगी स्टडी :
संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. साह ने बताया कि आवाज के जरिए टीबी की पहचान करने के लिए मुंगेर जिला के सभी प्रखंडों में सैंपल कलेक्ट किए जा रहे हैं । एक्सपर्ट इन सैंपल्स से माइक्रो रिसर्च और स्टडी का काम शुरू करेंगे। इसमें देखा जाएगा कि सामान्य व्यक्ति की आवाज और टीबी के मरीज की आवाज में क्या अंतर आता है। इसके लिए चिह्नित लोगों के नाम व पता गोपनीय रखा जाएगा । उन्होंने बताया कि मरीज के तीन बार खांसते हुए आवाज एप पर रिकॉर्ड की जाती है।10 सेकेंड की रिकॉर्डिंग में 5 स्वर अक्षर के उच्चारण को भी रिकॉर्ड किया जाता है।

शुक्रवार को आयोजित वर्चुअल मीटिंग में शामिल हुए जिला भर में कार्यरत एसटीएस और एसटीएलएस :
डिस्ट्रिक्ट टीबी /एचआईवी कॉर्डिनेटर शैलेन्दु कुमार ने बताया कि केंद्रीय यक्ष्मा प्रभाग, भारत सरकार के द्वारा ” कफ साउंड फ़ॉर द आर्टिफिशल इंटेलीजेंस बेस्ड सॉल्यूशन टू डिटेक्ट टीबी”विषय पर शुक्रवार को आयोजित ऑनलाइन वर्चुअल मीटिंग में 27 जनवरी से 3 फरवरी के बीच संग्रहित डाटा के साथ डिस्ट्रिक्ट टीबी सेंटर में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी के साथ-साथ जिला के सभी प्रखंड़ों में टीबी और एचआईवी मरीजों का डाटा संग्रहित करने वाले एसटीएस और एसटीएल एस शामिल हुए। उन्होंने बताया कि 27 जनवरी से 3 फरवरी तक नए मोबाइल एप के माध्यम से खांसी की आवाज़ के आधार पर टीबी मरीज़ों को चिह्नित करने के इस कार्यक्रम के सफल संचालन को ले अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (यक्ष्मा) डॉ. बाल कृष्ण मिश्र का पत्र प्राप्त हुआ है।

यक्ष्मा मरीजों को चिह्नित करने में इस डिजिटल सुविधा से मिलेगा लाभ :
सिविल सर्जन डॉ. हरेन्द्र आलोक ने बताया कि आवाज के सैंपल लेने के लिए जिला के सभी प्रखण्डों में काम करने वाले सभी एसटीएस, एसटीएलएस,एलटी सहित अन्य लोगों की ऑनलाइन ज़ूम मीटिंग के जरिये विगत 24 जनवरी को ट्रेनिंग कराई गई है। यदि यह टेक्नोलॉजी सफल होती है तो टीबी की पहचान और इलाज काफी आसान हो जाएगा। इसके साथ ही समय की भी काफी बचत होगी ,जिससे टीबी मरीजों को बहुत फायदा मिलेगा।