मणिपुर में हिंसा को स्थायी रूप से समाप्त करने के लिए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा अपनाई गई रणनीतियाँ सर्वव्यापी हैं जो साबित करती हैं कि वे एक सक्षम प्रशासक हैं। एक जाँच पैनल और एक शांति समिति का गठन करना, अपराधियों को कड़ी चेतावनी देना और वसूली योग्य नुकसान के लिए एक उदार हाथ बढ़ाना, ये सभी कदम पूर्वोत्तर के राज्यों में शांति व समृद्धि को बढ़ावा देने की दिशा में मास्टरमाइंड के दिमाग की उपज हैं।
जातीय हिंसा से जूझ रहे संकटग्रस्त मणिपुर के लिए सोमवार को शाह चार दिवसीय यात्रा पर निकले थे। बिना देर किए उन्होंने सभी वरिष्ठ विधायी और राज्य के प्रशासनिक प्रमुख अधिकारियों से मुलाकात की तथा हिंसा का दंश झेलने वालों से बातचीत की। अपने प्रवास के दौरान, शाह ने मैतेई समुदाय के 22 नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधियों और कुकी समुदाय के लगभग 25 सीएसओ, 11 राजनीतिक दलों, सुरक्षा समूहों, खिलाड़ियों, समुदायों, छात्रों, बुद्धिजीवियों, सेवानिवृत्त अधिकारियों और महिलाओं के साथ विस्तृत चर्चा की।
शाह पर भरोसा करते हुए केंद्र सरकार ने गृह मंत्री को युद्धरत समुदायों के साथ मध्यस्थता करने का नाजुक काम सौंपा। इन कठिन परिस्थितियों में शाह को उम्मीद की किरण के रूप में देखा जा रहा है। अतीत में शाह के इस तरह के कृत्यों के कई उदाहरण हैं। दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों ने भी शाह पर भरोसा दिखाया, जिन्होंने वर्तमान स्थिति पर अपने दृष्टिकोण और विचारों को सफलतापूर्वक बदल दिया। शाह ने अपने संबोधन में आजीविका और सुरक्षा पर भी चिंता जताई। इन परिस्थितियों में भी शिक्षा, अदालत आदि जैसे बारीक मुद्दों ने शाह के जनोन्मुख प्रशासनिक कौशल को कम नहीं किया।
युद्धरत समुदायों से हिंसा छोड़ने और चर्चा की मेज पर बैठने का आग्रह करते हुए, उन्होंने राज्य में शांति बहाल करने के लिए केंद्र की प्रतिबद्धता को दोहराया। अतीत के विपरीत, मणिपुर पिछले छह-सात वर्षों से व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए अनुकूल शांतिपूर्ण वातावरण पर सवार होकर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। अदालत के एक अप्रिय फैसले का प्रगति से समझौता नहीं किया जाना चाहिए जो एक समुदाय को राज्य में रहने वाले दूसरे समुदाय के खिलाफ खड़ा कर दे।
शाह ने गुरुवार को मणिपुर के अपने उपलब्धिपूर्ण दौरे के समापन के दिन एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि, ‘दोनों तरफ से शांति बनाए रखें। मणिपुर में शांति के कारण पिछले छह साल से विकास का एक नया युग चल रहा है। कोर्ट के एक फैसले की वजह से थोड़ी गलतफहमी हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप यह अशांति पैदा हुई है। मुझे विश्वास है कि मणिपुर के लोग आपसी समझ से इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और इसका त्वरित समाधान निकालेंगे।’
उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश सहित एक और सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में मणिपुर हिंसा की जाँच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा। मणिपुर के राज्यपाल की अध्यक्षता में एक शांति समिति का भी गठन किया जाएगा, जिसमें सभी वर्गों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
22 अगस्त, 2008 को कुकी उग्रवादी समूहों, केंद्र सरकार और मणिपुर सरकार के बीच हुए त्रिपक्षीय युद्धविराम समझौते, सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन एग्रीमेंट, के किसी भी प्रकार के उल्लंघन से सख्ती से निपटा जाएगा और इसे समझौते का उल्लंघन माना जाएगा। शाह ने साफ शब्दों में कहा कि जिनके पास हथियार हैं, वे उन्हें पुलिस को सौंप दें, पुलिस द्वारा तलाशी अभियान के दौरान हथियार रखने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। राजनीतिक संवाद शुरू करने और उग्रवादियों को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए समझौते के प्राथमिक उद्देश्य के साथ किए गए समझौतों का संबंधित पक्षों द्वारा सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। सभी दर्ज मामलों में से पाँच चिन्हित मामलों और सामान्य साजिश के एक मामले सहित छह मामलों की जाँच सीबीआई की विशेष टीम द्वारा की जाएगी। शाह ने अपने एक ट्वीट में कहा कि, ‘मणिपुर हिंसा की गहन और निष्पक्ष जाँच की जाएगी। हिंसा के अपराधियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह कभी नहीं हो।’
शाह इतने पर नहीं रुके। शाह का मानवीय पक्ष भी स्पष्ट था क्योंकि उन्होंने घोषणा की कि भारत सरकार और मणिपुर सरकार द्वारा राहत और पुनर्वास पैकेज के तहत, हिंसा में अपनी जान गंवाने वालों के परिजनों को डीबीटी के माध्यम से 10 लाख रुपये की राशि दी जाएगी।
मणिपुर को आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने निर्धारित कोटे के अतिरिक्त 30,000 मीट्रिक टन चावल भेजा है, गैस सिलेंडर, पेट्रोल और सब्जियों की आपूर्ति की भी व्यवस्था की गई है।