कमजोर नवजात की पहचान करना सबसे अहम

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-पहचान हो जाने पर कमजोर नवजात को स्वस्थ बनाना मुश्किल नहीं
-कोरोना काल में कमजोर नवजात की विशोष देखभाल की है जरूरत
बांका, 4 जुलाई-
कमजोर नवजात की विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इस लिहाज से कोरोना काल में मां की चुनौतियां और बढ़ गयी हैं। बेहतर साफ-सफाई और देखभाल के जरिए कोरोना संक्रमण काल में भी कमजोर नवजात को स्वस्थ बना सकते हैं। एसीएमओ डॉ. अभय प्रकाश चौधरी कहते हैं कि कमजोर नवजात की पहचान सबसे अहम है। अगर आप इसमें सफल हो जाते हैं तो उसे स्वस्थ बनाना बड़ी बात नहीं है। ऐसा देखा गया है कि कमजोर नवजात में तापमान की कमी की समस्या रहती है। इससे निजात पाने में कंगारू मदर केयर रामबाण साबित हो रहा है। कंगारू मदर केयर के जरिए मां या घर का कोई भी व्यक्ति नवजात को अपने सीने से चिपकाकर उन्हें गर्मी देती  हैं। यह प्रक्रिया तब तक करने की सलाह दी जाती है जब तक बच्चे का वजन 2.5 किलोग्राम न हो जाए। इसके साथ-साथ सदर अस्पताल में रेडिएंट वार्मर की भी व्यवस्था है। बच्चा अत्यधिक कमजोर है तो उसे एसएनसीयू में भर्ती कराया जाता है, जहां पर उसका उचित इलाज किया जाता है।
मां संक्रमित भी हो जाए तो स्तनपान कराना नहीं भूलें:
डॉ. चौधरी कहते हैं कि अगर मां कोरोना संक्रमित भी हो जाए तो बच्चे को स्तनपान कराना नहीं छोड़ना चाहिए। हां, सावधानी जरूर बरतनी चाहिए। जैसे कि बच्चे को छूने से पहले हाथ को साफ कर लेना चाहिए। दिन में एक बार स्तन की भी सफाई जरूर कर लेनी चाहिए। इसके अलावा जब बच्चा पास में हो तो मास्क जरूर पहनना चाहिए। इन सावधानियों के साथ हम कोरोना काल में भी कमजोर नवजात को स्वस्थ बना सकते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा रहा जागरूक: डॉ. चौधरी ने बताया कि कोरोना काल में कमजोर नवजात की देखभाल को लेकर स्वास्थ्य विभाग जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है। आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविका की मदद से गांव में जाकर लोगों को कमजोर नवजात की देखभाल से संबंधित उपाय बताए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कमजोर नवजात पैदा नहीं हो, इसे लेकर गर्भावस्था की शुरुआत से ही देखभाल की जरूरत है।
कमजोर नवजात की पहचान के लिए इक्विपमेंट होना जरूरी: डॉ. चौधरी ने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण बात कमजोर नवजात की पहचान है और इसके लिए जरूरी उपकरण होना जरूरी है। सदर अस्पताल में इसे लेकर डिजिटल मशीन उपलब्ध है। डिजिटल मशीन नहीं रहने से कमजोर बच्चे की पहचान में परेशानी होती है। अगर 50 ग्राम भी बच्चे का वजन कम है तो इसकी पहचान डिजिटल मशीन से ही की जा सकती है, जो मैन्युअल मशीन में छूट जाती है। उन्होंने कहा कि अगर एक बार बच्चे की पहचान हो गई तो फिर उसे स्वस्थ करना आसान हो जाता है।
कमजोर बच्चे की कैसे करें पहचान:
कमजोर नवजात की पहचान मुख्यतः 3 तरीके से होती है। इसमें पहला तरीका है उसका वजन 2000 ग्राम या इससे कम हो। दूसरा तरीका है कि बच्चा स्तनपान करने में सक्षम नहीं हो और तीसरा तरीका है कि बच्चे का जन्म गर्भावस्था के 37 सप्ताह के पहले हो गया हो। इन पैमानों पर नवजात को जन्म के बाद परखने की जरूरत है और अगर बच्चा कमजोर पाया जाता है तो उसकी देखभाल शुरू कर देने की जरूरत है।
जन्म से पहले जन्म लेने वाले नवजातों को मौत का अधिक ख़तरा:
नवजात शिशुओं में होने वाली मौतों में 35% बच्चे की मौत समय से पहले जन्म के कारण होती है। वहीं 32% बच्चे की मौत निमोनिया,सेप्सिस एवं डायरिया जैसी बीमारी से होती है, जबकि 19% मौतें बर्थ एसफिक्सिया के कारण होती है।