कैलाश विजयवर्गीय: जिंदगी में कभी न हारने वाला व्यक्तित्व

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kailash vijaywargiya

हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं,
गीत नया गाता हूं.

BJP के राष्ट्रीय महासचिव Kailash Vijayvargiya का जन्मदिन 26 अप्रैल को आता है। हर वर्ष गौशाला और गरीबो के बीच अपने जन्मदिन को सेलिब्रेट करने वाले विजयवर्गीय ने आज अपना जन्मदिन गाना गाकर क्वारंटीन के लोगों के साथ मनाया

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विजयवर्गीय ने 2013 के विधानसभा चुनाव में महू विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार अंतर सिंह दरबार को 12,216 वोट से हराकर लगातार छह बार विधानसभा चुनाव जीतकर अजेय रहने का रिकॉर्ड कायम किया था.
भारतीय जनता पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने सियासी जीवन में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 13 मई, 1956 को जन्मे विजयवर्गीय पहली बार इंदौर के मेयर चुने गए थे और उसके बाद से संसदीय राजनीति में वह लगातार आगे ही बढ़ते रहे. इस क्रम में उन्होंने अपने नाम से एक रिकॉर्ड भी दर्ज किया है. उन्होंने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कभी हार का मुंह नहीं देखा. 12 साल तक राज्य में मंत्री का पद संभालने के बाद अब वह संगठन में राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

बाधाएं आती हैं आएं,
घिरें प्रलय की घोर घटाएं
पावों के नीचे अंगारे
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं
निज हाथों में हंसते हंसते
आग लगा कर जलना होगा,
कदम मिला कर चलना होगा.

केंद्रीय राजनीति तक की यात्रा

अक्सर अपने बयानों की वजह से विवादों में रहने वाले विजयवर्गीय को 2014 में बीजेपी का हरियाणा चुनाव प्रचार का प्रभारी बनाया गया, जहां भगवा पार्टी ने बहुमत हासिल किया. हरियाणा में बीजेपी को जीत दिलाने के बाद उन्हें पार्टी में केंद्रीय भूमिका के लिए चुना गया और 2015 में अमित शाह ने उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त कर दिया. साथ ही पश्चिम बंगाल में पार्टी का प्रभारी बना दिया गया, जहां बीजेपी को खोने के लिए कुछ नहीं था और हासिल करने को पूरा आसमान पड़ा हुआ था. विजयवर्गीय के नेतृत्व में पार्टी ने बंगाल में बढ़त भी हासिल की है.

इंदौर में राजनीतिक करियर शुरू करने की कहानी से पहले विजयवर्गीय के छात्र जीवन की भी एक सियासी यात्रा है. दरअसल उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1975 में उसी दिन ही कर दिया था, जिस दिन वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र ईकाई एबीवीपी से जुड़े थे.

एबीवीपी के रास्ते वह राजनीति की गहराई में गोते लगाते गए. 1983 में वह इंदौर नगर निगम के मेयर और 1985 में स्थायी समिति के सदस्य चुने गए. बाद में वह भारतीय जनता युवा मोर्चो (भाजयुमो) के राज्य सचिव बने. बाद में उन्हें इंदौर और बीजेपी के विधि प्रकोष्ठ का स्टेट को-ऑर्डिनेटर बनाया गया. 1985 में ही वह विद्यार्थी परिषद के स्टेट कॉर्डिनेटर भी बने.


लगातार जीतने का रिकॉर्ड

विजयवर्गीय ने 2013 के विधानसभा चुनाव में महू विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार अंतर सिंह दरबार को 12,216 वोट से हराकर लगातार छह बार विधानसभा चुनाव जीतकर अजेय रहने का रिकॉर्ड कायम किया था. विजयवर्गीय को 89,848 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वन्द्वी दरबार को 77,632 मतों से संतोष करना पड़ा था. वहीं 2008 के विधानसभा चुनावों में महू क्षेत्र से विजयवर्गीय और दरबार आमने-सामने थे. इन चुनावों में विजयवर्गीय ने दरबार को 9,791 मतों से मात दी थी. वह लगातार 1990, 1993, 1998, 2003, 2008, और 2013 के विधानसभा चुनावों में विधायक चुने जाते रहे हैं.

एक प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए 20 साल अन्न जल का त्याग किया

अनाज खाने के लिए 20 साल तक बजरंगबली का इंतज़ार क्यों करते रहे कैलाश विजयवर्गीय?

कैलाश विजयवर्गीय ने हाल ही में 20 साल बाद अन्न ग्रहण किया है. उन्होंने 20 साल पहले अपनी जन्मभूमि इंदौर में हनुमान जी की प्रतिमा की स्थापना का संकल्प लिया था. साथ ही हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित होने तक अन्न ग्रहण करना छोड़ दिया था.

20 साल तक अन्न ना खाना भी अपने आप में एक बड़ी बात है. अपने गुरु के हाथ से खाना खाते कैलाश

कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि उन्होंने करीब 20 साल पहले इंदौर में पितृ पर्वत के पास हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करने का संकल्प लिया था. इसके साथ ही उन्होंने अन्न ग्रहण करना छोड़ दिया था. विजयवर्गीय ने पितृ दोष को खत्म करने के लिए हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करने का संकल्प लिया था. पितृ पर्वत की भी स्थापना बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने ही की थी. उस समय वो इंदौर के मेयर हुआ करते थे.

‘जिस दिन हनुमान जी की स्थापना हुई उस दिन महा-भोज का भी आयोजन किया गया. इस महाभोज जैसा आयोजन इंदौर ने इससे पहले कभी नहीं देखा. उम्मीद 10 लाख लोगों की थी लेकिन 14 लाख से ज़्यादा लोग हनुमान जी का दर्शन करके भोजन किए इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है. महाभोज के लिए इंदौर शहर ने रिकॉर्ड बना दिया.’

वृन्दावन के संत गुरुशरनानंद महाराज और मुरारी बापू के भक्त हैं कैलाश विजयवर्गीय. जब तब दर्शन आशीर्वाद के लिए जाते रहते हैं. कहते हैं कि गुरु जी और हनुमान जी की कृपा ना होती तो इतने बरसों तक व्रत रखना संभव नहीं था. गुरुशरनानंद महाराज के हाथों ही बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने 20 साल बाद अन्न खाया.
कैलाश बताते हैं कि वो बीस साल से गेंहूं, चावल, मक्का, बाजरा, ज्वार समेत हर किस्म की दाल नहीं खाते थे. बल्कि मोरधन, राजगिरा, साबूदाना और फल खाते थे.कैलाश विजयवर्गीय की पत्नी बताती हैं कि उनके अनाज छोड़ने की वजह से ही उन्होंने मोरधन और साबूदाने से 20 तरह के व्यंजन बनाने सीख लिए. बाद में परिवार की सभी महिलाएं ये व्यंजन बनाने सीख गईं. बताते हैं कि कैलाश विजयवर्गीय जब इंदौर शहर से बाहर रहते हैं तो केवल सब्ज़ी और फल ही खाते हैं.साल 2000 में कैलाश विजयवर्गीय इंदौर शहर के मेयर चुने गए. पितृ पर्वत पर हरियाली नहीं थी. विजयवर्गीय ने तब एक अभियान चलाया. लोगों से जा जाकर कहा कि अपने पुरखों के नाम पर पेड़ लगाओ. हर पुरखे के नाम पर सिर्फ़ एक पेड़. लेकिन पेड़ लगाना है पितृ पर्वत पर. लोगों ने पेड़ लगाना शुरू किया. आज पितृ पर्वत पर तक़रीबन एक लाख पेड़ हैं.