-कुमारी मीनाक्षी के काम की ग्रामीण भी कर रहे हैं तारीफ
-मास्क पहनने से लेकर हाथ धोने के तरीके लोगों को बताया
बांका, 4 जून-
पिछले दो साल में कोरोना जहां एक चुनौती के रूप में सामने आया तो उससे निपटने में भी कुछ लोगों ने एक योद्धा की तरह अपनी जीवटता दिखाई। जिले के बाराहाट प्रखंड के पंजवारा लहेरी टोला की आशा कार्यकर्ता कुमारी मीनाक्षी की भी गिनती ऐसे ही योद्धाओं में होती है। स्वास्थ्य से जुड़ा काम करने के नाते उनकी एक जिम्मेदारी भी थी, लेकिन जब आप अपनी ड्यूटी से एक कदम आगे निकल जाती हैं तो उसकी तारीफ फिर सभी लोग करने लगते हैं। खासकर वैसे लोग जो आपकी सेवा का लाभ उठा रहे हैं। ग्रामीण तो मीनाक्षी के कोरोना काल के योगदान की तुलना किसी फरिश्ते से करते हैं।
मुखिया भोला पासवान कहते हैं कि कोरोना जब शुरू हुआ था तो हमलोग डरे-सहमे थे। हमेशा इस फिराक में रहते थे कि इससे बचने के लिए क्या करें। ऐसी विषम परिस्थिति में आशा कुमारी मीनाक्षी घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने का काम कर रही थीं। उस समय लोग घर से निकलने से भी कतराते थे, लेकिन मीनाक्षी न सिर्फ निकलती थी, बल्कि लोगों को समय देकर कोरोना से बचाव को लेकर समझाती भी थी। पूरी पंचायत के लोग उसके योगदान की तारीफ करते हैं।
ग्रामीण हुए जागरूकः लहेरी टोला के ही शंभू साह कहते हैं कि हाथ धोने से लेकर मास्क पहनने तक की जानकारी हमलोगों को कुमारी मीनाक्षी से ही मिली। वैसे तो टीवी देखते और रेडियो में सुनते थे, लेकिन उसे ठीक से समझ नहीं पाते थे, लेकिन जब मीनाक्षी ने बताया कि ये कोरोना से बचने के उपाय हैं तब हमलोगों को बात समझ में आई। हमलोगों ने जाना कि घर से बाहर निकलते समय मास्क लगाना है और बाहर से घर आने पर 20 सेकेंड तक हाथ की धुलाई करनी है। गांव के ही विजय किशोर सिंह कहते हैं कि गांव में हमलोग एक साथ बैठते थे, लेकिन मीनाक्षी ने ही समझाया कि आपस में दूरी बनाकर रहें। एक-दूसरे के बीच दो गज की दूरी जरूरी है। सामाजिक दूरी का पालन करें। दिनेश सेन गुप्ता कहते हैं कि शुरुआत में गांव के लोग उसकी बात को दरकिनार कर देते थे, लेकिन धीरे-धीरे उसकी बातों को सभी लोग मानने लगे। इसका लोगों को फायदा भी मिला।
प्रभारी बोलीं, मीनाक्षी का योगदान सराहनीयः बाराहाट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी डॉ. रश्मि कुमारी कहती हैं कि कोरोना काल में वैसे तो सभी लोगों ने बढ़-चढ़कर काम किया, लेकिन कुमारी मीनाक्षी का योगदान महत्वपूर्ण है। गांव के लोग भी उसके योगदान को सराहते हैं। मुझे खुशी है कि ऐसी आशा कार्यकर्ता मेरे क्षेत्र में हैं। कुमारी मीनाक्षी कहती हैं कि 2010 से बतौर आशा मैं काम कर रही हूं। मुझे खुशी है कि गांव के लोगों के साथ-साथ प्रभारी भी मेरे काम को बेहतर मानती हूं। कोरोना काल में भी मैं प्रसव से जुड़े काम को भूली नहीं। एक साथ मैंने दोनों काम किया। वह समय चुनौतीपूर्ण भले ही था, लेकिन मेरे लिए यादगार बन गया।