कोरोना मरीज का तिरस्कार नहीं करें, उसके साथ सहानुभूति रखें

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जिले के पहले कोरोना मरीज विजय चिरानिया की लोगों से अपील
एक साल पहले लंदन से आने के दौरान हो गए थे संक्रमित
भागलपुर-
जिले में कोरोना के मरीज फिर से बढ़ने लगे हैं. स्वास्थ्य विभाग इसकी रोकथाम को लेकर सतर्क है. जिले में जगह पर जांच चल रही है. चौक चौराहों पर एंबुलेंस लगाकर लोगों की कोरोना जांच कराई जा रही है. इस वजह से कुछ लोग डरे हुए भी हैं. ऐसे में कोरोना से उबर चुके मरीजों की सलाह महत्वपूर्ण हो सकती है. जिले के नवगछिया के रहने वाले पहले कोरोना मरीज  विजय चिरानिया कहते हैं कि एक साल पहले जब  वह  संक्रमित  हुए थे तो आसपास के लोगों ने  उनसे  दूरी बना ली थी. यहां तक कि लोग फोन भी नहीं उठाते थे. ऐसा नहीं करना चाहिए. उनका कहना है ऐसे मौकों पर लोगों को कोरोना मरीज के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए, ना कि उसका तिरस्कार करना चाहिए. ऐसा करने से मरीज को संबल मिलता है और वह जल्द ठीक हो जाता है.
फोन पर बात करने से नहीं होता है कोरोना: चिरानिया कहते हैं कि जिस तरह से समाज के लोग कोरोना के मरीजों से दूरी बना लेते हैं  वह ठीक नहीं है. यह बात सही है कि कोरोना  एक संक्रामक बीमारी है और इससे बचने के उपाय किया जाना चाहिए, लेकिन अगर आप फोन से बात करेंगे तो कोरोना नहीं हो जाएगा या फिर उस मोहल्ले से भी गुजरेंगे तो आप संक्रमित नहीं होंगे. ऐसा नहीं करना चाहिए कि अगर किसी को कोरोना  हो जाए तो उससे बात करनी भी छोड़ देनी चाहिए. फोन कर उसका हाल चाल लेना चाहिए.  ऐसा करने से मरीजों को हौसला मिलेगा.
कोरोना की गाइडलाइन का करें पालन: विजय चिरानिया कहते हैं कोरोना पर लगाम लगाने के लिए सबसे जरूरी है इसकी गाइडलाइन का पालन करना. लोग मास्क पहने, सामाजिक दूरी का पालन करे और घर पर योग करने की कोशिश करे. योगासन से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कोरोना की चपेट में आने से इससे बच सकते हैं.
परिवार का सहयोग जरूरी: विजय चिरानिया कहते हैं कि ऐसे घड़ी में जब सभी कोई साथ छोड़ देता है तो लोग परिवार की ओर आखिरी उम्मीद से देखते हैं. ऐसी परिस्थिति में परिवार के लोगों को सावधानी बरतते हुए कोरोना मरीज की देखभाल करनी चाहिए. मेरे परिवार वालों ने मेरे लिए काफी दुआ की थी. फोन पर समय-समय पर हालचाल पूछते रहते थे. इससे मुझे संबल मिलता था. . इसलिए अगर किसी के घर में कोई संक्रमित हो जाए तो उसे मरीज के प्रति सहयोगात्मक रवैया रखना चाहिए.
स्वास्थ्यकर्मियों का रवैया सहयोगात्मक: विजय चिरानिया कहते हैं कि जब वह संक्रमित  हुए थे  तो मायागंज अस्पताल में  उनका  इलाज चला था. वहां के डॉक्टरों का रवैया काफी सहयोगात्मक था. स्वास्थ्यकर्मी समय- समय पर आकर हालचाल पूछते थे और भोजन पानी भी समय पर मिल जाता था. इससे  उन्हें  कोरोना से जल्द उबरने में मदद मिली. मायागंज अस्पताल के डॉक्टरों का व्यवहार एक तरह से मेरे लिए संजीवनी बना.