छाया टैबलेट के इस्तेमाल को लेकर एएनएम को दिया गया प्रशिक्षण

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-एएनएम क्षेत्र में जाकर लोगों को छाया का इस्तेमाल करने को करेंगी जागरूक
-परिवार नियोजन को लेकर जिले में लगातार चल रहा है जागरूकता अभियान
भागलपुर, 22 फरवरी-
परिवार नियोजन को लेकर जिले में लगातार अभियान चल रहा है। इसी कड़ी में एएनएम को सदर अस्पताल में छाया टेबलेट के इस्तेमाल करने को लेकर प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान एएनएम को छाया टेबसेट का कैसे इस्तेमाल करना है और इसके क्या फायदे हैं, इसकी जानकारी दी गई। एएनएम को प्रशिक्षण मास्टर ट्रेनर और नाथनगर रेफरल अस्पताल की प्रभारी डॉ. अनुपमा सहाय ने दिया। इस दौरान डीसीएम जफरुल इस्लाम, केयर इंडिया के एफपीसी आलोक कुमार और जितेंद्र कुमार सिंह भी मौजूद थे। मास्टर ट्रेनर ने एएनएम को परिवार नियोजन को लेकर क्षेत्र में लगातार काउंसिलिंग करने के लिए कहा। आरोग्य दिवस, प्रधानमंत्री मातृत्व जांच और परिवार नियोजन दिवस के दिन लोगों को इसे लेकर जागरूक करने के लिए कहा गया।
एएनएम को प्रशिक्षण देते हुए डॉ. अनुपमा सहाय ने बताया कि परिवार नियोजन में छाया टेबलेट महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकता है। बस सिर्फ इसका सही तरीके से इस्तेमाल करने लोगों को सिखना होगा। इसे लेकर एएनएम को क्षेत्र में जाकर लोगों को जागरूक करना होगा। उन्होंने बताया कि छाया टेबलेट का इस्तेमाल सप्ताह में दो बार करना चाहिए। पहला टेबलेट जिस दिन लिए हैं, उसके तीसरे दिन दूसरा टेबलेट लेना है। इससे लोगों को अनचाहे गर्भ से छुटकारा मिलेगा। इन बातों को लोगों को आपलोग क्षेत्र में जाकर समझाइए। इससे परिवार नियोजन को बढ़ावा मिलेगा।
डिलिवरी के तत्काल बाद भी इस्तेमाल कर सकती हैं छायाः डॉ.  सहाय ने बताया कि छाया टैबलेट का इस्तेमाल महिला डिलिवरी के दिन भी कर सकती हैं। जैसे अंतरा सुई का इस्तेमाल डिलिवरी के 42 दिन के बाद  ही किया जाता है, लेकिन छाया टैबलेट के इस्तेमाल में यह बंधन नहीं है। हां, सिर्फ इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि सप्ताह में छाया का इस्तेमाल सिर्फ दो ही दिन करना है और पहली गोली इस्तेमाल करने के बाद दूसरी गोली तीसरे दिन ही करना है। इन बातों का अगर ध्यान रख छाया टैबलेट का इस्तेमाल किया जाए तो लोग परिवार नियोजन के प्रति जागरूक हो सकते हैं।
बच्चों के बीच तीन साल का अंतराल रखने में छाया सहायकः डॉ. सहाय ने कहा कि परिवार नियोजन को लेकर जागरूक करते वक्त लोगों को यह भी समझाएं कि दो बच्चों के बीच तीन साल का अंतराल जरूरी है। ऐसा करने से जच्चा और बच्चा, दोनों स्वस्थ्य रहता है। दो बच्चों के बीच तीन साल का अंतराल रखने में छाया टैबलेट और अंतरा इंजेक्शन का इस्तेमाल काफी सहायक साबित हो सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दो बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल रखने से बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जिससे बच्चा भविष्य में बीमारियों से बचा रहता है। प्रतिरोधक क्षमता अगर मजबूत रहती है तो बच्चा बीमार होने पर भी जल्द उबर जाता है।