टीबी से बचाव को लेकर दी गई जानकारी

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-हबीबपुर के यासिनचक में बैठक का आयोजन
-बैठक में टीबी के लक्षण और बचाव की दी गई जानकारी
भागलपुर, 20 मई-
हबीबपुर के यासिनचक में शुक्रवार को टीबी को लेकर जागरूकता बैठक की गई। बैठक का आयोजन स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीसी) ने कराया। बैठक में जन्नती जीविका की सदस्य भी शामिल थीं। 37 लोगों की उपस्थिति में टीबी को लेकर मूल बातों को बताया गया कि यह कैसे फैलता है और इसका बचाव किस प्रकार किया जा सकता है। लोगों को बताया कि लगातार दो हफ्ते खांसी होना, बलगम के साथ खून आना, वजन कम होना, शाम के वक्त अधिक पसीना आना आदि लक्षण टीबी के हैं। इस तरह की परेशानी होने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में जाएं और जांच करवाएं। जांच में अगर टीबी की पुष्टि हो जाती है तो तत्काल इलाज करवाएं। टीबी के इलाज की व्यवस्था सरकार की तरफ से मुफ्त में होती है। साथ टीबी मरीजों को पौष्टिक आहार लेने के लिए 500 रुपये प्रतिमाह सहायता राशि भी मिलती है।
स्क्रीनिंग में तीन संभावित मरीज मिलेः बैठक के बाद शमा परवीन के सहयोग से क्षेत्र में टीबी मरीजों की खोज के लिए अभियान चलाया गया। इस दौरान 103 लोगों तक पहुंचा गया, जिसमें 79 लोगों की जांच की गई। जांच में टीबी के संभावित तीन मरीज मिले। तीनों मरीजों को  सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। जिला टीबी पदाधिकारी डॉ. दीनानाथ कहते हैं कि टीबी को लेकर लगातार अभियान चलाया जा रहा है। 2025 तक जिले को टीबी से मुक्त करना है, इसलिए लोगों के बीच जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। इसमें कई संगठन भी भाग ले रहे हैं। ऐसे आयोजन से लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता भी बढ़ रही है।
टीबी मरीजों से नहीं करें भेदभावः अभियान के बारे में बताते हुए सीडीओ डॉ. दीनानाथ ने कहा कि पहले टीबी बीमारी के प्रति छुआछूत अधिक थी, लेकिन जागरूकता बढ़ने से इसमें कमी आई है। टीबी एक संक्रमाक बीमारी जरूर है, लेकिन इसका इलाज संभव है। अगर कोई टीबी के लक्षण वाले लोग दिखते हैं तो उससे घृणा करने के बजाय उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करें। ऐसा करने से मरीज का इलाज समय पर हो जाएगा और वह ठीक हो जाएगा। उसके ठीक होने से इसका संक्रमण दूसरों में भी नहीं होगा। साथ ही टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। ऐसा करने से एमडीआर टीबी होने की आशंका रहती है। एमडीआर टीबी होने पर ठीक होने में ज्यादा समय लग जाता है। इसलिए बीच में दवा नहीं छोड़ें।
टीबी को हल्के में नहीं लेना चाहिएः डॉ दीनानाथ ने कहा कि टीबी की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। एक टीबी का मरीज साल में 10 से अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है और फिर आगे वह कई और लोगों को भी संक्रमित कर सकता है, इसलिए लक्षण दिखे तो तत्काल इलाज कराएं। एक के जरिए कई लोगों में इसका प्रसार हो सकता है। अगर एक मरीज 10 लोगों को संक्रमित कर सकता है तो फिर वह भी कई और लोगों को संक्रमित कर देगा। इसलिए हल्का सा लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं और जांच में पुष्टि हो जाती है तो इलाज कराएं। डॉ दीनानाथ ने कहा कि टीबी अब छुआछूत की बीमारी नहीं रही। इसे लेकर लोगों को अपना भ्रम तोड़ना होगा। टीबी का मरीज दिखे तो उससे दूरी बनाने के बजाय उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इससे समाज में जागरूकता बढ़ेगी और जागरूकता बढ़ने से इस बीमारी पर जल्द काबू पा लिया जाएगा। ऐसा करने से कई और लोग भी इस अभियान में जुड़ेंगे और धीरे-धीरे टीवी समाप्त हो जाएगा।