• देश में 7.4 करोड़ आबादी है डायबिटीज से ग्रसित
• इंडियन डायटेटिक ऐसोसीएशन द्वारा डायबिटीज प्रबंधन पर वेबिनार का हुआ आयोजन
• अनुशासित जीवनशैली से डायबिटीज से सुरक्षा संभव
पटना-
आज के समय में बिगड़ती जीवनशैली व अनियमित खानपान के कारण हमारा शरीर कई बीमारियों का घर बन गया है। इन्हीं बीमारियों में से एक है डायबिटीज यानी मधुमेह। हालांकि, डाइबिटीज भले ही एक सामान्य बीमारी है, लेकिन एक बार किसी को हो जाए तो जीवनभर मरीज का साथ नहीं छोड़ती। पूर्व के समय में यह बीमारी सिर्फ 50 साल से ऊपर के लोगों को होती थी, लेकिन आज ज्यादातर लोग इस गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं. विश्व मधुमेह दिवस के उपलक्ष में डायबिटीज प्रबंधन में प्रोटीनयुक्त आहार की भूमिका और मरीजों के उपचार पर इंडियन डायटेटिक ऐसोसीएशन द्वारा वेबिनार का आयोजन किया गया.
डायबिटीज से बचाव में प्रोटीनयुक्त आहार की भूमिका अहम्- शेरील सालिस
वेबिनार में मुख वक्ता एवं एक्सपर्ट शेरील सालिस, निदेशक, नरचर हेल्थ सोलयूशन, मुंबई ने डायबिटीज प्रबंधन में प्रोटीनयुक्त आहार एवं दिनचर्या पर विस्तार से जानकारी दी. शेरील सालिस ने बताया अनियमित दिनचर्या, असंतुलित खानपान एवं जागरूकता के अभाव में देश की बड़ी आबादी मधुमेह के समस्या से ग्रसित है. देश में 7.40 करोड़ लोग टाइप-1 अथवा टाइप-2 डायबिटीज के रोगी हैं. पूरे विश्व में हमारा देश डायबिटीज मरीजों की संख्या में दुसरे नंबर पर है जो चिंता का विषय है. लक्षण नजर आने पर अविलंब जांच और तत्पश्चात तुरंत चिकित्सीय सलाह से डायबिटीज से मुक्ति संभव है.
खाने की थाली में प्रोटीनयुक्त आहार को दें प्राथमिकता:
शेरील सालिस ने बताया, मधुमेह के रोगियों में जागरूकता का अभाव सामान्यतः देखा जाता है. ज्यादातर मरीज यह सोचते हैं कि चिकित्सक उनके खाने-पीने में कई रोक लगाते हैं और इसलिए वे स्वयं इलाज करने की कोशिश करते हैं. ताजे शोधों से यह स्पष्ट है की कम नहीं बल्कि सही आहार तथा दवाई डायबिटीज से मुक्ति का मार्ग है. भारतीय भोजन की थाली में कार्बोहायड्रेट और वसायुक्त सामग्रियों की मात्रा अधिक होती है और भोजन में प्रोटीन की समावेश पर ध्यान नहीं दिया जाता है. शेरील सालिस ने बताया, बहुत आसानी से हम अपने दैनिक आहार में प्रोटीनयुक्त खाद्यपदार्थों का समावेश बढ़ा सकते हैं और इसमें हरी सब्जियों और रंगबिरंगे मौसमी फल को शामिल करना सबसे सरल उपाय है.
मरीज की हालत में सुधार के बाद इंसुलिन की जरुरत नहीं:
शेरील सालिस ने बताया, मधुमेह के रोगियों के मन में यह भ्रांति रहती है कि अगर चिकित्सक ने उन्हें शुगर पर नियंत्रण के लिए इंसुलिन लेने की सलाह दी तो फिर उन्हें अपनी पूरी जिंदगी इंसुलिन की जरुरत पड़ेगी. लेकिन ऐसा नहीं है और मरीज की स्थित में सुधार होने पर तथा चिकित्सक की सलाह पर इंसुलिन का इस्तेमाल रोका जा सकता है. हाइपोग्लाईसेमिया या रक्त में शुगर की अत्यधिक कमी को रोकने में इंसुलिन की भूमिका अहम् होती है और इसके अभाव में मरीज कोमा में जा सकता है और उसकी मृत्यु भी हो सकती है.
नियमित व्यायाम एवं अनुशासित जीवनशैली से डायबिटीज से सुरक्षा संभव:
वेबिनार को संबोधित करते हुए टी.एम.बी. विश्वविद्यालय, भागलपुर के होम साइंस विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. ममता कुमारी ने शेरील सालिस का धन्यवाद देते हुए बताया पेट और कमर पर वसा का अत्यधिक जमाव किसी को भी मधुमेह का रोगी बना सकता है. डायबिटीज से सुरक्षा के लिए पोषणयुक्त आहार, नियमित व्यायाम एवं अनुशासित जीवनशैली को अपनाना बहुत आवश्यक है.
कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनोज कुमार, सचिव, इंडियन डायटेटिक ऐसोसीएशन द्वारा किया गया. वेबिनार में कई चिकित्सक, डाइटिशियन एवं पोषण विशेषज्ञ, सहयोगी संस्थानों के प्रतिनिधि एवं अन्य ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी