-भागलपुर समेत कई जिलों के टीबी के मरीजों को मिल रही आर्थिक मदद
-केएचपीटी की केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की बैठक में निक्षय मित्र कर रहे मदद
भागलपुर, 14 मार्च-
कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर लगातार टीबी केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की बैठक आयोजित कर रहा है। बैठक में टीबी के मरीज, उनकी देखभाल करने वाले होते हैं। इसके साथ-साथ जब से निक्षय मित्र योजना शुरू हुई है, तब से निक्षय मित्र इसमें शामिल हो रहे हैं। बैठक के दौरान टीबी के मरीजों और उनकी देखभाल करने वालों को दवा और इलाज से संबंधित सलाह तो दी ही जाती है। अब इस दौरान टीबी के गरीब मरीजों को निक्षय़ मित्र पोषण के लिए आहार भी उपलब्ध कराते हैं। भागलपुर जिले में अभी सात लोगों को हर महीने पोषण के लिए सामग्री दी जाती है। इसी तरह सूबे के अन्य जिलों में भी इस तरह से मदद की जा रही है। टीबी के गरीब मरीजों को इलाज औऱ दवा तो मुफ्त में मिल ही रही थी अब राशन सामग्री मिल जाने से उन्हों दोतरफा मदद मिल रही है।
केएचपीटी की डिस्ट्रक्ट टीम लीडर आरती झा कहती हैं कि हमलोग स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से लगातार क्षेत्र में काम कर रहे हैं। मरीजों को चिह्नित करने से लेकर लोगों को टीबी के बारे में जागरूक करने के काम से लेकर अब तो उन्हें राशन सामग्री भी उपलब्ध करवाने में मदद कर रहे हैं। खासकर सामुदायिक स्तर पर लोगों की भागीदारी बढ़ने से टीबी मरीजों को और भी राहत मिल रही है। व्यवसाय के क्षेत्र हो या गैरसरकारी सेवा में कार्यरत, सरकारी सेवा में कार्यरत हो या फिर राजनीति में सक्रिय लोग ये सभी टीबी मरीजों को मदद करने में आगे आ रहे हैं।
सरकारी अस्पतालों में टीबी का इलाज मुफ्तः जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. दीनानाथ ने बताया कि केएचपीटी जिले में टीबी उन्मूलन में अच्छा काम कर रहा है। इस तरह के आयोजन से टीबी उन्मूलन में मदद मिलेगी। लोगों में टीबी के प्रति जानकारी बढ़नी बहुत जरूरी है। टीबी का इलाज सरकारी अस्पतालों में बिल्कुल मुफ्त में होता है। यदि किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्ते तक खांसी हो, शाम को पसीना आए, लगातार बुखार रहे, बलगम के साथ खून हो इत्यादि लक्षण महसूस हो तो उसे तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल चले जाना चाहिए। वहां जांच करानी चाहिए। जांच में अगर टीबी की पुष्टि होती है तो तत्काल इलाज शुरू कर देना चाहिए। सरकारी अस्पतालों में इलाज तो मुफ्त में होता ही है, साथ में दवा भी बिल्कुल मुफ्त दी जाती। इसके अलाना जब तक इलाज चलता है, तब तक पांच सौ रुपये प्रतिमाह पौष्टिक आहार के लिए भी मरीजों को दी जाती है।