– लगातार कई दिनों तक खाँसी रहने पर तुरंत कराएं जांच
– अस्पतालों में उपलब्ध है मुफ्त जांच की है सुविधा
– इलाज के लिए मरीजों को सरकार द्वारा दी जाती है सहायता राशि
खगड़िया-
सर्दी के इस मौसम में लोगों को स्वास्थ्य के प्रति विशेष सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। इस मौसम में सर्दी-खांसी और बुखार सहित अन्य ठंडजनित मौसमी बीमारियों की चपेट में आना आम बात है। इसीलिए इस मौसम में खासकर छोटे-छोटे बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना जरूरी है। दरअसल इस मौसम में छोटे- छोटे बच्चों के टीबी की चपेट में आने की संभावना रहती है। इस बीमारी से बचाव के लिए बच्चों को बीसीजी का वैक्सीन लगना जरूरी है| क्योंकि कुपोषित और एनीमिया पीड़ित बच्चों में टीबी होने की संभावना बहुत अधिक रहती है। ऐसे बच्चों की उचित देखभाल बहुत जरूरी है।
टीबी भी है एक संक्रामक बीमारी :-
खगड़िया सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है| इस बीमारी से बचाव के लिए बच्चों के प्रति भी विशेष सजग रहने की जरूरत है । सभी लोगों को अपने बच्चे को निश्चित रूप से बीसीजी का वैक्सीन लगवाना आवश्यक है। इस बीमारी से बचाव के लिए यह सबसे बेहतर और आसान उपाय है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी ट्यूबरक्लोसिस नामक एक बैक्टेरिया के कारण होती है। इस बीमारी से सबसे अधिक प्रभावित फेफड़ा होता है क्योंकि, हवा के जरिये यह बीमारी एक से दूसरे इंसान के अंदर फैलता है। टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह, नाक से निकलने वाली बारीक बूंदें इन्हें फैलाती है। फेफड़ों के अलावा किसी दूसरे अंग पर टीबी इतना संक्रामक नहीं होता है।
टीबी पीड़ित बच्चे के संपर्क से सामान्य बच्चे को बचाएँ :-
डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि टीबी पीड़ित बच्चे के संपर्क से सामान्य बच्चे को दूर रखें। यदि घर से बाहर जाने की आवश्यकता हो तो बच्चे को मास्क पहनाकर ही बाहर भेजें। इसके साथ हीं बच्चों को श्वसन संबंधित स्वच्छता रखने के लिए भी प्रेरित करें। उन्हें पौष्टिक आहार के साथ खानपान में विटामिन – सी वाले भोज्य पदार्थ दें। टीबी पीड़ित बच्चों के लिए अच्छी नींद बहुत जरूरी है।
लक्षण महसूस होते ही कराएं जाँच : –
डा. कुमार के कहा कि टीबी का लक्षण महसूस होते ही ऐसे मरीजों को बिना देरी किए अपनी जाँच करवानी चाहिए। जिला सदर अस्पताल सहित जिले के सभी पीएचसी तथा अन्य सरकारी अस्पतालों में मुफ्त जाँच एवं दवाई की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही ऐसे मरीजों को उचित पोषण के तहत आहार के लिए सहायता राशि भी दी जाती है।
बचाव के उपाय : –
1- 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें ।
– मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर या नैपकिन से कवर करें।
– मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां नहीं थूकें।
– पौष्टिक खाना खाएं, व्यायाम व योग करें ।
– बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।
– भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें।
ये हैं टीबी के लक्षण:—-
– भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना।
– बेचैनी एवं सुस्ती रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना।
– हलका बुखार रहना।
– खांसी , खांसी में बलगम तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।
– गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना।
– गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि।
– महिलाओं को बुखार के साथ गर्दन जकड़ना, आंखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं।
– पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।
– टीबी न्यूमोनिया के लक्षण में तेज बुखार, खांसी व छाती में दर्द होता है।
– इन मानकों का पालन कर कोविड-19 से रहें दूर : –
– 6 फीट की शारीरिक दूरी के नियम का हमेशा करें पालन ।
– साफ-सफाई का रखें विशेष ख्याल ।
– लगातार साबुन से हाथ धोएँ। पानी और साबुन उपलब्ध नहीं होने पर हैंड सैनिटाइजर का करें उपयोग ।
– घर से निकलते समय हमेशा मास्क लगाएँ।
– ऑख, नाक, मुँह को अनावश्यक नहीं छुएं। छूने से पूर्व हाथ को धोएँ या सैनिटाइज करें।
– बातचीत के दौरान सतर्कता का रखें विशेष ख्याल ।