3 महीने तक किसी को बताया नहीं… आशा को जब पता चला तो करवाई जांच

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-जांच में टीबी की पुष्टि होने के बाद रानी देवी का हुआ इलाज शुरू
-6 महीने तक दवा चली तो हो गई स्वस्थ, नारायणपुर के बलहा की है रहने वाली

भागलपुर, 18 फरवरी
नारायणपुर प्रखंड के बलहा गांव की रहने वाली रानी देवी को एक साल पहले जब खांसी में खून आने लगा तो वह डर गई. उसके मन में यह आशंका घर कर गई कि कहीं मुझे टीबी तो नहीं हो गया. लोग उससे नफरत नहीं करने लगे, इस वजह से उसने यह बात किसी को बताई भी नहीं. यह सिलसिला 3 महीने तक चला. एक दिन आशा कार्यकर्ता रीता देवी को यह बात पता चला तो वह रानी के घर गई और उसे जांच के लिए समझाने लगी. लेकिन फिर भी वह इसे छुपाने लगी. 3 दिनों के प्रयास के बाद रीता, रानी को जांच के लिए अस्पताल ले जाने में कामयाब हो गई. इसके बाद जांच में उसे टीबी होने की पुष्टि हुई. फिर उसका इलाज शुरू हुआ. 6 महीने तक दवा चली और अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है.

टीबी का लक्षण दिखाई दे तो तुरंत करवाएं जांच:
अपनी गलती का अहसास रानी देवी को भी है. वह कहती है कि आशा बहन रीता ने मुझे बचा लिया. नहीं तो मैं पता नहीं कब ठीक होती. अगर सही समय पर मेरा इलाज नहीं होता तो मैं आज की स्थिति में नहीं होती. इसलिए मैं हर किसी से यही कहना चाहूंगी कि अगर किसी को टीबी का लक्षण दिखाई दे तो वह जांच करवा कर अपना इलाज शुरू करवाएं. इलाज हो जाने से आप जल्द स्वस्थ हो जाएंगे. इसके बाद अब मैं भी किसी को खांसी में खून की शिकायत आती है तो उसे जांच कराने की सलाह देती हूं.

बीमारी बताने में नहीं करें संकोच:
आशा कार्यकर्ता रीता देवी कहती हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता थोड़ी कम होती है. बीमारी से लोग डरने लगते हैं. उन्हें सामाजिक बहिष्कार का डर सताने लगता है. इस वजह से लोग थोड़ा संकोच करते हैं बताने में, लेकिन हमलोगों का काम ही यही है. इस वजह से गांव की एक-एक घर के लोगों को जानती और समझती हूं. हमें जानकारी किसी न किसी माध्यम से मिल ही जाती है, जिसके बाद मैं उसे जांच कराने ले जाती हूं. अगर जांच में टीबी होने की पुष्टि होती है फिर उसका इलाज शुरू करवाती हूं.

देहाती इलाकों में बढ़ाया जा रहा है जागरूकता कार्यक्रम:
नारायणपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ विजयेंद्र कुमार विद्यार्थी का कहना है कि जो देहात एरिया है, वहां आवागमन की सुविधा इतनी अच्छी नहीं है. वे लोग जागरूकता से थोड़ा अनजान रहते हैं. हमलोग वैसे गांव में भी जागरूकता कार्यक्रम चलाने पर जोर दे रहे हैं और लोगों को ना सिर्फ टीबी, बल्कि दूसरी बीमारी के इलाज के लिए भी जागरूक कर रहे हैं. अगर किसी को टीबी के लक्षण दिखे तो वह तत्काल अपनी जांच शुरू कर करवा लें और अगर जांच में टीबी होने की पुष्टि होती है तो इलाज करवाएं| इससे वह जल्द स्वस्थ होंगे.

बिल्कुल मुफ्त है टीबी का इलाज:
डॉ. विद्यार्थी कहते हैं कि सरकारी अस्पतालों में टीबी का इलाज बिल्कुल मुफ्त में होता है. साथ में दवा भी मिलती है. ऐसे में आर्थिक परेशानी की वजह से इलाज करवाने में देरी नहीं करें. जैसे ही टीवी का लक्षण दिखाई दे, अस्पताल में आकर जांच करवाएं और अपना इलाज शुरू कर दें