– राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस आज, जिला भर के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में बच्चों को खिलायी जाएगी अल्बेंडाजोल की गोली
– 01 से 19 आयु वर्ग के सभी किशोर-किशोरियों को खिलाई जाएगी दवाई
– सदर प्रखंड के आदर्श मध्य विद्यालय बेकापुर में सदर एसडीओ ने किया कार्यक्रम का उदघाटन
मुंगेर, 21 अप्रैल। उचित स्वच्छता नहीं बरतने के कारण बच्चे सबसे ज्यादा कृमि रोग के शिकार होते हैं । उक्त बात गुरुवार को सदर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत आदर्श मध्य विद्यालय बेकापुर में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (22 अप्रैल )कार्यक्रम शुभारंभ करते सदर एसडीओ खुशबू गुप्ता ने कही। उन्होंने बताया कि बच्चे ज्यादातर समय मिट्टी, धूल के बीच खेलते हैं और साफ-सफाई का सही तरीके से ध्यान नहीं रखते हुए गंदे हाथ से खाना खाते और पानी पीते हैं । इसके माध्यम तमाम तरह के हानिकारण बैक्टीरिया भोजन और पानी के जरिये बच्चे के पेट में चले जाते और वो कृमि रोग के शिकार हो जाते हैं। बच्चों को कृमि रोग से बचाने के लिए शुक्रवार 22 अप्रैल को जिलाभर में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाएगा एवं 26 अप्रैल को माॅप-अप दिवस का आयोजन होगा। उक्त कार्यक्रम के तहत जिले भर में 01 से 19 आयु वर्ग के दायरे में आने वाले सभी किशोर- किशोरियों को अल्बेंडाजोल की दवाई खिलाई जाएगी। अब निर्धारित तिथि के अनुसार 22 अप्रैल से जिले के सभी सरकारी व गैर-सरकारी स्कूलों समेत आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यक्रम का आयोजन कर 01 से 19 आयु वर्ग के दायरे में आने वाले सभी योग्य लाभार्थियों को दवा का सेवन कराया जाएगा। कार्यक्रम की सफलता को लेकर सारी तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। ताकि कार्यक्रम का शुभारंभ होने के बाद किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं हो और हर हाल में सफलतापूर्वक कार्यक्रम का समापन सुनिश्चित हो सके। इस अवसर पर मुंगेर के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. आनन्द शंकर शरण सिंह, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (आईसीडीएस) वन्दना पांडेय, डीपीएम जिला स्वास्थ्य समिति नसीम रजि, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राजेश कुमार रौशन, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक निखिल राज सिहित कई पदाधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।
– 01 से 19 आयु वर्ग के सभी लाभार्थियों को खिलायी जाएगी अल्बेंडाजोल :
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राजेश कुमार रौशन ने बताया कि शुक्रवार को पूरे जिले में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाएगा। जिसके तहत जिला के सभी सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, मदरसा, संस्कृत विद्यालय, ऑगनबाड़ी केंद्रों समेत अन्य संस्थानों में कार्यक्रम का आयोजन कर 01 से 19 आयु वर्ग के सभी लाभार्थियों को अल्बेंडाजोल की गोली खिलायी जाएगी। जबकि, 26 अप्रैल को माॅप-अप दिवस के तहत छूटे लाभार्थियों को अल्बेंडाजोल की गोली खिलायी जाएगी। उन्होंने बताया कि मुंगेर जिला में राज्य स्तर से कुल 746015 बच्चों को दवा खिलाने के लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उक्त कार्यक्रम की सफलता को लेकर जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।
– निर्धारित डोज के अनुसार खिलाई जाएगी दवा :
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के दौरान निर्धारित डोज के अनुसार दवाई खिलाई जाएगी। जिसमें 1 से 2 वर्ष के बच्चों के अल्बेंडाजोल 400 एमजी टैबलेट को आधा चूरकर पानी के साथ खिलाना है। 2 से 3 वर्ष के बच्चों को अल्बेंडाजोल 400 एमजी का एक टैबलेट चूर कर पानी के साथ खिलाना है। इसके साथ ही 3 से 19 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों और किशोरों को एक पूरा टैबलेट चबाकर खिलाना है। इसके बाद ही पानी का सेवन करना है। इस अति महत्वपूर्ण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका,आशा कार्यकर्ता, जीविका दीदी समेत अन्य सहयोगी संगठन के कर्मियों से सहयोग लिया जाएगा।
– शारीरिक एवं मानसिक विकास बाधित करती है कृमि :
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. आनंद शंकर शरण सिंह ने बताया कि बच्चों में कृमि संक्रमण, व्यक्तिगत अस्वच्छता तथा संक्रमित दूषित मिट्टी एवं संपर्क से होता है। कृमि के संक्रमण से बच्चों के पोषण स्तर एवं हीमोग्लोबिन स्तर पर गहरा दुष्प्रभाव पड़ता है। जिससे बच्चों का शारीरिक और बौद्धिक विकास प्रभावित होता है। कृमि ऐसे परजीवी हैं, जो मनुष्य के आंत में रहते हैं। आंतों में रहकर ये परजीवी जीवित रहने के लिए मानव शरीर के आवश्यक पोषक तत्वों पर ही निर्भर रहते हैं। जिससे मानव शरीर आवश्यक पोषक तत्वों की कमी का शिकार हो जाता है और वे कई अन्य प्रकार की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। खासकर बच्चों और किशोर एवं किशोरियों पर कृमि के कई दुष्प्रभाव पड़ते हैं। जैसे- मानसिक और शारीरिक विकास का बाधित होना, कुपोषण का शिकार होने से शरीर के अंगों का विकास अवरूद्ध होना, खून की कमी होना आदि जो आगे चलकर उनकी उत्पादक क्षमता को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। कृमि का संचरण चक्र संक्रमित बच्चे के खुले में शौच से आरंभ होता है। खुले में शौच करने से कृमि के अंडे मिट्टी में मिल जाते और विकसित होते हैं। अन्य बच्चे जो नंगे पैर चलते हैं या गंदे हाथों से खाना खाते हैं या बिना ढके हुए भोजन का सेवन करते हैं ,आदि लार्वा के संपर्क में आकर संक्रमित हो जाते हैं। इसके लक्षणों में दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, उल्टी और भूख का न लगना आदि हैं। संक्रमित बच्चों में कृमि की मात्रा जितनी अधिक होगी उनमें उतने ही अधिक लक्षण परिलक्षित होते हैं। हल्के संक्रमण वाले बच्चों व किशोरों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखाई पड़ते हैं।