मोदीनगर। शुकदेव पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद सरस्वती जी ने कहा कि ज्योतिष शास्त्र भारतीय संस्कृति की जीवनधारा का शाश्वत प्रतीक है। यह मानवजीवन के संरक्षण और संवर्धन के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष भविष्य की संभावनाओं का विषय है। यह भविष्य की संभावनाओं की तलाश और कला है। तलाश का विज्ञान है। तलाश का गणित है। भारतीय चिंतन और दर्शन का द्योतक है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष में मानव जीवन की तमाम समस्याओं का समाधान है। यह सकारात्मक और गुणात्मक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। ज्योतिष तनावपूर्ण जीवन में शांति लाता है। देखा जाए तो शांति ही समृद्धि और अशांति ही दरिद्रता है।
स्वामी ओमानंद सरस्वती जी मोदीनगर के एसआएम यूनिवर्सिटी के सभागार में आयोजित राष्ट्रीय ज्योतिष परिषद के शपथ ग्रहण समारोह और अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे। कई विदेशी विद्वानों और भारतीय वेद-उपनिषद के प्रसंग का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ज्योतिष वेद का नेत्र है। महाभारत काल से पूर्व यह अपने शिखर पर रहा। लेकिन, अफसोस की बात है कि उसके बाद आज तक भारतीय ज्योतिष अपने उस गौरव को हासिल नहीं कर सकी है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष अज्ञानता की सतत खोज है, जो हमें स्वयं की खोज की ओर भी ले जाती है। ज्योतिष केवल विज्ञान ही नहीं है, यह तप की कसौटी है। उन्होंने कहा कि तप की कसौटी को दैदीप्यमान स्वरूप प्रदान करने के लिए आचार्य डॉ चंद्रशेखर शास्त्री ने अपने ज्योतिष साथियों और विद्वानों के साथ मिलकर राष्ट्रीय ज्योतिष परिषद का गठन किया। हम इसके संवर्धन और लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपनी शुभकामनाएं देते हैं।
राष्ट्रीय ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष आचार्य डॉ चंद्रशेखर शास्त्री ने उपस्थित सैकड़ों ज्योतिषों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकारें ज्योतिर्विज्ञान को अपने शैक्षणिक वोकेशनल पाठ्यक्रम में सम्मलित करें, जिससे ज्योतिर्विज्ञान पर पाखण्ड का लांछन लगने से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकारों की उदासीनता के चलते ज्योतिष को विज्ञान के स्थान पर पाखंड माना जा रहा है, जबकि ज्योतिष पूर्ण विज्ञान है। सूर्य और चंद्रमा की गति केवल ज्योतिष से ही जानी जा सकती है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष में घटती शोध प्रवृत्ति न केवल समाज के लिए घातक है, बल्कि देश के लिए भी हानिकर है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष के द्वारा ही समग्र का विकास हो सकता है, इसलिए सबका साथ और ज्योतिष के विकास के लिए कार्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ज्योतिष ही समाज का नेत्र है, क्योंकि यह वेदों का नेत्र कहा गया है। वेद के अर्थ ज्ञान से होते हैं।
राष्ट्रीय ज्योतिष परिषद के कार्यक्रम में पूर्व मंत्री व सांसद जसवंत सिंह, स्थानीय विधायक डॉ मंजू शिवाच ने भी अपने वक्तव्य दिए। इसके साथ ही देश के जाने माने ज्योतिषाचार्य पं. अजय भांबी, योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण, पं. सुभेष शर्मन, डॉ. राजेश ओझा, अखिलेश दिवेदी, निरंजन भट्ट, अक्षय भारती, रमेश सेमवाल, पूर्व आईपीएस अरुण उपाध्याय, भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी अशोक शर्मा, कैप्टन लेखराज शर्मा, विनायक पुलह आदि लोगों ने अपने विचार प्रकट किए।
Attachments area