· पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में हुआ सेमिनार का आयोजन
· नवजात मृत्यु दर में कमी लाने से शिशु मृत्यु दर में स्वत: आयेगी कमी
· पोस्टर एवं लेखन प्रस्तुतीकरण कार्यक्रम होगा आयोजित
· जन्म के एक घंटे के भीतर शिशु को माँ का गाढ़ा पीला दूध पिलाएं
पटना/ 17 नवंबर। नवजात की समुचित देखभाल उसके बचपन को खुशहाल बनाने के लिए बहुत ही जरूरी है। इसके अलावा शिशु मृत्यु दर को भी कम करने में इसकी बड़ी भूमिका है। इसी को ध्यान में रखते हुए 15 से 21 नवम्बर तक नवजात शिशु देखभाल सप्ताह मनाया जा रहा है। सप्ताह के दौरान समुदाय के सभी वर्ग के लोगों को नवजात शिशु देखभाल की जरूरत पर जागरूक किया जा रहा है। इस पर विशेष चर्चा के लिए पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के शिशु रोग विभाग के सेमिनार हॉल में ‘‘राष्ट्रीय नवजात सप्ताह-2020’’ पर सेमिनार आयोजित किया गया । राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार, पटना से आये राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, शिशु स्वास्थ्य, डॉ विजय प्रकाश राय की अध्यक्षता में यह सेमिनार आयोजित किया गया।
एक वर्ष में होने वाली कुल शिशुओं की मौत में तीन चौथाई मौत नवजातों में:
सर्वप्रथम डॉ एके जायसवाल, विभागाध्यक्ष, शिशु रोग, पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ने बैठक में आये हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कोविड-19 वैश्विक महामारी काल में शिशुओं की देखभाल के संबंध चर्चा की। उन्होनें बताया कि एक वर्ष में होने वाले कुल शिशुओं की मृत्यु में तीन चैथाई मृत्यु केवल नवजातों में होता है। अगर नवजात मृत्यु में कमी लायी जाए तो शिशु मृत्यु दर में स्वतः कमी आ जायेगी। सेमिनार में यूनिसेफ बिहार, पटना के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. सैय्यद हुब्बै अली ने विस्तारपूर्वक इस दिवस के महत्व एवं आवश्यकता को बताया। उन्होनें बताया कि ‘‘राष्ट्रीय नवजात सप्ताह-2020’’ का विषय है – हर स्वास्थ्य संस्थान पर हर नवजात की देखभाल में गुणवत्ता, समानता एवं गरिमा सुनिश्चित करते हुए सुविधा प्रदान करना । इसी दिशा में आज का यह सेमिनार आयोजित किया गया ।
पोस्टर एवं लेखन प्रस्तुतीकरण कार्यक्रम होगा आयोजित:
डॉ. विजय प्रकाश राय, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, शिशु स्वास्थ्य, राज्य स्वास्थ्य समिति,बिहार पटना ने विस्तारपूर्वक राज्य में समुदाय स्तर से लेकर राज्य स्तर तक षिषु स्वास्थ्य से संबंधित चल रहे कार्यक्रमों एवं सेवाओं पर चर्चा की । इस ‘‘राष्ट्रीय नवजात दिवस-2020’’ पर यूनिसेफ, बिहार के सौजन्य से पोस्टर एवं लेखन प्रस्तुतीकरण कार्यक्रम भी आयोजित की जा रही, जिसमें पुरस्कार की घोषणा की गई है। इस सेमिनार में शिशु रोग विभाग के डॉ. अनिल कुमार तिवारी, डॉ. नीलम वर्मा, डॉ. भुपेंद्र नारायण, डॉ. अखिलेश झा तथा डॉ. आफताब आलम, सामूदायिक स्वास्थ्य सलाहकार, यूनिसेफ एवं डॉ अनुपमा झा, शिशु स्वास्थ्य सलाहकार, यूनिसेफ, पटना के साथ शिशु रोग विभाग, प्रसुति विभाग के कई चिकित्सक, सीनियर रेजिंडेट, पीजी,इंटन्र्स, चिकित्सक, स्टाफ नर्स इंचार्ज , स्टाफ नर्स इत्यादि मौजूद थे।
जन्म के एक घंटे के भीतर माँ का गाढ़ा पीला दूध पिलाएं:
डॉ. विजय प्रकाश राय, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, शिशु स्वास्थ्य ने कहा कि नवजात शिशु की आवश्यक देखभाल के लिए जरूरी है कि प्रसव चिकित्सालय में ही कराएं। प्रसव के बाद 48 घंटे तक माँ एवं शिशु की उचित देखभाल के लिए चिकित्सालय में रुकें। नवजात को तुरंत न नहलायें केवल शरीर पोंछकर नर्म साफ़ कपड़े पहनाएं। जन्म के एक घंटे के भीतर माँ का गाढ़ा पीला दूध पिलाना शुरू कर दें और छह माह तक सिर्फ और सिर्फ स्तनपान कराएं। जन्म के तुरंत बाद नवजात का वजन लें और विटामिन ‘के’ का इंजेक्शन लगवाएं। नियमित और सम्पूर्ण टीकाकरण कराएँ। नवजात की नाभि सूखी एवं साफ़ रखें, संक्रमण से बचाएं और माँ व शिशु की व्यक्तिगत स्वच्छता का ख्याल रखें। कम वजन और समय से पहले जन्में बच्चों पर विशेष ध्यान दें और शिशु का तापमान स्थिर रखने के लिए कंगारू मदर केयर (केएमसी) की विधि अपनाएँ। शिशु जितनी बार चाहे दिन या रात में बार-बार स्तनपान कराएं। कुपोषण और संक्रमण से बचाव के लिए छह महीने तक केवल माँ का दूध पिलाएं, शहद, घुट्टी, पानी आदि बिल्कुल न पिलाएं।
सप्ताह के मुख्य उद्देश्य:
नवजात शिशु की आवश्यक देखभाल करने के बारे में जनसमुदाय को जागरूक कर नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाना, जन्म के तुरंत बाद स्तनपान, छह माह तक केवल स्तनपान और छह माह के बाद ऊपरी आहार देकर बच्चों को सुपोषित बनाना और शिशुओं का समय से नियमित टीकाकरण कराना आदि के बारे में विधिवत जानकारी देना नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का प्रमुख उद्देश्य है।