नईदिल्ली-
दिल्ली में केजरीवाल सरकार और एलजी के बीच चल रही अधिकारों की जंग मामले में उच्चतम न्यायालय एक महत्वपूर्ण फैसले में उपराज्यपाल को झटका दिया है। पांच जजों के बेंच ने सर्वसम्मति से कहा कि असली ताकत मंत्रिपरिषद के पास है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मंत्रिपरिषद के सभी फैसलों से उप-राज्यपाल को निश्चित रूप से अवगत कराया जाना चाहिए, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इसमें उप-राज्यपाल की सहमति आवश्यक है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उप-राज्यपाल को स्वतंत्र अधिकार नहीं सौंपे गए हैं। कोर्ट ने इसके साथ ही दिल्ली सरकार और एलजी को आपसी तालमेल से काम करने की सलाह भी दी। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देना मुमकिन नहीं है क्योकि दिल्ली की स्थिति अन्य राज्यों से अलग है। अदालत ने कहा कि चुनी हुई सरकार से ही दिल्ली चलेगी। अदालत ने यह भी कहा कि दिल्ली में पुलिस और जमीन का अधिकार केंद्र सरकार के पास ही रहेगा। फैसले आने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे लोकतंत्र की जीत बताया है और कहा है कि आज का दिन ऐतिहासिक है। गौरतलब है कि न्यायालय दिल्ली के उपराज्यपाल को राष्ट्रीय राजधानी का प्रशासनिक मुखिया घोषित करने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के अगस्त 2016 के फैसले के खिलाफ अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की अपील पर महत्वपूर्ण फैसला सुना रहा था। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राज्यों को संविधान में मिले अधिकारों के उपयोग का अधिकार है लेकिन उपराज्यपाल को फैसलों की जानकारी देनी चाहिए। अदालत ने कहा कि दिल्ली की स्थिति बाकी राज्यों से अलग है और केंद्र तथा राज्य के बीच सौहार्दपूर्ण रिश्ते होने चाहिए ताकि कार्य सही ढ़ंग से चल सके। साफ है कि पीठ के तीनों जजों की यही राय दी की उपराज्यपाल राज्य मंत्रिमंडल की सलाह पर काम करें। गौरतलब है कि पिछले दिनों अरविंद केजरीवाल उपराज्यपाल के ओफिस में धरने पर बैठे थे जिसके कारण दिल्ली का कामकाज रूकी हुई थी।