फाइलेरिया की रोकथाम को जागरूकता जरूरी

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-सर्वजन दवा सेवन पर लाभार्थियों की प्रतिक्रिया

-20 से 23 सितम्बर तक चला घर-घर दवा वितरण अभियान
-फ्रंटलाइन वर्कर्स को सामने दवा खिलाने का निर्देश

जमुई, 28 सितम्बर

जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चलाये गए सर्वजन दवा सेवन अभियान के प्रथम चरण में लाभार्थियों ने दवा का सेवन किया | 2 वर्ष से ऊपर के लोगों को डीईसी और अल्बेन्डाजोल का संयुक्त डोज आशा/ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने खिलाया | 2 से 5 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे को डीईसी 100 एमजी की एक गोली, 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चों को डीईसी 200 एमजी की दो गोली, 15 से अधिक उम्र वर्ग के लोगों को डीईसी 300 एमजी की तीन गोली के साथ ही प्रत्येक लाभार्थी को अल्बेंडाजोल गोली की 400 एमजी खिलाने के लिए निर्धारित है | इसे गर्भवती महिलाओं, दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों और असाध्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को नहीं लेने की हिदायत भी दी गई है|
इसी सम्बंध में सदर प्रखंड के हांसडीह गाँव की आशा बतिना खातून ने बताया कि उन्होंने 30 लाभार्थियों को दवा का सेवन कराया है | जिसमें मुस्तरी खातून-36 वर्ष, शहनाज खातून-39 वर्ष, हासिम अंसारी-45 वर्ष ने कहा कि दवा दिए गए निर्देशों के अनुसार खाया। इसमें कोई परशानी नहीं हुई |
दूसरी ओर खैरा प्रखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्र गढ़ी गाँव में कार्यरत आशा सुनीता ने सर्वजन दवा एक दर्ज़न लाभार्थियों को अपने सामने सेवन कराने की बात कही | जिसमें कुछ लोगों जैसे रानी देवी-28 वर्ष और 45 वर्षीय नज्बुल को दवा सेवन के थोड़े देर में मितली की शिकायत हुई जो स्वतः ठीक हो गया |
इस बाबत पर डॉ. रमेश प्रसाद, अवर चिकित्सा पदाधिकारी सह गैर संक्रामक बीमारियों के पदाधिकारी ने कहा राज्य स्वास्थ्य समिति से प्राप्त सूचना के अनुसार पल्स पोलियो राउंड को ध्यान में रख कर सर्वजन दवा सेवन को 26 से 30 सितम्बर तक रोक दिया गया है | पुनः एक अक्टूबर से दवा सेवन का कार्य सुचारू तौर पर चलाया जायेगा | इससे जुड़े तकनीकी पहलु पर उन्होंने कहा फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाला एक गंभीर संक्रामक बीमारी है। जिसे आमतौर पर हाथी पांव भी कहा जाता है। कोई भी व्यक्ति किसी भी उम्र में फाइलेरिया से संक्रमित हो सकता है। फाइलेरिया के प्रमुख लक्षण हाथ और पैर या हाइड्रोसिल (अण्डकोष) में सूजन का होना होता है। प्रारंभिक अवस्था में इसकी पुष्टि होने के बाद जरूरी दवा सेवन से इसे रोका जा सकता है। इसके लिए लोगों में जागरूकता की आवश्यकता है।