साथ उठने-बैठने से नहीं होता है एड्स

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एड्स दिवस आज

एड्स को लेकर भ्रम को करें दूर, पीड़ित से नहीं करें भेदभाव
लक्षण दिखे तो इलाज शुरू करवाएं, नहीं करें किसी तरह का संकोच

बांका, 30 नवंबर।
विश्व एड्स दिवस 1 दिसम्बर को मनाया जाएगा। इस वर्ष का थीम एचआईवी/एड्स महामारी समाप्त करना: लचीलापन और प्रभाव रखा गया है। एचआईवी के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से एक दिसंबर को एड्स दिवस मनाया जाता है। हर साल इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग और तमाम संगठन एचआईवी महामारी की ओर हम सभी को ध्यान दिलाता है। एचआईवी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रयास किया जाता है। इसे रोकने के लिए कदम उठाया जाता है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या भ्रम को लेकर है।
रोगी के साथ उठने-बैठने से एड्स नहीं फैलता–
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. सुनील कुमार चौधरी कहते हैं कि कई लोग सोचते हैं कि एड्स रोगी के साथ उठने-बैठने से यह रोग फैलता है जो कि पूरी तरह से गलत है। यह बीमारी छुआछूत की नहीं है। इसलिए घर या ऑफिस में साथ-साथ रहने से, हाथ मिलाने से, कमोड, फोन या किसी के कपड़े से या फिर मच्छर के काटने से नहीं होता है। इसलिए एड्स के मरीजों से किसी तरह का भेदभाव नहीं करें और अगर किसी में एड्स के लक्षण दिखाई पड़े तो तत्काल इलाज शुरू करवाएं। किसी तरह का संकोच नहीं करें।

रोग प्रतिरोधक क्षमता को करता है कमजोर:
डॉ. चौधरी कहते हैं कि ह्यूमन इम्यूनो डीफिसिएंसी वायरस यानी एचआईवी इंफेक्शन से होने वाली गंभीर बीमारी है। इसे आम बोलचाल में एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यून डीफिसिएंसी सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। इसमें वायरस व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) पर हमला करता है, जिसकी वजह से शरीर सामान्य बीमारियों से लड़ने में सक्षम नहीं रह पाता है।

असुरक्षित यौन संबंध से फैलता है एड्स:
डॉ. चौधरी कहते हैं कि आमतौर पर असुरक्षित यौन संबंध बनाने से लोग एड्स की चपेट में आते हैं। समलैंगिकता की वजह से भी लोग एड्स से पीड़ित हो जाते हैं। इसके अलावा इंफेक्शन से भी एड्स फैलता है। इसलिए एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। लोगों को कंडोम का इस्तेमाल करने या फिर असुरक्षित यौन संबंध नहीं बनाने के प्रति समझाकर ही इस पर काबू किया जा सकता है।

इससे बचें–
-ब्लड-ट्रांसफ्यूजन के दौरान शरीर में एचआईवी संक्रमित रक्त के चढ़ाए जाने से.
-एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति पर इस्तेमाल की गई इंजेक्शन की सुई का इस्तेमाल करने से.
-एचआईवी पॉजिटिव महिला की गर्भावस्था या प्रसव के दौरान या फिर स्तनपान कराने से भी नवजात शिशु को यह मर्ज हो सकता है
-इसके अलावा रक्त या शरीर के अन्य द्रव्यों जैसे वीर्य के एक दूसरे में मिल जाने से, दूसरे लोगों के ब्लेड, उस्तरा और टूथब्रश का इस्तेमाल करने से भी बचना चाहिए .

ये हैं लक्षण-,
-एड्स होने पर मरीज का वजन अचानक कम होने लगता और लंबे समय तक बुखार हो सकता है.
-काफी समय तक डायरिया बना रह सकता है।
-शरीर में गिल्टियों का बढ़ जाना व जीभ पर भी काफी जख्म आदि हो सकते हैं.
जब इस तरह के लक्षण दिखे तो तुरंत अपनी जांच करवा लें।

एड्स से संबंधित जांच
-एलिजा टेस्ट
-वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट
-एचआईवी पी-24 ऐंटीजेन
(पी.सी.आर.)
-सीडी-4 काउंट

डॉक्टर के निर्देश पर अमल करें:
जांच की सुविधा बांका सदर अस्पताल में उपलब्ध है। अगर लक्षण दिखे तो भागलपुर स्थित मायागंज अस्पताल में जाकर अपना इलाज तत्काल शुरू करवाएं। वहां पर एचएएआरटी (हाइली एक्टिव ऐंटी रेट्रो वायरस थेरैपी) एड्स सेंटर पर नि:शुल्क इलाज उपलब्ध है। डॉ. चौधरी कहते हैं कि यह एक नया साधारण व सुरक्षित उपचार है। एचआईवी संक्रमित लोगों के लिए आशावान होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे भी लोग हैं जो एचआईवी/एड्स से पीड़ित होने के बावजूद पिछले 10 सालों से जी रहे हैं। अपने डॉक्टरों के निर्देशों पर पूरा अमल करें। दवाओं को सही तरीके से लेते रहना और एक स्वस्थ जीवनचर्या बनाये रखने से आप इस रोग को नियंत्रित कर सकते हैं।
कोरोना काल में इन उचित व्यवहारों का करें पालन,-
– एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
– सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।
– अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।
– आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
– छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें।