खरीक प्रखंड के राघोपुर गांव की जीविका अंजली देवी
गांव के लोगों को सफाई के प्रति जागरूक रहने की कर रही अपील
भागलपुर
खरीक प्रखंड के राघोपुर गांव की दूरी गंगा नदी से ज्यादा नहीं है. इस समय बाढ़ का खतरा भी बना हुआ है गाँव के लोग बाढ़ की आशंका को लेकर सुरक्षित ठिकानों की तलाश में है, लेकिन इसी गांव की कृष्णा स्वयं सहायता समूह की जीविका दीदी अंजली देवी इस विषम परिस्थिति में भी लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करने का काम कर रही हैं. गांव के लोगों को वह भीड़ में नहीं चलने की सलाह दे रही हैं. साथ ही सफाई का ध्यान रखने को कह रही हैं. घर से लोगों को मास्क लगाकर बाहर निकलने की अपील कर रही हैं.
कोरोना काल में एक तरफ जहां लोग संक्रमण से बचने के लिए घरों में रहना पसंद कर रहे हैं, वहीं जीविका दीदी अंजली देवी लोगों को जागरूक करने का काम कर रही है. ऊपर से
लोगों की सोच में आया बदलाव: जीविका दीदी अंजलि बताती हैं कि गांव के लोग पहले सावधानी नहीं बरत रहे थे. एक साथ घूमते दिख जाते थे, लेकिन जब से हमने उनको बताया कि सफाई का ध्यान रखें. एक साथ झुंड में नहीं चलें और मास्क लगाकर घर से निकले. इसके बाद लोगों में बदलाव आया और अब वे लोग इन बातों का ख्याल रख रहे हैं. जब उनसे पूछा गया कि कोरोना के इस माहौल में क्या आपको इस तरीके से काम करने में भय नहीं होता है, उन्होंने कहा किस बात का भय रहेगा. आखिर गांव के लोगों को बचाने के लिए जागरूक करना है इसलिए थोड़ा रिस्क तो लेना पड़ेगा. अंजलि ने कहा के घर से निकलते वक्त मास्क पहन लेते है. साथ में सोशल डिस्टेंस का ख्याल रखती हूं. इस वजह से हमें कोई परेशानी नहीं होती.
बाहर से आए प्रवासी मजदूरों की कर रही पहचान: जीविका दीदी अंजली देवी लोगों को सफाई के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ गांव में आए प्रवासी मजदूरों की पहचान कर रही हैं. दरअसल बाहर से आए मजदूरों को जीविका के माध्यम से ₹30000 तक का लोन दिया जाएगा. जिसकी मदद से वे अपना छोटा मोटा व्यापार कर आत्मनिर्भर बन पाएंगे. इस काम में भी अंजली देवी अपनी भूमिका निभा रही हैं. वह गांव में आए बाहर से प्रवासी मजदूरों की पहचान कर उन्हें इसके बारे में जागरूक कर उनका आत्मविश्वास बढ़ा रही हैं.
गर्भवती और धात्री महिलाओं की कर रही गिनती: जीविका के खरीक प्रखंड के ब्लॉक प्रोजेक्ट मैनेजर बलदेव कुमार का कहना है कि ऐसा नहीं है कि कोरोना का काम करने के चलते अंजली देवी ने रूटीन कार्य छोड़ दिया हो। अंजली देवी लगन से अपना काम कर रही हैं. इनके काम की काफी सराहना होती है. प्रखंड के बेहतर काम करने वाले जीविका में इनकी गिनती होती है. वह कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ आशा कार्यकर्ता के साथ मिलकर गांव की गर्भवती व धात्री महिलाओं की पहचान उन्हें सही पोषण लेने की सलाह देती हैं. साथ ही इस दौरान क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए यह भी उन्हें बताती हैं.
परिवार की जिम्मेदारी का भी बखूबी कर रही निर्वाहन: अंजली देवी के चार बच्चे हैं. पति अभी बेरोजगार हो गए हैं. कोरोना से पहले दिल्ली में रहकर कमाई करते थे, लेकिन कोरोना के चलते वहां से वापस आ गए. इस तरह से घर के छह लोगों की जिम्मेदारी उन पर है और इसका बखूबी निर्वाहन वह कर रही हैं. अंजलि कहती हैं घर में कुछ दूसरे आय के स्रोत है. साथ ही मैं भी कुछ कमाई कर लेती हूं. दोनों कमाई से घर परिवार का गुजारा हो जाता है