पुणे
बैंक ऑफ महाराष्ट्र के एमडी और सीईओ रवींद्र मराठे, कार्यकारी निदेशक राजेंद्र गुप्ता और दो अन्य बैंक अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया। इन पर कथित रूप से डीएसके डेवलपर्स लिमिटेड को बिना उचित प्रक्रिया और आरबीआई के नियमों को ताक पर रखकर करोड़ों रुपये लोन देने का आरोप है।
पुलिस ने बताया कि ये गिरफ्तारी 2043 करोड़ रुपये के आर्थिक धोखाधड़ी के सिलसिले में की गई है।गौरतलब है कि यह धोखाधड़ी पुणे के डिवेलपर डीएस कुलकर्णी और उनके ग्रुप की कंपनियों ने अंजाम दिया। बैंक के पूर्व एमडी और सीईओ सुशील मुहनोत, जोनल मैनेजर नित्यानंद देशपांडे और कंपनी के चीफ इंजिनियर और वाइस प्रेजिडेंट राजीव नेवास्कर को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया है।
मुहनोत को जयपुर और देशपांडे केा अहमदाबाद से अरेस्ट किया गया। बैंक ऑफ महाराष्ट्र एकमात्र राष्ट्रीयकृत बैंक है जिसका मुख्यालय पुणे में है। जांच अधिकारी और आर्थिक अपराध शाखा में सहायक पुलिस आयुक्त नीलेश मोरे ने कहा, ‘इन बैंक अधिकारियों ने डीएसकेडीएल के साथ सांठगांठ किया ताकि लोन के नाम पर उसे पहले धन दिया जाए और बाद में उसे बेइमानी करके निकाल लिया जाए।’
इस 2043 करोड़ रुपये के घोटाले में डीएसके ग्रुप ने पहले निवेशकों, बैंकों, घर के खरीदारों और वित्तीय संस्थानों से जुटाए और बाद में उसे बेइमानी से निकाल लिया। अपने आधिकारिक बयान में बैंक ने कहा कि उसका डीएसकेडीएल के पास कुल 94 करोड़ 52 लाख रुपये बाकी है। बैंक ने कहा कि इस पैसे को वापस पाने के लिए उसने प्रक्रिया शुरू कर दी है और कुछ संपत्तियों की नीलामी प्रक्रिया शुरू हो गई है।