आंत और सांस में तकलीफ की मिल रहीं शिकायतें
सदर अस्पताल में एक सप्ताह में 600 बच्चों का हुआ इलाज
भागलपुर, 5 अगस्त
कोरोना काल और बदलते मौसम में बच्चों की सेहत को लेकर सावधान रहने की जरूरत है। इस मौसम में सतर्कता नहीं बरतने पर सर्दी, बुखार समेत कई बीमारियों की चपेट में बच्चे आ सकते हैं। अभी के मौसम में बच्चों में आंत और सांस में तकलीफ की भी शिकायतें मिल रही हैं। ऐसे मौसम में विशेषकर बच्चों के खान-पान में भी अभिभावकों को सावधान रहना चाहिए।
सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. कुंदन शर्मा कहते हैं कि बदलते मौसम में बच्चों को आंत व सांस की तकलीफ बढ़ जाती है। पिछले एक सप्ताह के दौरान ओपीडी में छह सौ से अधिक बच्चे सर्दी-खांस, बुखार, निमोनिया, टाइफाइड, कै-दस्त, गैस्टिक, जोंडिस की शिकायत लेकर इलाज कराने पहुंच चुके हैं। इसमें 20 प्रतिशत की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। ऐसे मौसम में सावधान रहने की जरूरत है। खासकर परिजन को बच्चों की देखभाल करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
बच्चों के खान-पान में बरतें सावधानी
डॉ. शर्मा कहते हैं बारिश के मौसम में खान-पान के कारण बच्चे ज्यादा बीमार पड़ रहे हैं। बोतल बंद पानी से बच्चों में संक्रमण का खतरा बढ़ता है। इसलिए उसे घर का पानी और ताजा खाना खिलायें। फ्रिज में रखा खाना एक दिन के बाद नहीं खिलाना चाहिए। प्लास्टिक में रखे दूध के प्रोडक्ट से बच्चों से दूर रखना चाहिए।
मां के दूध से बढ़ेगी प्रतिरोधक क्षमता
मां का दूध काफी लाभदायक है। डॉ. शर्मा ने बताया कि मां के दूध से बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। नियमित स्तनपान कराने से बच्चों में निमोनिया व डायरिया जैसी गम्भीर रोगों के होने की सम्भावना कम होती है। स्तनपान शिशुओं को श्वसन संक्रमण सम्बधी होने वाले खतरों से भी बचाव करने में सहायक होता है। इसलिए बच्चों को पहले 6 माह सिर्फ और सिर्फ मां का स्तनपान ही करना चाहिए।
हाथ धोकर बच्चे को लें गोद
बच्चे को बीमारियों से बचाने और उसके रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए सबसे जरूरी है कि उसे किसी भी तरह के संक्रमण की चपेट में नहीं आने दें। इसलिए जरूरी है कि बच्चे को हाथ धोकर लें गोद। बच्चे के होठों या गालों को न चूमें। किसी का जूठा ना खिलाएं। कपड़े और खिलौने को साफ जगह पर रखें। साथ ही गर्मी के कारण घमोची से बचाने के लिए बच्चों को सूती का कपड़ा पहनाएं। साथ ही उनके शरीर को साफ कपड़ा से पोछें, ताकि पसीना चमड़ी में चिपका नहीं रहे।
नींद की कमी नहीं होने दें
स्वस्थ रहने के लिए नींद किसी भी व्यक्ति के लिए जरूरी है। नींद पूरी नहीं होने से लोग तमाम बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। यदि बच्चे की नींद पूरी न हो तो उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है। इससे वह जल्द ही बीमारियों की चपेट में आने लगता है। इसलिए जरूरी है कि बच्चे की नींद पूरी हो। नवजात को एक दिन में 18 घंटे तो छोटे बच्चों को 12 से 13 घंटे नींद की आवश्यकता होती है।