खेल जगत को बड़ा झटका, फुटबॉल में देश और क्रिकेट में राज्य का गौरव बढ़ाने वाले चुन्नी गोस्वामी का निधन

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chunni goswami passes away

2020 साल हम सब के लिए बहुत ही बुरा गुजर रहा है दुनिया अभी कोरोना वायरस से लड़ ही रही थी की इर्र्फान और ऋषि कपूर के निधन के बाद फुटबॉल में देश और क्रिकेट में राज्य का गौरव बढ़ाने वाले चुन्नी गोस्वामी का  भी आज निधन हो गया .  इस दो दिनों में हमारे 3 lagend इस दुनिया से हमेशा के लिए अलविदा हो गए | दुखो से बॉलीवुड और पूरा भारत सदमे में है .

chunni goswami death
Chuni Goswami, 82, passes away in Kolkata after suffering from prolonged illness | Photo: DD News, Twitter

अखिल भारतीय फुटबॉल फ़ेडरेशन (एआईएफएफ) ने भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान सुबीमल (चुन्नी) गोस्वामी के निधन पर शोक जताया है। गोस्वामी ने गुरुवार को 82 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। वह लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे।

उनकी कप्तानी में भारत ने 1962 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था और 1964 में एशियन कप में उपविजेता भी रहा था। उन्होंने मोहन बागान के लिए 1956 से 1964 तक 50 मैच खेले थे। एक क्रिकेटर के तौर पर उन्होंने 1962 से 1973 तक अपने राज्य के लिए 46 प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच खेले थे।

chunni goswami cricket ground

महान फुटबॉलर और फर्स्ट क्लास क्रिकेटर भी खेलने वाले चुन्नी गोस्वामी (Chuni Goswami) का दिल का दौरा पड़ने की वजह से गरुवार को कोलकाता में निधन हो गया। गोस्वामी ने भारत के लिए बतौर फुटबॉलर 1956 से 1964 तक 50 मैच खेले।

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गोस्वामी 1962 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के कप्तान थे
क्रिकेटर के तौर पर उन्होंने 1962 और 1973 के बीच 46 प्रथम श्रेणी मैचों में बंगाल का प्रतिनिधित्व कियाchunni goswami

गोस्वामी उन चुनिंदा खिलाड़ियों में शामिल थे, जिन्होंने अपने राज्य के लिए फुटबॉल और क्रिकेट दोनों में नुमाइंदगी की थी। गोस्वामी 1962 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के कप्तान थे। बंगाल के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी खेले थे। उनकी दोनों खेलों पर जबरदस्त पकड़ थी। परिवार के कहा, ‘उन्हें दिल का दौरा पड़ा और अस्पताल में करीब पांच बजे उनका निधन हो गया।’

वह मधुमेह, प्रोस्ट्रेट और तंत्रिका तंत्र संबंधित बीमारियों से जूझ रहे थे। उन्हें रोज इंसुलिन लेना होता था और लॉकडाउन के कारण उनका मेडिकल सुपरवाइजर भी नियमित रूप से नहीं आ पाता था जिससे उनकी पत्नी बसंती उन्हें दवाई देती थीं। अविभाजित बंगाल के किशोरगंज जिले (मौजूदा बांग्लादेश) में जन्में गोस्वामी का असल नाम सुबीमल था लेकिन उन्हें उनके निकनेम से ही जाना जाता था।

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उन्होंने भारत के लिए 1956 से 1964 के बीच में 50 अंतरराष्ट्रीय मैच (जिसमें से 36 अधिकारिक थे) खेले जिनमें रोम ओलिंपिक शामिल था। उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 13 गोल दागे। भारतीय फुटबाल टीम के कप्तान के रूप में उन्होंने देश को 1962 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक और इस्राइल में 1964 एशिया कप में रजत पदक दिलाया। यह अब तक का भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। गोस्वामी बंगाल के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी खेले थे। क्रिकेटर के तौर पर उन्होंने 1962 और 1973 के बीच 46 प्रथम श्रेणी मैचों में बंगाल का प्रतिनिधित्व किया।

एशिया के सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइकर का पुरस्कार

गोस्वामी, पी के बनर्जी और तुलसीदास बलराम भारतीय फुटबॉल के स्वर्णिम दौर की शानदार फॉरवर्ड पंक्ति का हिस्सा थे जब भारत एशिया में फुटबॉल की महाशक्ति था । गोस्वामी ने 1962 में एशिया के सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइकर का पुरस्कार जीता था। उन्हें 1963 में अर्जुन पुरस्कार और 1983 में पद्मश्री से नवाजा गया। भारतीय डाक विभाग ने जनवरी में उनके 82वें जन्मदिन पर भारतीय फुटबॉल में उनके योगदान के लिए विशेष डाक टिकट जारी किया।

भारतीय फुटबॉल में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।‘वह भारतीय फुटबाल की स्वर्णिम पीढ़ी का पर्याय बने रहेंगे। चुन्नी दा, आप हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहोगे।