बीजेपी के लोग NRC को लेकर कर रहे राजनीति: तरूण गगोई

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नई दिल्ली –

 

NRC यानि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस को लेकर पिछले कुछ दिनों से खूब चर्चा है. असम में रह रहे 40 लाख लोगों के नाम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) की सूची में नहीं हैं जिसको लेकर पूरे देश में कांग्रेस , भाजपा और अन्य पार्टियों के बीच तनातनी भी शुरू हो गई है. भाजपा और कांग्रेस के कई नेता असम में 40 लाख लोगों के नाम NRC यानि नेशनल रजिस्टर ऑफ रजिस्टर में न होने को लेकर बयान दे रहे है.

 

अब अमम के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी के नेता तरूण गगोइ ने कहा है कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) को वास्तव में कांग्रेस लेकर आई थी और ये कांग्रेस की देन है. असम के पूर्व मुख्यमंत्री ने ये भी  कहा कि NRC यानि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप की जो अंतिम सूची जो जारी की गई है वो  खामियों से भरी है. तरूण गगोइ ने कहा कि NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस ) तो हमारा बच्चा है. उन्होने  NRC के बारे में कहा कि  इसे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान शुरू किया गया था.

 

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उन्होने  NRC के बारे में कहा कि इसका उद्द्श्य इस बात को लेकर था कि कौन विदेशी है और कौन वास्ततव में भारत का नागरिक है. उन्होने कहा कि  इसे किसी भी धर्म या संप्रदाय से जोड़ने जैसी कोई बात नहीं थी. इसके अलावा उन्होने कहा  कि इसको लेकर जो अंतिम सूचि प्रकाशित हुई है उसमें कई खामियां है जिससे 40 लाख लोगों के भविष्य अनिश्चित हो गया है. उन्होने NRC की अंतिम सूचि के बारे में कहा कि हम इसमें सुधार चाहते है. वहीं  NRC को लेकर तरूण गगोइ ने कहा कि इसको लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए और न ही विभाजन की कोशिश नहीं होनी चाहिए.

 

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लिस्ट से बाहर नाम वाले लोगों के बारे में उन्होने कहा कि ऐस लोगों को कानूनी सहायता मुहैया करानी चाहिए.वहीं बीजेपी पर निशाना साधते हुए उन्होंने बीजेपी के नेताओं पर NRC को लेकर राजनीति  करने का आरोप लगाया और कहा कि बीजेपी के लोग इसे हिंदू मुस्लिम बनाने की कोशिश कर रहे है. इसके अलावा असम के पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि जिन लोगों के नाम सूची में नहीं है उनमें भारतीय नागरिकों की संख्या ज्यादा है. उन्होंने ये इस बात को भी कहा कि कितने विदेशी नागरिक है इस बात को कहना कठिन है.

 

 

असम के पूर्व मुख्यमंत्री से ये सवाल किया गया कि भाजपा द्वारा बांग्लादेशी हिंदूओं को संऱक्षण और नागरिकता देने की बात की इस पर आप का क्या कहना है तो इस  इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंनें कहा कि वें इस भेदभाव के खिलाफ है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि रिकार्ड के मुताबिक असम में संदिग्ध मतदाताओं की संख्या 2.48 है. वहीं बात अगर बीजेपी की करे तो बीजेपी के कई नेता साफ इस बात को कह रहे है कि जिनका नाम सूची में नहीं है उन्हें भारत से बाहर निकाल देना चाहिए. वहीं NRC के लेकर अन्य पार्टियों के नेता भाजपा के इस रूख को भेदभाव से ग्रसित बता रहे है.