संक्रमण से बचाव में सामुदायिक भागीदारी और युवाओं की भूमिका है महत्वपूर्ण

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– सामाजिक कार्यों में युवाओं की सहभागिता का दिखता है सकारात्मक प्रभाव
– समाज को जागरूक करते हुए, नियमों का पालन कराने में होते हैं सक्षम
– नाकारत्मकता से बचते हुए सकारात्मक पहलुओं को अपनाने पर दे सकते हैं बल

मुंगेर-

वैश्विक महामारी बन चुके कोविड-19 के संक्रमण और इससे उत्पन्न संकट से हर किसी को बचाना एवं बचना आवश्यक है। यह सिर्फ प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की पहल से संभव नहीं हैं, इसके लिए सामुदायिक भागीदारी की सबसे ज्यादा जरूरत है। लॉकडाउन के बाद अब अनलॉक के चरणों में जरूरत इस बात की बढ़ गई है कि लोग नाकारत्मकता से बचते हुए जीवन में सकारात्मक पहलुओं को अपनाने पर बल दें और जिंदगी पुन: सामान्य रूप से शुरू करें। यह कहना है मुंगेर-जमालपुर रोड स्थित नवाटोली के रहने वाले युवा अमन कुमार रंजन का। अमन लॉकडाउन के बाद से घर में ही रह रहे हैं, सामाजिक कार्यों में इनकी सहभागिता भी रहती है। वह बताते हैं कि लॉकडाउन के प्रथम चरण में उन्होंने युवाओं का एक ग्रुप बनाया और जरूरतमंदों की मदद की। आज जब अनलॉक का चरण शुरू हो गया है, बाजारों और सड़कों पर भीड़ भी देखी जा रही है। वहीं शारीरिक दूरी का पालन कई जगह नहीं होता दिखता। ऐसे में जागरूकता को बल देने की आवश्यकता बढ़ गई है। समुदाय में युवाओं की भागीदारी शुरू से ही सबसे ज्यादा रही है। ऐसे में दोबारा युवाओं को आगे आना होगा और लोगों को समझाना होगा कि कोविड 19 अभी खत्म नहीं हुआ है। अभी सतर्कता और सुरक्षा के नियमों का पालन करना ही संक्रमण से बचाव का एकमात्र रास्ता है।

पर्व-त्योहार के अवसर पर बढ़ जाती है जिम्मेदारी:
वहीं मुंगेर के स्थानीय निवासी प्रशांत कुमार यादव बताते हैं कि अनलॉक में छूट मिलने के बाद से सड़कों पर चहल पहल काफी बढ़ गई है। अभी कुछ पर्व भी आ जा रहे हैं। ऐसे में खरीदारी व तैयारी आदि को लेकर भी लोग ज्यादा घरों से बाहर निकल रहे हैं। खासकर शाम के वक्त दुकान व बाजार में ज्यादा संख्या में लोग रहते हैं। वह मास्क तो पहन रहे हैं, लेकिन जल्दबाजी में खरीदारी और काम खत्म करने के दौरान शारीरिक दूरी का ख्याल नहीं रख रहे हैं। ऐसे में उन्हें समझाना होगा। इसमें युवा और समुदाय स्तर पर पहल जरूरी है। दुकान और बाजार में जो घेरा बनाकर लेने की कवायद हुई थी, उसे सतत चालू रखा जाए। लोगों से उसे पालन करने को कहा जाए। क्योंकि अभी संक्रमण का प्रभाव खत्म नहीं हुआ है। समाजिक पहल से लोगों को जागरूक करने का कार्य लगातार किया जाना चाहिए। युवा इसमें अहम भूमिका अदा कर सकते हैं।

अनावश्यक तनाव लेने की जरूरत नहीं:
अमन कुमार रंजन कहते हैं कि समाज को जागरूक करने और अपनी सामाजिक सरोकार का निर्वहन करने में कई स्वयंसेवक आज भी लगे हुए हैं। कुछ व्यक्ति अपने स्तर पर जागरूकता अभियान चला रहा हैं। इसका प्रभाव देखने को भी मिलता है। अगर कोई घर से बाहर जा रहा होता है तो परिजन इसका ख्याल रख रहे हैं कि उसने मास्क पहना है। समझाया भी जाता है कि बाहर लोगों से उचित दूरी बनाते हुए काम करें। ऐसी बात समुदाय के पहल पर ही संभव हो सकी है। इसे वृहद स्तर पर अपनाने की जरूरत है। जो नियम नहीं मान रहे हैं, उन्हें समझाना होगा। इसके क्या परिणाम हो सकते हैं, उन्हें बताना होगा। तभी संक्रमण को बढ़ने से रोक पाना संभव हो पाएगा। हालांकि कोरोना को लेकर अनावश्यक तनाव लेने की जरूरत नहीं है। हम पहल करेंगे, समाज जागरूक होगा और नियमों का पालन करेगा तो निश्चय ही संक्रमण का प्रभाव दूर हो जाएगा।