नई दिल्ली
दिल्ली में एलजी के ऑफिस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ धरने पर बैठे डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया की तबीयत बिगड़ गई है। जिसके चलते उन्हें LNJP हॉस्पिटल शिफ्ट किया गया है। इससे पहले सतेंद्र जैन की तबियत ख़राब होने का मामला सामने आया था पर किसी ने सुध नहीं ली। अरविंद केजरीवाल ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी। इससे पहले बताया गया था कि धरने के छठे दिन सिसोदिया की हालत बिगड़ गई है। उनके खून के सैंपल में कीटोन लेवल 7.4 तक पहुंच गया था। सामान्य स्तर पर यह जीरो होना चाहिए। +2 को भी खतरे का निशान माना जाता है। डॉक्टरों ने एलजी हाउस जाकर सिसोदिया का चेकअप किया था, जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल शिफ्ट करने का फैसला लिया।
Manish Sisodia being shifted to hospital https://t.co/3LdQe3jG3z
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 18, 2018
Dy CM Manish Sisodia's health deteriorates on 6th day of Indefinite Strike, His Ketone level in Blood noted at highest 7.4, Health Minister Satyendra Jain already admitted in hospital after 7 days of Indefinite fast. pic.twitter.com/5iehYktABS
— ASHUTOSH MISHRA (@ashu3page) June 18, 2018
बता दें कि धरने पर बैठने को लेकर सोमवार को हाई कोर्ट ने केजरीवाल से कई तल्ख सवाल किए हैं। बीजेपी के विधायक विजेंदर गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को पूछा कि धरने से पहले एलजी से अनुमति क्यों नहीं ली गई। गुप्ता ने दिल्ली के सीएम और मंत्रियों के धरना खत्म कराने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले का समाधान होना चाहिए। मामले की अगली सुनवाई अब 22 जून को होगी।
इसपर सफाई देते हुए आप नेता संजय सिंह ने कहा था कि धरने का कदम बाकी सभी लोकतांत्रिक रास्ते अपनाने के बाद लिया गया है। संजय सिंह ने कहा, ‘जो कुछ कोर्ट ने पूछा है उसका जवाब दिया जाएगा। हम बताना चाहते हैं कि धरना देने की नौबत एक दिन में नहीं आई, सभी लोकतांत्रिक रास्ते अपनाए गए, जब कुछ काम नहीं आया तो ये अंतिम रास्ता अपनाया गया।’
क्या है मामला
अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, सत्येन्द्र जैन और गोपाल राय के साथ मिलकर पिछले आठ दिन से उपराज्यपाल अनिल बैजल के कार्यालय में धरने पर बैठे हैं। वे उपराज्यपाल से आईएएस अधिकारियों को निर्देश देने की मांग कर रहे हैं कि अधिकारी अपनी ‘हड़ताल’ वापस ले लें और घर-घर राशन पहुंचाने की योजना स्वीकार कर लें।