घबराऐ नहीं, कोरोना काल में भी जारी है अस्पतालों में इमरजेंसी सेवा

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घरों पर प्रसव खतरनाक, कोविड 19 प्रोटोकाल का पालन कर अस्पतालों में कराया जा रहा है सुरक्षित प्रसव
जमुई  – कोरोना संक्रमण  तेजी के साथ शहर से लेकर गाँव की गलियों  फैल रहा है। ऐसे में खासकर गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव को लेकर चिंताऐ काफी बढ़ गई है।  उनके जेहन में खासकर संस्थागत प्रसव को लेकर तरह-तरह की सवाल उठने लगे हैं। इस कारण गर्भवती महिलाएँ संस्थागत प्रसव के सरकारी या निजी स्वास्थ संस्थान छोड़  घर पर प्रसव कराने की भी सोच रहीं हैं. किन्तु इस कोरोना काल में सुरक्षित प्रसव के लिए घबराने या डरने की जरूरत नहीं है। बल्कि एहतियात बरतने की जरूरत है। दरअसल कोरोना काल में भी राज्य के सभी अस्पतालों में पुरी सतर्कता के साथ इमरजेंसी सेवाऐ जारी है। ताकि लोगों को किसी प्रकार का परेशानियाँ नहीं हो. इसको लेकर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान व जननी सुरक्षा योजना की जानकारी आशा और आँगनबाड़ी सेविकाओं के माध्यम से चिन्हित गर्भवती महिलाओं और उनके परिजनों को दी जा रही है। खासकर लोगों को संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया गया है। लोगों में यह भ्रांति आयी  है कि घर पर प्रसव कराना आसान और कम खर्च वाला है। लेकिन यह बिल्कुल खतरनाक है. घर पर प्रसव के दौरान आपातकालीन सुविधाएं नहीं रहने से मां और नवजात दोनों की जान का खतरा होता है। साथ ही लोगों को यह भी बताया जा रहा है कि जननी सुरक्षा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों मे प्रसव कराने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों की  प्रसूता को 1400 रुपये एवं शहरी प्रसूता को 1000 रुपये की आर्थिक मदद मिलती है। कोरोना से बचाव के लिए अस्पताल में शारीरिक दूरी का पालन करने,मास्क का इस्तेमाल करने,गर्भवती महिलाओं की व्यक्तिगत साफ-सफाई रखने सहित उनके परिजनों को अस्पताल में अनावश्यक भीड़ नहीं लगाने पर भी जोर दिया जा रहा है।
इस संबन्ध में सीएस  डॉ विजेंद्र कुमार स्तायर्थी ने बताया कि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में प्रसव से संबंधित आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध है। यहाँ प्रसूति विशेषज्ञ व प्रशिक्षित नर्स द्वारा प्रसव कराया जाता है। सदर अस्पताल में सिजेरियन ऑपरेशन की सुविधा भी उपलब्ध है। प्रसव के दौरान कोरोना से संबंधित जरूरी गाइड लाइन का भी पालन किया जा रहा है।
जागरूकता से ही संस्थागत प्रसव संभव:
उन्होंने बताया जागरूकता से संस्थागत प्रसव को बढ़ाया जाना संभव है। लोगों को जागरूक करने के लिए लगातार हेल्थ अफसरों एवं वर्करों को आवश्यक गाइलाइन दी जा रही है, ताकि संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता मिल सके। और इसके लिए स्वास्थ विभाग की टीम पुरी मुस्तैदी के साथ काम कर रही है।
गर्भवती महिलाएं रखें इन बातों का रखें ध्यान:
अपने क्षेत्र की आशा और एएनएम के संपर्क में रहें। प्रसव की संभावित तिथि को लेकर सजग रहें और परिजनों को भी जानकारी दें।
102 एम्बुलेंस का नम्बर अपने पास रखें व प्रसव के समय बच्चे एवं किसी बीमार व्यक्ति के साथ अस्पताल न जायें।