नई दिल्ली। सांसद व दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि विकलांग की जगह दिव्यांग शब्द के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि कई ऐसी मिसालें हैं और मेरा व्यक्तिगत अनुभव रहा है कि दिव्यांग की इच्छाशक्ति काफी प्रबल होती है। वो आपके साथ आगे बढ सकते हैं। हां, कुछ विधि का विधान है, जिससे वो विकलांगता के शिकार होते हैं। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों की सहायता करके मुझे अपार खुशी की अनुभूति होती है। मेरा अनुभव रहा है कि दिव्यांग अपने हिसाब से दुनिया को चला सकते हैं। इसलिए समाज को इन्हें कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए।
असल में, मनोज तिवारी एसडीआरएस द्वारा आयोजित तीन दिवसीय नेशनल कांग्रेस को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन वसंत कुंज के इंडिया स्पाइनल इंजुरी सेंटर हॉस्पिटल के सभागार में किया गया था। इस अवसर पर सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि साल 2011 की जनगणना के अनुसार, 2.68 करोड लोग देश में विकलांग हैं, जिसमें 45 प्रतिशत लोग शिक्षा से दूर हैं। सांसद ने एसडीआरएस संस्था का जिक्र करते हुए कहा कि यह संस्था और इसके अध्यक्ष डॉ जीएन कर्ण बेहतर कार्य कर रहे हैं कि दिव्यांगों को शिक्षित करने और जागरूक करने के लिए इस तरह का आयोजन कर रहा है।
इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय मीडिया सह प्रभारी संजय मयूख ने कहा कि स्वयंसेवी संस्था एसडीआरएस बेहतर कार्य कर रही है। हम जैसे सामाजिक लोगों से जब जो सहायता होगी, हम लोग दिव्यांगों के लिए तैयार हैं। हमें इस आयोजन में अपने अनुज मनीष सिंह के साथ आकर बेहद खुशी हो रही है। दिल्ली प्रदेश भाजपा पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष मनीष सिंह ने भी दिव्यांगों के प्रति संवेदना प्रकट की। इस दौरान विकलांगों को स्वचालित व्हील चेयर भी प्रदान किया गया।
बता दें कि सोसाइटी फॉर डिसेबिलीटी एण्ड रिहेबिलिटेशन स्टडीज, नई दिल्ली तत्वावधान में ‘‘भारतीय विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा हेतु विकलांगता अध्ययन के पाठ्यक्रम का विकास’’ विषय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान पाँच सूत्रीय मांग-पत्र पारित किया गया। पारित मांग पत्रों में विभिन्न विश्वविद्यालय तथा उच्च शिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रमों में विभिन्न स्तरों पर विकलांगता अध्ययन के पाठ्यक्रमों का समावेश किया जाना, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा विकलांगता अध्ययन के शिक्षण तथा शोध को बढ़ावा देने के लिए अनुदान/वित्तीय सहायता का प्रावधान किया जाना तथा भारत सरकार तथा राज्य सरकारों के महत्वपूर्ण पदों पर विकलांग व्यक्तियों को प्रतिष्ठित किया जाना शामिल है।
इस कार्यक्रम में एक स्मारिका के विमोचन के साथ-साथ दिल्ली विश्वविद्यालय तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के 10 विकलांग मेधावी छात्रों को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ई.सी.जी.सी. लिमिटेड द्वारा प्रायोजित मोटरचालित तीन पहिये वाली स्कूटी तथा बैटरीचालित ह्वील चेयर प्रदान किया गया। उद्घाटन कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए जे.एन.यू. के विकलांगता अध्ययन विशेषज्ञ तथा संस्था के मानद अध्यक्ष डॉ. जी. एन. कर्ण ने भारतीय परिप्रेक्ष्य में विकलांगता अध्ययन को ज्ञान की एक शाखा के रूप में विकसित करने तथा भारत सरकार से मान्यता दिलवाने की दिशा में संस्था की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए पाठ्यक्रम विकास की महत्ता को रेखांकित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता इग्नू के प्रो. पी.आर. रामानुजम ने किया तथा इस मौके पर कई गणमान्य लोगों ने विचार व्यक्त किए, जिनमें एस. के झा, भा. प्र. से. ;उप-महानिदेशक, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, भारत सरकार, डॉ. एस. के. प्रसाद उप-मुख्य विकलांगता आयुक्त, भारत सरकार, डॉ. ज्ञानतोष झा ;प्राचार्य, ए.आर.एस.डी. कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, सृष्टिराज अम्बष्ट उप-महाप्रबन्धक, ई.सी.जी.सी. लिमिटेड तथा डॉ. पी.एन. लाभ के नाम विशेषतः उल्लेखनीय है। सम्मेलन में देश के विभिन्न भागों से विकलांगता अध्ययन के विशेषज्ञ भागीदारी कर विकलांगता अध्ययन में बी.ए./बी. एस-सी., एम.ए./एम. एस-सी., एम.फिल, पी-एच. डी. तथा स्नातकोत्तर डिप्लोमा की रूप रेखा तय करेंगे।