योगेंद्र यादव की नई किताब “मोदीराज में किसान: डबल आमद या डबल आफत?”

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नई दिल्ली: स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जय किसान आंदोलन के संस्थापक योगेंद्र यादव द्वारा लिखी किताब मोदी राज में किसान का लोकार्पण सम्पन्न हुआ। इस मौके पर मोदी सरकार के कृषि नीतियों का मूल्यांकन करते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि मोदी सरकार आजादी के बाद देश की सबसे किसान विरोधी सरकार है। देश में आज तक किसान हितैषी सरकार का राज तो कभी नहीं आया, लेकिन मोदी सरकार का किसान विरोध पिछली सब सरकारों को मात करता है। यह देश की पहली सरकार है जो मानसिक, व्यवहारिक और भावनात्मक तीनों स्तरों पर किसान विरोधी साबित हुई है। इसकी सोच किसान विरोधी है, इसकी नीतियां किसान विरोधी हैं और इसकी नियत किसान विरोधी है।
प्रमाणिक तथ्यों और आंकड़ों के साथ यह पुस्तक मोदी सरकार के किसान संबंधी चुनावी वादों, सरकारी दावों और डबल आय के नारे का सच उजागर करती है।
• लागत का डेढ़ गुना दाम देने के चुनावी दावे से सरकार पहले तो मुकरी, फिर लागत की परिभाषा बदल कर किसानों के साथ धोखा किया।
• दावा न्यूनतम समर्थन मूल्य में ऐतिहासिक वृद्धि का था, लेकिन वास्तव में यह 2008 की वृद्धि से भी कम था।
• जो न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया वह भी किसान को कभी नहीं मिला। “पीएम आशा” योजना फ्लॉप हो गई है।
• कृषि में दोगुना खर्च करने का दावा सफेद झूठ है। पिछली सरकार की तरह मोदी सरकार ने भी बजट का सिर्फ 2% कृषि पर खर्च किया
• फसल बीमा योजना से सरकारी खर्च 450% बढ़ा लेकिन लाभान्वित होने वाले किसान 10% भी नहीं बढ़े। योजना लागू होने पर किसानों को बीमा का क्लेम 21,608 करोड़ से घटकर 15,502 करोड हो गया।
• किसानों की आय डबल करने का नारा महज एक जुमला है क्योंकि इसके लिए अब तक ना तो कोई योजना है ना बजट ना ही प्रगति की कोई समीक्षा पिछले चार साल में किसान की आय सिर्फ 2.2% की सालाना दर से बढ़ी है, जबकि डबल करने के लिए 10.4% की जरूरत थी।
किसान का भला करना तो दूर की बात है इस सरकार ने किसानों की आपदा में भी उनकी मदद नहीं की, बल्कि अपनी नीतियों से किसानों को नुकसान पहुंचाया।
• लगातार दो साल राष्ट्रव्यापी सूखे में मोदी सरकार ने बेरुखी दिखाई, राहत देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी अवहेलना की।
• बाजार भाव गिरने पर सरकार ने किसान की मदद करने की बजाय विदेश से आयात कर से उसे नुकसान पहुंचाया
• सूखे और मंदी से उभरते किसान पर नोट बंदी का तुगलकी फैसला कर सरकार ने किसान की कमर ही तोड़ दी।
• कृषि निर्यात पहले से कम हो गया, निर्यात आयात का सरप्लस 159 हजार करोड़ रु से घटकर 82 हजार करोड़ रु हो गया।
• पिछले साल भर में डीजल, खाद, कीटनाशक और बीज के दाम में 20% से 30% तक बढ़ोतरी हुई है।
• गौ हत्या रोकने के नाम पर देशभर में पशु व्यापार ठप पड़ गया है, पशुओं के दाम गिर रहे हैं और किसान आवारा पशुओं की समस्या से त्रस्त है।
• मोदी सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून को खत्म करने की बार-बार कोशिश की और वनाधिकार कानून मैं आदिवासी किसानों के अधिकारों को भी कमजोर किया।
अगर पिछली सरकारों ने भले चंगे किसान को मरीज बनाकर अस्पताल में डाल दिया, तो मोदी सरकार ने किसान को आईसीयू तक पहुंचा दिया है।
पुस्तक विमोचन के अवसर पर बतौर वक्ता व पैनलिस्ट प्रोफेसर अशोक गुलाटी ने भारतीय कृषि व किसानों की समस्या व समाधान के कई सुझाव दिए। पैनलिस्ट हरवीर सिंह ने कहा कि किसानों की समस्या कृषि भवन, उद्योग भवन,आपदा विभाग व खाद्य आपूर्ति मंत्रालय के चक्करों में पीस रहा है। पैनलिस्ट अजयवीर जाखड़ ने जोड़ देकर कहा कि देश मे सातवां वेतन आयोग भी किसानों के ख़िलाफ़ है। सरकार कुछ करोड़ लोगों की वेतन में बढ़ोतरी कर रही है जबकि मेरा मानना है कि उनके वेतन में कटौती कर उस पैसे से और फील्ड जॉब सृजित की जानी चाहिए। AIKSCC के संयोजक वीएम सिंह ने इस किताब को “पुस्तक” नही “दस्तक” की संज्ञा दिया। AIKSCC से  किरण बिस्सा भी पुस्तक विमोचन के मौके पर मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन जय किसान आंदोलन के संयोजक अविक साहा ने किया। इस अवसर पर पुस्तक के संपादक एसपी सिंह भी मौजूद थे।