• राज्य स्तरीय वेबिनार में पखवाड़े के क्रियान्वयन को लेकर हुयी विस्तृत चर्चा
• 16 सितंबर से 29 सितंबर तक चलेगा पखवाड़ा
• अंतर्विभागीय सहयोग से पखवाड़े को सफ़ल करने की अपील
• आशा, एएनएम एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता देंगी पखवाड़े में महत्वपूर्ण योगदान
भागलपुर/ 25, अगस्त: कोरोना संक्रमण काल में कई स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रभावित हुए हैं. यद्यपि, कोरोना रोकथाम के साथ इन स्वास्थ्य कार्यक्रमों को नियमित करने में राज्य के समस्त स्वास्थ्य कर्मीयों की भूमिका काफ़ी अहम रही है. संक्रमण के कारण स्वास्थ्य कार्यक्रमों की गति में आयी कमी को पुनः कायम करने के लिहाज से 16 सितंबर से 29 सितंबर तक सघन डायरिया नियंत्रण कार्यक्रम, कृमि मुक्ति कार्यक्रम एवं विटामिन ए अनुपूरण पखवाड़े का संयुक्त रूप से आयोजन किया जा रहा. उक्त बातें राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने मंगलवार को आयोजित राज्य स्तरीय वेबिनार में कही.
कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने बताया कि बिहार में नवजात मृत्यु दर एवं अंडर-5 (5 साल के कम उम्र के बच्चे) मृत्यु दर में कमी आयी है. लेकिन अभी भी वांछित कमी नहीं हो सकी है. इस दिशा में इन तीनों कार्यक्रमों का एक साथ आयोजन एक सकारात्मक पहल साबित होगा. उन्होंने बताया कि इन तीनों कार्यक्रमों के एक साथ आयोजन करने से अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा बेहतर मॉनिटरिंग सुनिश्चित हो सकेगी. कोरोना संक्रमण काल में आशा द्वारा घर-घर जाकर जागरूकता फैलाई जा रही है. इन तीनों कार्यक्रमों को एक साथ आयोजित करने से आशा गृह भ्रमण के दौरान ही कार्यक्रम से संबंधित सेवाएं भी प्रदान कर सकेगी. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर आशाएं एलबेंडाजोल की दवाओं को चूरकर अपने सामने अभिभावक द्वारा खिलाया जाना सुनिश्चित कराएगी. उन्होंने तीनों कार्यक्रमों में सम्मिलित विभागों एवं सहयोगी संस्थाओं से कार्यक्रम को सफ़ल बनाने की भी अपील की.
पांच साल से कम आयु वर्ग में होने वाले कुल मौतों में 9.2% बच्चों की डायरिया से होती है मौत:
राज्य शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. वीपी राय ने बताया कि पाँच साल से कम आयु वर्ग में होने वाले कुल मौतों में 9.2% बच्चों की मृत्यु डायरिया के कारण हो जाती है. इस लिहाज से 16 सितंबर से 29 सितंबर तक चलने वाला सघन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा काफ़ी महत्वपूर्ण साबित होगा. उन्होंने बताया कि पखवाड़े का मुख्य उद्देश्य डायरिया से होने वाली मौतों को शून्य करना है. डायरिया से होने वाले सभी मौतों को ओआरएस एवं जिंक की सहायता से रोका जा सकता है. इसलिए पखवाड़े के दौरान ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग को लेकर जन-जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा. उन्होंने बताया डायरिया से सुरक्षा, इसकी बेहतर रोकथाम एवं ईलाज के जरिए डायरिया से होने वाली मौतों पर लगाम लगायी जा सकती है. उन्होंने डायरिया से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए 6 माह तक केवल स्तनपान, 6 माह के बाद संपूरक आहार की शुरुआत एवं विटामिन ए अनुपूरण को महत्वपूर्ण बताया. वहीं टीकाकरण( मीजिल्स टीका एवं रोटावायरस), साबुन से नियमित हाथ साफ़ करने, शौच के लिए शौचालय का इस्तेमाल करना एवं एचआईवी से सुरक्षा को डायरिया के रोकथाम के लिए उपयोगी बताया. डायरिया के उपचार के लिए उन्होंने ओआरएस एवं जिंक के इस्तेमाल को सबसे प्रभावी बताया. उन्होंने बताया कि सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े में केयर इण्डिया, पिरामल फाउंडेशन एवं यूनिसेफ द्वारा सहयोग किया जा रहा है. साथ ही आईसीडीएस, शिक्षा विभाग एवं पंचायती राज आदि विभाग भी इसे सफ़ल बनाने में सहयोग करेंगे.
वर्ष 2030 तक अंडर-5 मृत्यु दर को 25 एवं नवजात मृत्यु दर को 12 करने का लक्ष्य:
यूनिसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. सैय्यद हुबे अली ने बताया एसडीजी( सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल) लक्ष्य के मुताबिक बिहार को वर्ष 2030 तक अंडर-5 (पांच साल से कम आयु के बच्चों) मृत्यु दर को 25 एवं नवजात मृत्यु दर(प्रति 1000 जीवित जन्म) को 12 करने का लक्ष्य प्राप्त है. इस लिहाज से लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य को प्रतिवर्ष 5.9% की कमी लानी होगी, जो अभी फिलाहल राज्य में नहीं है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बच्चों एवं नवजातों में होने वाली मौतों को रोकने के लिए टीकाकरण, नवजातों में संक्रमण की रोकथाम , स्तनपान को बढ़ावा, बेहतर साफ़-सफाई, विटामिन ए अनुपूरण एवं दस्त नियंत्रण काफी प्रभावी है.
कृमि मुक्ति के लिए 3.8 करोड़ दवाएं हुयी प्राप्त:
वेबिनार के दौरान बताया गया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम के तहत 16 सितम्बर से 29 सितम्बर तक राज्य के 25 जिलों में 1 साल से 19 साल तक के बच्चों को एलबेंडाजोल की दवा दी जाएगी. इसके लिए एलबेंडाजोल की 3.8 करोड़ दवाएं बीएसएमआईसीएल से प्राप्त हुयी है. साथ ही गृह भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ता अपने कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 9 माह से 5 वर्ष तक के उम्र के बच्चों को विटामिन ए सिरप की खुराक पिलाना भी सुनिश्चित करेगी. इसके लिए आशा पहले विटामिन ए सिरप के साथ उपलब्ध चम्मच में खुराक डालने के बाद उक्त लाभार्थी के चम्मच में खुराक डालकर संबंधित परिवार के द्वारा ही चम्मच से बच्चों को अनुपूरण सुनिश्चित कराएगी.